Udhampur News: ट्रक से कुचले पुलिसकर्मी को आठ साल बाद मिला इंसाफ, दो आरोपियों को हुई उम्रकैद की सजा
ऊधमपुर में आठ साल पहले जखैनी नाका पर एक पुलिसकर्मी को ट्रक से कुचलने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया। प्रधान सत्र न्यायाधीश ने दोनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 2017 में एक ट्रक चालक ने बैरिकेड तोड़ते हुए एसजीसीटी सनीव कुमार को कुचल दिया जिससे उनकी मौत हो गई। अदालत ने इसे जिद गुस्से और हठधर्मिता का नतीजा बताया।

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर आठ साल पहले जखैनी नाका पर ड्यूटी निभाते पुलिसकर्मी को ट्रक से कुचलने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है। प्रधान सत्र न्यायाधीश ऊधमपुर वीरेंद्र सिंह भाऊ ने दोनों आरोपितों को दोषी करार दिया।
उन्होंने इसे जिद, गुस्से और हठधर्मिता से उपजे वीभत्स कृत्य का नतीजा बताते हुए दोनों आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार 14 जनवरी 2017 को जखैनी ट्रैफिक नाका पर पुलिस पार्टी ने सब्जियों से लदे ट्रक नंबर जेके के09ए5301 को रोकने का इशारा किया। जम्मू से श्रीनगर जा रहे इस ट्रक को राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही बंद होने के कारण किनारे लगाने का आदेश दिया।
चालक ने जिद पकड़ी कि वह हर हाल में श्रीनगर जाएगा। थोड़ी देर की नोकझोंक के बाद उसने अचानक ट्रक स्टार्ट कर दिया और बैरिकेड तोड़ते हुए एसजीसीटी सनीव कुमार को कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस मामले में अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के तर्क सुनने के बाद अदालत ने कहा कि अभियुक्तों के आक्रामक रवैये ने एक निर्दोष पुलिसकर्मी की जान ले ली।
यह न केवल अपराध है, बल्कि समाज और कानून के खिलाफ गंभीर चुनौती भी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सजा तय करते समय न्यायालय को केवल अपराध ही नहीं बल्कि अपराधियों के चरित्र को भी ध्यान में रखना होता है।
इस मामले में दोषी करार दिए गए दोनों आरोपितों में मोहम्मद मकबूल डार निवासी चेराकूट, लोलाब, जिला कुपवाड़ा और रियाज अहमद मलिक निवासी केहनुसा, तहसील अलूसा,जिला बांडीपोरा शामिल हैं। दोनों को आरपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कठोर कारावास और 10 हजार जुर्माना भरने की सजा सुनाई गई।
जुर्माना अदा न करने पर छह महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। सजा के साथ अदालत ने आदेश दिया कि यदि जुर्माना वसूला जाता है तो वह मृतक पुलिसकर्मी के कानूनी उत्तराधिकारियों को दिया जाएगा।
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