Kishtwar Cloudburst: किश्तवाड़ आपदा के बीच देवदूत बने युवा, बाइक को ही बना दिया ‘रेस्क्यू वाहन’; कई घायलों की बचाई जान
किश्तवाड़ में मचैल यात्रा के दौरान चशोती गांव में बादल फटने से भारी तबाही हुई। यहाँ मोटरसाइकिल चालक श्रद्धालुओं को मां के भवन तक पहुंचाते हैं। बादल फटने के बाद इन युवाओं ने अपनी जान की परवाह किए बिना राहत और बचाव कार्य शुरू किया। उन्होंने कीचड़ और मलबे से घायलों को निकालकर मोटरसाइकिलों पर पहुंचाया और उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए लंगर तक ले गए।

जागरण संवाददाता, किश्तवाड़। मचैल यात्रा के दौरान प्रतिदिन आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को चशोती गांव से आठ किलोमीटर आगे मां के भवन तक पहुंचाने के लिए स्थानीय युवक मोटरसाइकिल चलाकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं। क्योंकि आगे चार पहिया वाहन जाने लायक रास्ता नहीं है। केवल बाइक ही आगे जा सकती है।
गुरुवार को बादल फटने से पहले हल्की वर्षा के बीच ये युवा करीब 200 मीटर दूर श्रद्धालुओं का इंतजार कर रहे थे। तभी अचानक बादल फटने के बाद जब चशोती में मौत का सैलाब आया तो सबसे पहले यही चालक जान की परवाह किए बिना राहत और बचाव कार्य में जुट गए।
युवाओं ने कीचड़ और मलबे से निकाले घायल
इन युवाओं ने बिना देर किए मलबे और फिसलन भरी पगडंडियों के बीच से रास्ता बनाया और अपने मोटरसाइकिल को रेस्क्यू वाहनों में बदल दिया। युवाओं ने कीचड़ व मलबे से घायलों को निकालकर मोटरसाइकिलों पर बिठाया। कई चालक एक ही बार में दो-दो घायल श्रद्धालुओं को लेकर पांच किलोमीटर दूर हमोरी लंगर तक पहुंचे।
जहां अस्थायी तौर पर प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कुछ घायलों की हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें ले जाते वक्त भी चालक उनसे बात करते रहे, ताकि उन्हें होश बना रहे।
लंगर में मौजूद मेडिकल असिस्टेंट और यात्रियों में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों ने इन घायलों को तुरंत उपचार दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर ये मोटरसाइकिल चालक मौके पर न होते तो कई घायल दम तोड़ चुके होते।
हाल जानने विधायक और कई अधिकारी भी पहुंचे
इसके बाद आसपास व मचैल मंदिर में तैनात सुरक्षा बल भी मौके पर पहुंच गए। दोपहर दो बजे बड़े स्तर पर बचाव कार्य शुरू हुआ। शाम पांच बजे डीसी किश्तवाड़, एसएसपी, विधायक शगुन परिहार, भाजपा नेता सुनील शर्मा के अलावा पुलिस और प्रशासन के कई अधिकारी भी पहुंचे।
कांपते और कीचड़ से सने घायलों को मिला सहारा…
चशोती में बादल फटने से आए सैलाब ने श्रद्धालुओं को कीचड़ और ठंड में बेहाल कर दिया, लेकिन संकट की इस घड़ी में इंसानियत ने अपनी गर्माहट दी। मलबे की चपेट में आए श्रद्धालु चोटिल थे और उनके कपड़े और बैग कीचड़ में सने थे। ठंड से सभी कांप रहे थे।
ऐसे में जब उन्हें हमोरी लंगर पहुंचाया गया तो वहां पहले से मौजूद लंगर संचालकों व अन्य श्रद्धालुओं ने पूरी मदद की। किसी ने अपने पास उपलब्ध कपड़े उनको पहने को दिए और कुछ ने तुरंत आग जलाकर उन्हें गर्माहट दिलाने की कोशिश की। लंगर में महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए व्यवस्था की गई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।