डोगरी सुहाग गीत के हैं खास मायने
संवाद सहयोगी, ऊधमपुर : शाही-विवाह में पारंपरिक डोगरी सुहाग गीत गाने की परंपरा विलुप्त होती जा रही है ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, ऊधमपुर : शाही-विवाह में पारंपरिक डोगरी सुहाग गीत गाने की परंपरा विलुप्त होती जा रही है। अब इसकी जगह पंजाबी व फिल्मी गीतों ने ले ली है, लेकिन डोगरी परंपरा को अपनी आवाज और गीतों के माध्यम जीवंत रखने के लिए पिछले सात वर्ष से पोली गुप्ता जद्दोजहद कर रही है। वह कहती हैं कि शादी-विवाह के इस पारंपरिक गीत के भी अपने खास मायने हैं।
स्कूल के समय से ही डोगरी भाषा में भजन व सुहाग के गीत लिखने व गाने का शोक रखने वाली पोली गुप्ता ने बताया कि उसे शुरू से ही अपनी मातृभाषा डोगरी से बेहद लगाव था। रामनगर में रहने के कारण उस क्षेत्र में ज्यादातर इसी भाषा का प्रयोग किया जाता है। जिस कारण उन्होंने डोगरी भाषा व गीतों को जन जन तक पहुंचाने के लिए डोगरी में भजन व शादियों में गाये जाने वाले सुहाग लिखना शुरू किया। पहले उसकी शादी ऊधमपुर में होने के बाद भी उसने डोगरी से अपने स्नेह को कम नहीं होने दिया। ऊधमपुर में भी कई जगरातों में डोगरी भजन प्रस्तुत करती हैं। कई समाजसेवी संस्थाओं की ओर से डोगरी भाषा को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित भी किया गया।
पोली गुप्ता ने बताया कि आज के आधुनिक समय में युवा वर्ग डोगरी भाषा को भूलता जा रहा है। आज शादियों में डोगरी सुहाग व गानों का स्थान हिंदी व पंजाबी गानों ने ले लिया है। जिस कारण उन्होंने इस भाषा को जीवित रखने के साथ साथ युवा वर्ग को इस भाषा से जोड़ने के लिए कई प्रयास किये। कई स्कूलों के विद्यार्थियों को डोगरी गीतों को गाने के लिए प्रेरित किया। उसने बताया कि अब वह किसी भी कार्यक्रम में केवल डोगरी भाषा में ही गाना पंसद करती हैं।

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