खेलाय चंड़ी मेले में उमड़ा आस्था का सागर
बोकारो, निज संवाददाता : माघ मास में ग्रामीण क्षेत्रों में मेले शुरू हो जाते है। माघ के पहले दिन को ग्रामीण 'आखान यात्रा' के रूप में मनाते है। इस अवसर पर कहीं मूर्ति पूजन तो कहीं मिट्टी की पूजा होती है। आज के दिन किसान सुबह नहाकर अपने-अपने खेतों की जुताई करते है। इसे 'हार पुइना' कहते है। लोग मिट्टी की पूजा अर्चना भी करते है। इसके अलावा कहीं- कहीं लोगों ने अपने-अपने बच्चों के मुंडन भी कराए। चास प्रखंड के बांधगोड़ा साइड में खेलाय चंडी मेला लगा। खेलाय चंडी को मां दुर्गा का दूसरा रूप भी कहा जाता है। जहां दर्जनों बकरों की बलि दी गयी। साथ ही सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। वहीं चड़गोई गांव के मेले में भी मिट्टी की पूजा की गयी। श्रद्धालु पास की मिट्टी को उठाकर एक पहाड़ीनुमा जगह पर डाल रहे थे।
ग्रामीणों ने बताया कि एक-एक मुट्ठी मिट्टी चढ़ाने से उनकी मुराद पूरी होती है। हर साल एक-एक मुट्ठी मिट्टी डालने के कारण ही यह पहाड़ीनुमा बन गया है।
चड़गोई मेले में भी दर्जनों बकरों की बलि दी गयी। वहीं नगर के सेक्टर चार स्थित मां खेलाय चंडी मंदिर में पारम्परिक रीति-रिवाज से पूजन कार्यक्रम हुआ। परम्परा के अनुसार महुआर महाराज के परिजनों ने माता की प्रथम पूजा की। इसके पश्चात आसपास के ग्रामीण इलाकों से आए हुए श्रद्धालुओं ने भी पूजा-अर्चना की।
इस अवसर मेले का आयोजन किया गया। इस पूजनोत्सव को लेकर काफी तैयारी की गयी थी। मेले में बच्चे-बूढ़े काफी संख्या मे शामिल हुए। मंदिर में पूजन परम्परा के बारे में राज परिवार की कुल वधू का कहना है कि माता खेलाय चंडी मंदिर इस क्षेत्र का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है, जहां क्षेत्र के लोग प्रत्येक वर्ष माघ के पहले दिन पूजा करने आते है। मंदिर में इस विशेष पूजा उत्सव में क्षेत्र के चौंसठ गांव के ग्रामीण भाग लेते है। यह देव स्थल ग्रामीणों की श्रद्धा का केन्द्र है। संयंत्र निर्माण से पहले इस क्षेत्र का प्रमुख पूजा स्थल हुआ करता था।
चंदनकियारी संवाद सहयोगी के अनुसार शक्ति की प्रतीक मानी जाने वाली मां खेलाय चंडी उत्सव प्रखंड के विभिन्न गांवों में धूमधाम से मनाया गया। प्रखंड के बगुला गांव के मड़य थान व सिलफोर गांव स्थित उत्तर वाहिनी के नदी किनारे देवघारा मेला का आयोजन किया गया।
लोगों ने की मड़ई पूजा
कृषि कार्य की सफलता और सुख समृद्धि की कामना पर आधारित चंदनकियारी प्रखंड के बगुला गांव स्थित मड़ईथान में मड़ई पर्व धूमधाम से मनाया गया। यह पर्व प्रति वर्ष पहली माघी को मनाया जाता है। इस पर्व की यह भी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति खुले दिल से मन्नतें मांगता है वह पूरी होती है। पर्व के बारे में ग्रामीण बताते है कि मड़ई पूजा करने से गांव में खुशहाली रहती है। गांव के पुजारी व नाया झींगू राय व तुलसी राय बताते है कि मड़ई पर्व पूर्वजों की देन है। इस मेले में लंबबासी तथा महामाया नामक दो देवताओं की पूजा-अर्जना की जाती है। पूजा के दरमियान बकरा और बकरी की बलि दी जाती है। गांव के महतो परिवार के लोग मड़ई पूजा करते है।
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