बलिदानी शफीक अली की अंतिम यात्रा में उमड़े लोग
संवाद सहयोगी रियासी श्रीनगर में सोमवार की शाम आतंकी हमले में बलिदान हुए शफीक अली अपने प ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, रियासी : श्रीनगर में सोमवार की शाम आतंकी हमले में बलिदान हुए शफीक अली अपने पीछे पत्नी व पाच बच्चे छोड़ गए। उन्होंने चसाना के संगलीकोट सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई की थी और फिर वर्ष 2008 में जम्मू कश्मीर आर्म्ड पुलिस में भर्ती हो गए।
उनके परिवार में उनकी पत्नी, सबसे बड़ी दो लड़किया और उनसे छोटे तीन लड़के हैं। तीन भाइयों में शफीक अली मंझले थे। उनके बड़े भाई घर पर ही रहकर खेतीबाड़ी करते हैं, जबकि छोटा भाई शिक्षा विभाग में कार्यरत है। सोमवार देर शाम को गाव में शफीक अली के बलिदान होने की खबर पहुंचने पर उनके गाव में किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था। इसलिए कोई भी खुलकर बोल नहीं रहा था, लेकिन लोगों में सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। कुछ देर बाद जब असलियत सामने आ गई तो पूरा इलाका गमगीन हो गया। बलिदान होने की खबर मिलते ही गाव सहित आसपास इलाके के लोग भी उनके घर पहुंचने शुरू हो गए थे। उधर, शफीक अली के घर में मानो कोहराम मच गया। बड़ी संख्या में लोग उनके घर व गाव पहुंच गए और पार्थिव शरीर के पहुंचने का इंतजार करने लगे। जैसे ही बलिदानी का पार्थिव शरीर उनके गाव पहुंचा तो गम के माहौल के बीच शफीक अली अमर रहें और भारत माता के जयघोष से वातावरण गूंज उठा। पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही परिवार के लोग विशेषकर उनके बच्चे बिलख पड़े। वे पार्थिव शरीर से लिपटकर दहाड़े मार-मार कर रो उठे। उन्हें देखकर वहा मौजूद हर कोई अपनी आखों के आसू रोक नहीं पाया। वहा मौजूद लोग उन्हें संभालने का प्रयास करते रहे। दोपहर बाद बलिदानी की अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी नम आखें लिए शामिल हुए। उसके बाद पूरे पुलिस सम्मान के साथ उनकी अंतिम रस्म निभाई गई।
इससे पहले सुबह पार्थिव शरीर रियासी से उनके गाव ममनकोट ले जाते समय रास्ते में जितने भी गाव व स्टेशन आए, वहा लोगों ने पार्थिव शरीर और उन्हें ले जाने वाले वाहन पर पुष्प वर्षा की।

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