ईट भट्ठा से मुक्त कराए गए 68 बंधुआ मजदूर
संवाद सहयोगी, रियासी : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और उससे संबंधित एक्शन एंड कोर कमेटी
संवाद सहयोगी, रियासी : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और उससे संबंधित एक्शन एंड कोर कमेटी रियासी ने जिला प्रशासन के सहयोग से पौनी ब्लॉक के लेतर गांव में स्थित एक ईट भट्ठा से 68 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया है। मुक्त करवाए गए 68 लोगों में से 26 पुरुष, 16 महिलाएं और 26 बच्चे शामिल हैं। मुक्त करवाए गए लोगों ने ईट भट्ठा के मालिक पर उनका शोषण करने और अधिकारों के हनन का आरोप लगाया है। इस मामले को रियासी के डीसी प्रसन्ना रामास्वामी ने भी काफी गंभीरता से लिया है और उन्होंने मुक्त करवाए गए लोगों से बातचीत की तथा अगली कार्रवाई के लिए अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए।
शुक्रवार दोपहर को मानवाधिकार आयोग के सदस्य जिला प्रशासन और पुलिस की टीम सहित लेतर गांव स्थित बीबीके ईट भट्ठा पर पहुंचे। उस समय वहां कोई श्रमिक नहीं दिखा। इसी बीच टीम को सूचना मिली कि श्रमिकों को ईट भट्ठा मालिकों ने समीप के जंगलों में भागकर छिपने के लिए कहा था। इसके बाद टीम ने जंगलों से खोजबीन कर वहां छिपे श्रमिकों को ढूंढ निकाला। सभी श्रमिकों को उनके सामान सहित रियासी लाया गया।
शनिवार को स्थानीय पार्क में रियासी डीसी प्रसन्ना रामास्वामी ने श्रमिकों से मुलाकात की। इस दौरान श्रमिकों ने उक्त ईट भट्ठा मालिक के अलावा जम्मू और कश्मीर के कई और ईट भट्ठा मालिकों पर उनका शोषण करने का आरोप लगाया। डीसी की मौजूदगी में सभी श्रमिकों के बयान दर्ज करने के साथ ही उनकी वीडियोग्राफी भी की गई, जिसके बाद उनमें से कई बीमार श्रमिकों का जिला अस्पताल में उपचार करवाया गया। पार्क में ही उनके भोजन, पानी की व्यवस्था भी की गई।
डीसी प्रसन्ना रामास्वामी ने कहा कि प्रशासन की नाक तले यह सब हो रहा था और इसकी किसी को खबर न होना सामान्य बात नहीं है। उन्होंने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए कहा कि इसके लिए जो भी दोषी होंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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संगठन ने अपने स्तर पर दो माह तक की गहन जांच
लेतर में ईट भट्ठे पर बंधुआ मजदूरी का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन और उससे संबंधित एक्शन एड कोर कमेटी के प्रयास से सामने आया। संगठन व कोर कमेटी के सदस्य चंदन कुमार ने कहा कि उनकी संस्था पिछले 10 सालों से बंधुआ मजदूरों को ध्यान में रखकर काम कर रही है। रियासी जिला में स्थित इस ईट भट्ठा पर बंधुआ मजदूरी का पता चलने पर उन्होंने पहले तो अपने स्तर पर लगभग दो माह तक गहनता से इसकी जांच की। वहां बंधुआ मजदूरों के होने की पुष्टि होने पर उन्होंने अपने साथी निर्मल गोरना और दीपक के साथ रियासी जिला प्रशासन को इससे अवगत कराया। जिसके बाद प्रशासन की मदद से ईट भट्ठा से बंधुआ मजदूरों को मुक्त करवाने में सफलता मिली। सभी बंधुआ मजदूर दलित वर्ग के लोग हैं और काफी गरीब और पिछड़े हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो पूरा देश विकास और नए साल के आगमन के जश्न में डूबा है तो इधर ये बंधुआ मजदूर लोगों के गुलाम बनकर शोषण का शिकार हो रहे हैं, जो बेहद शर्मनाक है।