माता वैष्णो देवी की कृपा ने बनाया भजन लेखक
कटड़ा नई दिल्ली के पहाड़गंज के गली डोर वाली निवासी अनिल कात्याल किसी परिचय के मोहताज न
कटड़ा : नई दिल्ली के पहाड़गंज के गली डोर वाली निवासी अनिल कात्याल किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, क्योंकि उनके द्वारा लिखे भजन और भेंटें माता वैष्णो देवी के भवन पर सुबह व शाम की दिव्य आरती में गायकों द्वारा निरंतर गाई जा रही हैं। अनिल कात्याल बचपन से ही मां वैष्णो देवी के अनन्य भक्त हैं। अब तक करीब 6000 भजन व भेंटें लिख चुके हैं। भेंटों व भजनों के संग्रह की तीन पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं और चौथी पुस्तक भी लगभग तैयार है, जिसका विमोचन जल्द ही मां वैष्णो देवी के भवन पर होगा। अनिल एक श्रद्धालु से कैसे लेखक बने, किससे प्रेरणा मिली, इस पर दैनिक जागरण के संवाद सहयोगी राकेश शर्मा ने अनिल कात्याल से बातचीत की। प्रस्तुत है मुख्य अंश : माता वैष्णो देवी के भक्त होने के साथ भजन लेखक कैसे बने?
मैं बचपन से ही माता-पिता के साथ माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आता रहा। मां के दरबार मे सुबह व शाम की दिव्य आरती में भजन व भेंटें मुझे आकर्षित करती थी। वहीं से लिखने की इच्छा प्रबल हुई। वर्ष 2016 में दिल्ली के मां झंडेवाली मंदिर में मां वैष्णो देवी की चौकी का आयोजन था। मुझे जल्दी में भजन लिखने के लिए कहा गया। तभी मैंने मां वैष्णो देवी को नमन किया और भजन लिखा। वहीं से सफर शुरू हो गया। कौन-कौन से गायक आपके भजन गा चुके?
पद्मश्री हंस राज हंस, लखविदर लक्खा, विपिन सचदेवा, पंकज राज, अमित सैनी, लता परदेसी, उमा लहरी, स्व. विनोद अग्रवाल आदि ने उनके भजन गाए हैं। आपके इस सफर में प्रेरणास्त्रोत कौन-कौन हैं?
सबसे पहले जगत जननी मां वैष्णो देवी, मेरी पत्नी मीनू, बेटी अंबिका व आयशा, जो कदम कदम पर मेरा उत्साह बढ़ा रही हैं। नामी कंपनी टी-सीरीज के साथ ही देश की कई प्रसिद्ध म्यूजिक कंपनियों में मेरे भजन व भेंटे निरंतर रिकॉर्ड हो रही हैं।
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