बाण गंगा में स्नान का है विशेष महत्व
राकेश शर्मा, कटड़ा मां वैष्णो देवी यात्रा के रास्ते पड़ने वाले प्रथम पड़ाव बाण गंगा का अपना विशेष मह
राकेश शर्मा, कटड़ा
मां वैष्णो देवी यात्रा के रास्ते पड़ने वाले प्रथम पड़ाव बाण गंगा का अपना विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त बाण गंगा में स्नान करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं। बाण गंगा का यह पड़ाव कटड़ा से करीब डेढ़ किमी दूरी पर स्थित है। इस गंगा का प्रादुर्भाव मां वैष्णो देवी के द्वारा त्रिकुटा पर्वत पर हुआ है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब मां वैष्णवी भैरो बाबा से पीछा छुड़ाकर त्रिकुटा पर्वत की ओर जा रही थी तो उन्हें प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान मिले। उन्होंने मां वैष्णवी से पूछा कि आप इतनी शीघ्रता से कहां जा रही हैं। माता ने उनसे भैरो घटना का पूरा वृतांत बताया। उसके बाद हनुमान जी ने मां भगवती से कहा कि मां मुझे बहुत प्यास लगी है। तो मां भगवती ने अपने दिव्य बाण द्वारा पर्वत से पानी निकाल वीर हनुमान की प्यास बुझाई।
ऐसी भी मान्यता है कि मां वैष्णो देवी ने यहां पर अपने केश भी धोए थे। इसलिए इस पवित्र जल स्रोत को बाण गंगा व बाल गंगा के नाम से भी जाना जाता है। भक्त यात्रा करने से पूर्व बाण गंगा में अवश्य स्नान करते हैं। फिर भवन की चढ़ाई करते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।