प्रोजेक्ट बनने के बाद भी क्या निर्मल हो पाएगी देविका?
अमित माही ऊधमपुर ऊधमपुर को पहचान देने वाली देविका अपने लोगों द्वारा दिए जख्मों के कार

अमित माही, ऊधमपुर
ऊधमपुर को पहचान देने वाली देविका अपने लोगों द्वारा दिए जख्मों के कारण बिलख रही हैं। दशकों से उपेक्षित रवैये के कारण देविका मैली होने के साथ ही उनका स्वरूप भी बदल चुका है। शहर में तो यह नाला बन चुकी है। अब राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल कर इसके लिए प्रोजेक्ट बना कर सर्वे तो शुरू कर दिया गया है। मगर प्रोजेक्ट के बाद भी देविका का उसका पुराना स्वरूप लौट पाने को लेकर लोग के मन में आज भी संशय बरकरार है। क्योंकि अतिक्रमण और देविका में पानी की व्यवस्था ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें जानकारों के मुताबिक प्रोजेक्ट में दरकिनार किया गया है।
देविका मां गांगा की बड़ी बहन होने के कारण पावन देविका ऊधमपुर के लोगों की आस्था का केंद्र है। तकरीबन साढ़े पांच लाख की आबादी वाले ऊधमपुर को देवकनगरी के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम यहां बहने वाली देविका नदी के कारण मिला है। देविका का शास्त्रों में मां पार्वती तथा गंगा की बड़ी बहन के रूप में उल्लेख है। नदी का उद्गम चनैनी विधानसभा के सुद्धमहादेव स्थित बेणिसंगम में हुआ है। चनैनी के बाद इसके साक्षात दर्शनों का सौभाग्य जिन चंद स्थानों पर होता है,उसमें से एक ऊधमपुर है। लेकिन लोगों की आस्था का केंद्र यह नदी सरकार, प्रशासन और लोगों की लापरवाही के कारण इस कद्र प्रदूषित हो चुकी है कि इसके अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।
प्रदूषण का मुख्य कारण सीवरेज व्यवस्था न होना
देविका में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह ऊधमपुर में सीवरेज व्यवस्था न होना है। जिस वजह से 30 फीसद से ज्यादा घरों के शौचालयों की गंदगी नालों में गिरती है। ऐसे दर्जन भर नाले पवित्र देविका और उसके सहायक दूधगंगा में गिरते हैं। देविका की बदहाली के साथ यह राजनीति का केंद्र भी बनी रही।
प्रोजेक्ट बनाने में हुई अनदेखी
अब राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल कर पावन देविका नदी के साथ सूर्यपुत्री तवी नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 186.74 प्रोजेक्ट बना कर मंजूरी दे गई है। इसका शिलान्यास भी प्रधानमंत्री ने कर दिया है और निर्माण एजेंसी ने मैपिग के लिए सर्वे भी शुरू कर दिया है। मगर इस प्रोजेक्ट को क्रियान्यवय करने से पहले कई अहम चीजों को नजरंदाज करने से देविका को खास फायदा होने की उम्मीद नहीं है। जानकारों का मानना है कि जिस तरह का प्रोजेक्ट बनाया गया है। वह सीवरेज व्यवस्था पर केंद्रित है। जबकि देविका को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए समग्र प्रोजेक्ट बनाने की जरूरत है। इस प्रोजेक्ट से सीवरेज देविका में गिरना तो बंद होगा, लेकिन देविका पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त शायद ही हो सकेगी।
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प्रोजेक्ट की राह में अतिक्रमण चुनौती
देविका और उसे प्रदूषण मुक्त बनाने की राह में सबसे बड़ी चुनौती अतिक्रमण है। जानकारों के अनुसार देविका का 70 प्रतिशत क्षेत्र पर अतिक्रमण है, जिस कारण देविका का आकार काफी सिकुड़ चुका है। देविका के अस्तित्व की लड़ाई लड़ने वाले समाज सेवी अनिल पाबा के अनुसार राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम के तहत देविका के लिए तैयार प्रोजेक्ट में अतिक्रमण हटाने की व्यवस्था नहीं है। जबकि जानकारों के मुताबिक देविका को उसका पावन और पुराना स्वरूप लौटाने के लिए अतिक्रमण को हटाना अनिवार्य है। इसके साथ ही देविका की जमीन कितनी है, इसे लेकर निशानदेही भी अभी तक नहीं करवाई गई है।
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पहले बने प्रोजेक्टों से फायदे से अधिक हुआ नुकासान
