Kailash Kund Yatra: खराब मौसम के कारण कैलाश कुंड यात्रा सीमित, आम श्रद्धालुओं के यात्रा पर रोक, जानें कितनी दुर्गम है यह यात्रा
ऊधमपुर से कैलाश कुंड की वार्षिक यात्रा इस बार सीमित रूप से आयोजित की जाएगी। सुरक्षा कारणों और खराब मौसम की चेतावनी के चलते केवल पंजीकृत चेले बजंतरे और सहायक कर्मचारी ही यात्रा में भाग ले सकेंगे। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छत्रगला मार्ग को भी बंद कर दिया है।

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर। जिला डोडा की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कैलाश कुंड इस बार परंपरा के पूरे वैभव के साथ नहीं निकल पाएगी।
सुरक्षा और मौसम की चुनौतियों के चलते इस बार केवल चेले, बजंतरे और सहायक स्टाफ ही इस पवित्र यात्रा को कर पाएंगे। इसके लिए भी सभी का पंजीकरण कर कार्ड जारी किए जाएंगे। जिनकी जांच हर पड़ाव पर होगी। कार्ड और पंजीकरण के बिना किसी को नहीं जाने दिया जाएगा। वहीं एक छत्रगला मार्ग को बंद कर दिया गया है। यहां से किसी को भी यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यह रहेगा यात्रा शेड्यूल
डिप्टी कमिश्नर डोडा हरविंद्र सिंह ने अपने वीडियो संदेश में बताया कि इस बार 20 अगस्त को यात्रा भद्रवाह और भाला से रवाना होगी। जो रात को निर्धारित पड़ावों पर रुकेगी। 21 अगस्त को कैलाश कुंड पहुंचेगी। जहां स्नान और दर्शन के बाद रात्रि विश्राम कर यात्रा 22 अगस्त की सुबह वापसी करेगी।
यात्रा को सीमित करने का निर्णय लिया
किश्तवाड़ और कठुआ में हाल ही में बादल फटने की घटनाओं और मौसम विभाग की चेतावनियों को ध्यान में रखते जिला प्रशासन ने यात्रा संचालकों के साथ विचार विमर्श कर इस बार यात्रा को सीमित करने का निर्णय लिया गया है। प्रशासन ने धार्मिक गतिविधियों को रोकने की बजाय यात्रा को नियंत्रित किया है। केवल चेले, बजंतरे और सहायक स्टाफ को ही यात्रा में शामिल होने दिया जाएगा। महिलाओं, पुरुषों, बच्चों और बुजुर्गों सहित किसी भी आम श्रद्धालुओं के यात्रा पर जाने प्रतिबंधित रहेगा, ताकि किसी भी प्रकार की जनहानि से बचा जा सके।
पंजीकरण और कार्ड सिस्टम के तहत होगा यात्रा का संचालन
यात्रा का संचालन सख्त पंजीकरण और कार्ड सिस्टम के तहत होगा। सुंगली और नालठी से चलने वाली यात्राएं 20 अगस्त की रात को हाइन पहुंचेंगी। जहां पंजीकरण कर यात्रियों को कार्ड जारी किए जाएंगे। इन कार्डों को पहनकर ही आगे बढ़ने की अनुमति होगी और हाइन से आगे प्रस्थान करते समय दोबारा जांच होगी। जिसके पास कार्ड नहीं होगा उसे वापस लौटा दिया जाएगा। इसी तरह भाला से निकलने वाली यात्रा का पंजीकरण दराफड़ा मंदिर में किया जाएगा और रात का पड़ाव इशोनधार में होगा। वहां से आगे जाने से पहले सभी कार्डों की जांच की जाएगी।
छत्रगला रूट पूरी तरह रहेगा बंद
प्रशासन ने छत्रगला रूट को पूरी तरह से बंद कर दिया है। पारंपरिक रूप से कठुआ और ऊधमपुर के लोग छत्रगला मार्ग से एक दिन का ट्रेक कर कैलाश कुंड पहुंचते थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से इस मार्ग पर रोक लगा दी गई है। छत्रगला के कठिन ट्रेक पर छह घंटे पैदल चलना पड़ता है, जहां न तो कोई शेड है और न ही आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं। ऐसे में खराब मौसम में वहां समय पर मदद पहुंचाना मुश्किल होगा, इसलिए इस मार्ग को बंद करना जरूरी हो गया।
कठुआ और ऊधमपुर जिला प्रशासन ने भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाते हुए केवल पंजीकृत श्रद्धालुओं को ही यात्रा में शामिल करने की अनुमति दी है। यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है ताकि आस्था के इस बड़े पर्व में कोई अप्रिय घटना न हो।
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