Kishtwar Encounter: दूसरे दिन भी नहीं लगा आतंकियों का कोई सुराग, ड्रोन से पूरे इलाके को खंगाला; सर्च ऑपरेशन जारी
किश्तवाड़ के केशवान इलाके में मुठभेड़ के बाद भी आतंकवादी फरार हो गए। सुरक्षा बलों ने ड्रोन से तलाशी अभियान चलाया पर कोई सफलता नहीं मिली। पिछले डेढ़ साल से किश्तवाड़ में कई मुठभेड़ें हुई हैं लेकिन आतंकवादी भूमिगत हो जाते हैं। ग्रामीणों में डर का माहौल है और सुरक्षा बलों को रणनीति बदलने की जरूरत है साथ ही स्थानीय लोगों का सहयोग आवश्यक है।

बलबीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़। किश्तवाड़ के केशवान इलाके में रविवार आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड शुरू हुई थी लेकिन दूसरा दिन बीत जाने के बाद भी आतंकवादियों का कोई सुराग नहीं है।
सुरक्षा बलों ने सोमवार को भी पूरे इलाके को घेरकर सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें ड्रोन का इस्तेमाल भी किया गया और जमीनी स्तर पर भी कई सारे जवानों ने पूरे इलाके को अच्छी तरह से खंगाला लेकिन कुछ भी हाथ नहीं लगा आखिर आतंकवादी सुरक्षाबलों के हाथ मैं क्यों नहीं आ रहे हैं।
पिछले डेढ साल से ज्यादा समय हो चुका है कि किश्तवाड़ भद्रवाह डोडा के कई इलाकों में केइ वार आतंकवादियों के साथ सेना तथा पुलिस की मुठभेड़ शुरू हुई लेकिन बाद में आतंकवादी भूमिगत हो जाते हैं। हालांकि कई बार अपना ही नुकसान देखने को मिला जिसमें कुछ जवान बलिदान भी हो गए लेकिन आतंकवादी हाथे नहीं जड़ रहे हैं।
क्या आतंकवादियों की रणनीति सुरक्षा बलों से दो कदम आगे चल रही है या आतंकवादियों को पहले से ही भनक मिल जाती है की सुरक्षा बल उस इलाके की सर्च करने वाले हैं जहाँ पर वे छिपे हुए होते हैं जब भी सुरक्षा वलों को थोड़ी सी भी भनक लगती है कि फलाने इलाक़े में आतंकवादी गतिविधियां चल रही है। जैसे ही सुरक्षा बल वहां पर सर्च ऑपरेशन शुरू करते है आतंकवादी अंधाधुंध फायरिंग करके केइ वार तो
कोई नुकसान कर देते हैं और वहां से एकदम फरार हो जाते हैं। यह बात समझ गए परे चल रही हैं। कई बार नाग सैनी के इलाके में मुठभेड़ें हुई कई बार छातरु में और केशवान इलाक़े में भी लेकिन जब भी सुनने में आता है की आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलायी और बाद में फरार हो गए हैं। आखिर उन्हें जमीन खा जाती है यह आसमान निगंल जाता है।
अब तो गांव के लोग भी डरे सहमे से हैं क्योंकि बहुत सारे इलाके ऐसे हैं जहां पर आतंकवादी सक्रिय हो चुके हैं अगर यही हाल रहा तो ये आतंकवादी कहीं किसी गाँव में जाकर कोई नुकसान न कर दें। ऐसे में सुरक्षाबलों को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी
कि इन आतंकवादियों को कैसे दबोचा जाए। इसमें सबसे पहले सेना को इलाके के लोगों को अपने साथ जोड़ना पड़ेगा तब इन्हें कामयाबी मिल सकती है क्योंकि जब किश्तवाड़ के इलाक़े में पहले यह कहा जाने लगा की यहां पर आतंकवादियों का सफाया हो चुका है।
सेना ने भी स्थानीय लोगों के साथ अपना तालमेल बनाना बंद कर दिया जिसके चलते लोगों ने भी कोई सूचना देना बंद कर दी यह सबसे बड़ी कमी है जब तक स्थानीय लोगों के साथ सुरक्षाबलों का तालमेल नहीं होगा तब तक ये आतंकवादी इनके काबू में नहीं आएंगे।
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