देविका नदी को प्रदूषण मुक्त बना कर उसका पुराना स्वरूप लौटाने के लिए कई प्रोजेक्ट बने हैं। मगर हर प्रोजेक्ट ने फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। देविका में सांई मंदिर के पिछले हिस्से में लाखों रुपये खर्च कर सेनिमेंटेशन प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट बना, कुछ काम शुरू भी हुआ, मगर बीच में ही बंद हो गया। इसके बाद यूईईडी ने दूषित नालों के पानी को मोड़ने के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया। इसके लिए बनाए गए नाले की खोदाई से देविका की प्राकृतिक कोरजें नष्ट हो गई। इसके साथ ही देविका नदी के स्नान कुंडों को कंक्रीट से पक्का कर दिया गया, जिससे प्राकृतिक कोरजों से पानी आना बंद हो गया। फिर करोड़ों रुपये खर्च कर देविका में सुरक्षा दीवार बनवाई गई। इससे देविका नदी का प्राकृतिक स्वरूप एक दूषित नाले में तब्दील हो गया। एक दशक से ज्यादा समय पहले नगर परिषद 74 करोड़ का एसटीपी प्रोजेक्ट बनवाया और आइडीएसएसएमटी के तहत सीवरेज के लिए प्रस्ताव बना, मगर यह भी फाइलों में गुम हो गए। इकनॉमिक आपर्चुनिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम(ईओडीपी) के तहत सीवरेज के लिए सर्वे कर प्रोजेक्ट बना, जिसे आज तक मंजूरी नहीं मिली। यूआइडीएसएसएमटी के तहत बनने वाला प्रोजेक्ट निर्माण एजेंसी को लेकर खींचतान में उलझ कर अटक गया। ------------------------------------------------
प्रोजेक्ट में पूरी देविका भी शामिल नहीं
राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल करने के बाद बनाए गए प्रोजेक्ट में पूरी देविका को शामिल नहीं किया गया है। जबकि देविका संरक्षण के लिए पूरी नदी को शामिल किया जाना चाहिए था। ऊधमपुर में देविका गंगे़ड़ा से नैनसू तक बहती है। इस पूरे क्षेत्र में प्रदूषित है, जबकि प्रोजेक्ट में एमएच से ओमाड़ा तक शामिल किया गया है। प्रोजेक्ट में गंगेड़ा से लेकर नैनसू तक तो देविका को शामिल करना ही चाहिए था। साथ ही बेणिसंगम से पानी को लाकर देविका में डालने का प्रावधान होना चाहिए। यह प्रोजेक्ट उनके द्वारा सौंपे गए ज्ञापन को ध्यान में रख कर शामिल नहीं किया गया है। न ही इस प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोगों व जानकारों से कोई परामर्श किया जा रहा है। इससे संशय है कि प्रोजेक्ट देविका को स्वच्छ बना पाएगा।
अनिल पाबा, समाज सेवक
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-देविका को नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल कर प्रोजेक्ट बना दिया गया। मगर आज तक बनाई गई डीपीआर सार्वजनिक नहीं की गई। जिससे पता चल सके कि क्या होगा और कैसे होगा। देविका में पानी कहां से आएगा, क्योंकि सीवरेज को मोड़ कर 2002 में देखा जा चुका है। देविका में पानी ही सूख गया था। एसटीपी लगाने की बात है, मगर इनको संचालित करने के लिए जो मासिक खर्च है, वह कहां से और कैसे प्राप्त होंगे। क्या व्यवस्था है। स्पष्ट नहीं है। संचालित करने की पूरी व्यवस्था न होने से एसटीपी चल नहीं पाएंगे। यह एक और बड़ी समस्या हो जाएगी। देविका का 70 फीसद के करीब इलाके में अतिक्रमण है। इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं है और न ही पूरी देविका को प्रेजेक्ट में शामिल किया है। जिस वजह से नैनसू क्षेत्र के कई गांव नाराज हैं और चुनाव बहिष्कार तक करने की बात कर रहे हैं।
बलवंत सिंह मनकोटिया, पैथर्स पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष
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राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम में देविका को शामिल कर प्रोजेक्ट का नाम देविका दे दिया गया। मगर वास्तव में देखा जाए तो इस प्रोजेक्ट में देविका के लिए 10 करोड़ रुपये रखा है, वह भी केवल ढांचागत विकास और सौंदर्यीकरण के लिए। शेष पैसा सीवरेज बिछाने के लिए है। देविका की स्वच्छता के लिए प्रमुख मुद्दा अतिक्रमण और देविका में पानी की व्यवस्था करना है। इन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। देविका पर गंगेड़ा से लेकर ओमाड़ा तक 70 फीसद से ज्यादा अतिक्रमण है। इसे हटाए बिना प्रोजेक्ट सफल नहीं होगा। देविका का पानी रेलवे टनल निर्माण से प्रभावित हुआ, उस पानी को लाने के लिए भी कुछ नहीं किया गया। देविका से जुड़े लोगों से कोई परामर्श या सुझाव तक नहीं लिये जा रहे।
पंचमुखी हनुमान मंदिर के प्रबंधक, एडवोकेट सुरिद्र खजूरिया
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ऊधमपुर जिला एक नजर
जिला मुख्यालय : ऊधमपुर
क्षेत्रफल : 2380 वर्ग किलोमीटर
शहर : 4 (ऊधमपुर, रामनगर, चनैनी व कुद)
कुल आबादी : 554985
पुरुष : 296784
महिलाएं : 258201 ग्रामीण आबादी : 446777
साक्षरता : 68.49
शहरी आबादी : 108208
लिगानुपात : 863 महिलाएं प्रति हजार पुरुष
सब डिविजन : 4
तहसील : 8
ब्लॉक : 17
नगर परिषद : 1 (ऊधमपुर)
नगर पालिका : 2 (रामनगर व चनैनी)

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