Kishtwar Cloudburst: हर दिल को झकझोर गई सड़क पर सफेद चादरों में लिपटी खामोशी, कैसे भरेंगे इस त्रासदी के घाव?
किश्तवाड़ के चशौती में जल प्रलय के बाद मंजर भयावह था। सैलाब सब कुछ बहा ले गया पीछे मलबा और बेजान शरीर छोड़ गया। सड़क पर शवों की कतार थी मानों खामोशी चीख रही हो। विधायकों ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी। अपनों को खोने वालों की आंखें नम थीं। यह दृश्य इतना हृदयविदारक था कि पत्थर दिल भी पिघल जाए।

जागरण संवाददाता, किश्तवाड़। चशौती में पानी थम चुका था, लेकिन हवा अब भी चीखों से भारी थी। सैलाब अपने साथ सब बहा ले गया और पीछे छोड़ गया था सिर्फ मलबा, कीचड़ और दर्जनों बेजान शरीर। पूरी सड़क पर कतार में रखे दर्जनों शव इस तबाही की खामोश गवाही दे कर हादसे की भयावता की कहानी सुना रहे थे।
वाहनों के चलने के लिए बनाई गई कच्ची सड़क आज स्ट्रेचरों पर रखे निर्जीव शरीरों से भरी हुई थी। विधायक शगुन परिहार, सुनील शर्मा और अन्य लोगों ने मौके पर पहुंच कर एक-एक कर उन सफेद चादरों से ढक कर कुदरत की इस बेरहम मार के कारण जान गंवाने वालों को आखिरी सम्मान देने का प्रयास किया।
शवों को ढकते समय कांप रहे थे हाथ
हर शव पर सफेद कपड़ा डालते समय उनके जानने वालों के हाथ कांप रहे थे, आंखें भीगी थीं। भीड़ में कुछ लोग सिर्फ खड़े थे और उनकी नजरें जमीन पर गड़ी हुईं। माहौल शांत था मगर कुदरत की क्रूरता की कहानी चीख-चीख कर हर किसी को बता रहा था। कुछ लोग शवों के पास से पैदल गुजर कर जा रहे थे, उनके भी चेहरों पर अफसोस और दुख का भाव था।
ऐसा मंजर कभी नहीं देखा होगा
यह नजारा इतना हृदय विदारक था कि पत्थरों जैसे सख्त दिल भी पिघल जाएं। सफेद चादरों में लिपटी एक अंतहीन खामोशी का जो मार्मिक और खौफनाक मंजर आज चशोती और वहां मौजूद लोगों ने देखा वह शायद ही जीवन में कभी देखा होगा और यह किसी के लिए भी भुलाना आसान नहीं होगा।
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