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    'काली रात में निकले थे, दिन के उजाले...', नम आंखों से बोले कश्मीरी हिंदू, मीरवाइज बोले- यह टूटे रिश्ते जोड़ने का वक्त, फारूक अब्दुल्ला ने भी कही बड़ी बात

    Updated: Sat, 15 Jun 2024 04:11 PM (IST)

    मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कहा कि कश्मीरी हिंदू वापस अपने घरों में आए हैं और ठीक वैसे ही रहें जैसे 1990 में यहां से जाने से पहले अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ रहते थे। यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी नस्लों के लिए कश्मीर में फिर कश्मीरी हिंदू और कश्मीरी मुसलमान के बीच सौहार्द समन्वय और सहयोग का वातावरण तैयार करके जाएं।

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    Kashmiri Hindu: कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी पर किसने क्या कहा।

    जागरण ब्यूरो, तुलमुला (गांदरबल)। गांदरबल जिले के तुलमुला में मां राघेन्या देवी को समर्पित क्षीर भवानी मेला शुक्रवार को धूमधाम से मनाया गया। मेले में देश के विभिन्न भागों से हजारों कश्मीरी हिंदू पहुंचे हैं। कश्मीरी हिंदुओं ने माता की पूजा कर घाटी में सम्मानपूर्ण वापसी की उम्मीदों की दीये जलाए।

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    पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने कहा कि क्षीर भवानी मेला सांस्कृतिक विरास और सांप्रदायिक सौहार्द की परम्परा का प्रतीक है। यह मेला हमें याद दिलाता है कि यहां विविध समुदाय हमेशा से एक दूसरे के साथ सौहार्द और प्रेमपूर्ण वातावरण में मिलकर रहते आए हैं। हमें इस रिश्ते को इस सौहार्द को और मजबूत बनाना है। कुछ ताकतें इस सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ना चाहती हैं, हमें उन्हें विफल बनाना है।

    क्या बोले फारूक अब्दुल्ला

    नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरी मुस्लिम और कश्मीरी हिंदू एक ही हैं। दोनों को अपना भाईचारा मजबूत बनाए रखना है। मैं चाहता हूं कि हमारे कश्मीरी हिंदू भाइयों को वापस अपने घरों में लौटना चाहिए।

    उनके बिना कश्मीर अधूरा है। मैं चाहता हूं कि वह अपने बाप-दादा के घरों में लौटें। हमने आज यहां पूरे देश में शांति और सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की दुआ की है।

    इसमें कोई सियासत नहीं- इल्तिजा

    इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि क्षीर भवानी मेला कश्मीरी हिंदू भाई-बहनों का एक पवित्र त्योहार है। मैं उन्हें इसकी मुबारकबाद देने आयी हूं। इसमें काई सियासत नहीं है और न होनी चाहिए।

    हिंदू दोस्तों से मिलने आए मुस्लिम

    कश्मीरी हिंदू वेलफेयर सोसाइटी के प्रेस सचिव चुन्नी लाल ने कहा कि यह मेला हमारे लिए मिलनस्थली भी है। यह हमें हमारी परम्पराओं से जोड़ता है। मेले में दुनियाभर से आए कश्मीरी हिंदू नजर आएंगे। कई मुस्लिम भी दिखेंगे जो मेले में सिर्फ अपने पुराने कश्मीरी हिंदू दोस्तों-पड़ोसियों और उनके परिजनों से मिलने के लिए यहां आए हैं।

    यह टूटे रिश्ते जोड़ने का वक्त- मीरवाइज

    ऑल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कश्मीरी हिंदुओं से कश्मीर में अपने पैतृक घरों में लौटने की अपील कर कहा कि टूटे रिश्तों को जोड़ने और एक-दूसरे के साथ मिलकर कश्मीरियत को फिर से बहाल करने का यही समय है।

    जामिया मस्जिद में नमाज-ए-जुमे से पूर्व अपने खुतबे में उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं को क्षीर भवानी मेले की मुबारकबाद भी दी। मेला क्षीर भवानी कश्मीरी हिंदुओं को प्रमुख पर्व है। मीरवाइज ने कहा कि कश्मीरी हिंदू हमारे अपने भाई-बहन हैं। हम एक ही परिवार का हिस्सा हैं।

    बिना कश्मीरी हिंदुओं के कश्मीर व कश्मीरी मुसलमान अधूरे हैं। यह वादी उन्हें वापस बुला रही है। जामिया मस्जिद से मीरवाइज ने कहा कि कश्मीर उनकी मातृभूमि है। कश्मीरी हिंदू वापस अपने घरों में आए हैं और ठीक वैसे ही रहें जैसे 1990 में यहां से जाने से पहले अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ रहते थे।

    यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी नस्लों के लिए कश्मीर में फिर कश्मीरी हिंदू और कश्मीरी मुसलमान के बीच सौहार्द, समन्वय और सहयोग का वातावरण तैयार करके जाएं।

    बेशक हमारी कश्मीर में वापसी नहीं हो पाई है, लेकिन हालात इतने बदल गए हैं हम यहां बेखौफ होकर मेले में घूम रहे हैं। हम बेशक काली रात में यहां से खाली हाथ निकले थे, लेकिन जल्द ही दिन के उजाले में पूरे सम्मान और विश्वास से घर लौटेंगे, इसी उम्मीद का यह मेला है। -शादी लाल कौल, कश्मीरी हिंदू

    अभी मैं गुरुग्राम में रह रहा हूं। कश्मीर में बसने का दिल करता है, लेकिन नौकरी तो गुरुग्राम में हैं, पत्नी भी वहीं काम कर रही है। कुछ रिश्तेदार जम्मू में हैं और अन्य दिल्ली, फरीदाबाद और पुणे में हैं। कुछ विदेश चले गए। बस मां राघेन्या का यह मेला हमें यहां खींच लाता है। यह मेला हमें हमारी जड़ों अलग नहीं होने देता। -अनिल, कश्मीरी हिंदू

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