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    राज्यसभा चुनाव: 3 सीटें जीतने के बाद भी क्यों ठगा महसूस कर रही नेकां? क्रॉस वोटिंग से सवालों के घेरे में कई पार्टियां

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 10:37 AM (IST)

    नेशनल कांफ्रेंस को क्रॉस वोटिंग के कारण नुकसान हुआ, जिससे उनके उम्मीदवार इमरान नबी डार को कम वोट मिले। 58 विधायकों के समर्थन के बावजूद, रणनीति में चूक हुई। भाजपा को सात विधायकों की क्रॉस वोटिंग और अतिरिक्त वोट से फायदा हुआ। पीडीपी ने कोई पोलिंग एजेंट नहीं रखा, जबकि कांग्रेस के एजेंट निजामदीन बट थे। 

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    राज्यसभा चुनाव: 3 सीटें जीतने के बाद भी क्यों ठगा महसूस कर रही नेकां? फोटो जागऱण

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश की आवाज राज्यसभा में चार वर्ष बाद पहली बार गूंजेगी। लेकिन यह आवाज किसकी होगी, इसके लिए शुक्रवार को हुए मतदान और चुनाव परिणाम के बाद सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस तीन सीटों पर जीत के बावजूद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। 28 सदस्यों वाली भाजपा 32 वोट प्राप्त कर उसकी नाक के तले से एक सीट ले गई।

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    तीन सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस को मिली हैं, लेकिन इस पूरे प्रकरण के बाद गैर भाजपा दलों के अलावा निर्दलीयों समेत सात विधायक सवालों के घेरे में आ गए हैं। इन विधायकों की क्रॉस वोटिंग, विधायकों द्वारा जानबूझकर गलत तरीके से वोट डालने अथवा अपने वोट को अवैध बनाने और सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक उम्मीदवार के लिए जानबूझकर अतिरिक्त वोट डालने से भाजपा के सत शर्मा को जीत मिली है।

    जम्मू-कश्मीर के राज्यसभा के चुनाव में पहली बार क्रॉस वोटिंग

    जम्मू-कश्मीर के राज्यसभा के चुनाव में पहली बार ऐसी क्रास वोटिंग हुई है। इससे राज्यसभा चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन और उसके सहयोगी दलों के पेालिंग एजेंटों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस की चुनावी रणनीति और अपने प्रत्याशियों की जीत के लए बनाए गए वोटिंग ब्लॉक पर भी सवाल उठने लगा है।

    राज्यसभा चुनावों में क्रास वोटिंग से राजनीतिक पार्टियों के बीच जुबानी जंग शुरू होने की उम्मीद है और यह आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। जम्मू-कश्मीर की राज्यसभा में रिक्त चार सीटों में से पहली दो सीटों के लिए दो अलग अलग अधिसूचनाएं जारी हुई थीं और तीसरी व चौथी सीट के लिए एक ही अधिसचूना जारी की गई थी।

    किसको कितने वोट मिले

    पहली अधिसूचना के आधार पर हुए मतदान में सत्ताधारी नेशनल कानफ्रेंस के चौ मोहम्मद रमजान को 58 और भाजपा के अली मोहम्मद मीर को 28 वोट मिले और एक वोट रद हो गया। दूसरी अधिसूचना के तहत हुए चुनाव में नेशनल कान्फ्रेंस के सज्जाद अहमद किचलू को 56 वोट मिले और भाजपा उम्मीदवार को 29 वोट मिले।

    दो अन्य वोट रद किए गए। तीसरी अधिसूचना के तहत हुए मतदान में नेशनल कान्फ्रेंस के शम्मी ओबेराय को 31, भाजपा के सत शर्मा को 32 और नेशनल कान्फ्रेंस के इमरान नबी डार को 21 वोट मिले। तीन वोट रद हुए हैं।

    तीसरी अधिसूचना के तहत जो मतदान हुआ है, उसके आधार पर देखा जाए तो शम्मी ओबेराय 29 वोट लेकर भी जीत सकते थे,लेकिन आराम से जीतने के लिए 30 वोट चाहिए थे।

     इसलिए 31 वोट मिलने पर कहा जा सकता है कि उन्हें एक वोट ज्यादा मिला है जो उनकी ही पार्टी के दूसरे उम्मीदवार इमरान नबी डारको मिलना चाहिए।

    इमरान नबी डार जिने 28 या 29 वोट मिलने चाहिए थे और नेशनल कान्फ्रेंस को पूरा यकीन था कि उन्हें 29 वोट मिलेंगे, लेकिन मिले मात्र 21 वोट जो उनकी जीत के लिए जरुरी वोटों से आठ या नौ वोट कम है।

    नेशनल कान्फ्रेंस के दो उम्मीदवारों को 58 विधायकों का समर्थन था। इनमें नेशनल कान्फ्रेंस के 41, कांग्रेस के छह, पीडीपी के तीन, माकपा का एक और सात निर्दलीय थे और यह तीसरी व चौथी सीट पर नेशनल कान्फ्रेंस की जीत केा सुनिश्चित बनाने के लिए काफी थे।

    नेशनल कान्फ्रेंसने तीसरी व चौथी सीट पर जीत को सुनिश्चित बनाने के लिए जो रणनीति बनाई थी या उसने विधायकों का जो ब्लाक तैयार किया था,उसे लेकर अभी नेशनल कान्फ्रेंस ने चुप्पी साध रखी है,लेकिन भाजपा की जीत से स्पष्ट हो गया है कि सात विधायकों के क्रास वोटिंग,अपने वोटों को जानबूझकर अमान्य बनाने और जानबूझकर एक अतिरिक्ति वोट से ही उसे लाभ पहुंचा है।

    यहां यह बताना भी असंगत नहीं होगा कि नेशनल कानफ्रंंस ने शौकत और कांग्रेस ने विधायक निजामदीनए बट को अपना पोलिंग एजेंट बनाया था जबकि पीडीपी ने अपना कोई पोलिंग एजेंट नहीं रखा था। इससे पीडीपी के विधायकों ने किसे वोट डाला, यह सत्यापित करने वालाउसका कोई पोलिंग एजेंट नहीं है।

    कांग्रेस के निजामदीन बट के लिए कोई वैकल्पिक पोलिंग एजेंट नहीं था। निजामदीन बट ने कहा कि मेरे अन्य साथी विधायकों ने नेशनल कान्फ्रेंस के उम्मीदवारों को ही वोट दिया है जब मैने वोट डाला तो हमारा वहां कोई पोलिंग एजेंअ नहीं था,मैने अपने वोट को खुद अच्छी तरह से देखा और उसे मतपेटी में डाला। अलबत्ता,निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए अपने वोट को मतपेटी में डालने से पूर्व किसी पोलिंग एजेंट को नहीं दिखाना होता है।

    वह किसी को भी वोट डाल सकते हैं जबकि राजनीतिक पार्टियों से जुड़े विधायकों को अपने मार्क किए गए वोटों को बैलेट बॉक्स में डालने से पहले अधिकृत पोलिंग एजेंटों को दिखाना होता है। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि नेशनल कान्फ्रेंस ने पीउीपी विधायकों को इस बात के लिए मनाया था कि वह शम्मी ओबराय के बजाय इमरान नबी डार के समर्थन में वोट डालें। पीडीपी विधायक इस पर राजी हो गए थे।