किश्तवाड़ के जंगल में छिपे आतंकियों की उल्टी गिनती शुरू, सुरक्षाबलों ने बनाया ये प्लान; चुन-चुनकर करेंगे खात्मा
किश्तवाड़ में छिपे आतंकियों के खिलाफ सेना और पुलिस ने घेराबंदी कर दी है। आईजीपी भीमसेन टूटी खुद मोर्चा संभाल रहे हैं क्योंकि उन्हें इलाके की गहरी जानकारी है। छात्रू इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की आशंका है जहाँ पिछले साल कई जवान शहीद हुए थे। सुरक्षा बलों ने कमांडो उतारकर अभियान तेज कर दिया है ताकि आतंकियों का सफाया किया जा सके।
बलवीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़। अब जल्द ही किश्तवाड़ के जंगल में छिपे आतंकी मारे जाएंगे। सेना और पुलिस ने पूरे इलाके को किले में तबदील कर दिया है, जिससे आतंकियों को खाने-पीने की मदद नहीं मिल सकती है। सुरक्षाबल आतंकियों पर प्रहार के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं।
पिछले चार दिन से आइजीपी जम्मू भीमसेन टूटी किश्तवाड़ में ही डेरा जमाए बैठे हैं और आतंकियों को दबोचने की रणनीति बना रहे हैं। भीमसेन टूटी इस इलाके की अच्छी समझ रखते हैं, क्योंकि वह किश्तवाड़ के एसएसपी रह चुके हैं। वह डोडा, रामबन, किश्तवाड़ में डीआईजी भी रहे हैं, इसी के चलते वह यहां बैठकर इस ऑपरेशन की कमान संभाले हुए हैं।
उनके साथ सेना के कई आला अधिकारी भी क्षेत्र में रोजाना आ-जा रहे हैं। माना जा रहा है कि किश्तवाड़ के छात्रू के नेदगांव सिंहपुरा के जंगल में आतंकी छिपे हो सकते हैं। किश्तवाड़ के छात्रू इलाके में पिछले एक साल में सेना के जेसीओ सहित चार जवान और दो ग्राम रक्षा समूह (वीडीजी) के सदस्य बलिदान हो चुके हैं।
हालांकि, आतंकियों को मार गिराने के लिए सेना तथा पुलिस कई बार पूरे इलाके को खंगाल चुकी है, लेकिन आतंकी इस इलाके को भलि-भांति पहचान चुके हैं और जैसे ही सुरक्षाबल आपरेशन शुरू करते हैं तो आतंकी जंगल में छिप जाते हैं। हालांकि, नौ अप्रैल को सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया था।
अभी भी तीन से चार आतंकियों के इलाके में छिपे होने की सूचना है, पिछले चार दिन से क्षेत्र में बड़ा आपरेशन शुरू किया गया है। आतंकियों तक पहुंचने के लिए सेना ने तीन दिन पहले पहाड़ों के ऊपर हेलीकाप्टर के जरिए कमांडो भी उतारे हैं, जो धीरे-धीरे नीचे की तरफ आएंगे।
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