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    'जितना कम कहूं, उतना ही बेहतर', स्वतंत्रता दिवस पर CM उमर ने अपनी सरकार की तुलना टांग बंधे घोड़े से की

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 04:54 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी सरकार की तुलना बंधे घोड़े से करते हुए चुनौतियों का वर्णन किया। उन्होंने उपराज्यपाल पर कैबिनेट के फैसलों को बदलने का आरोप लगाया। सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य के विशेष दर्जे की बहाली के लिए प्रस्ताव पारित किए।

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    स्वतंत्रता दिवस पर CM उमर अब्दुल्ला क्या बोले। फोटो सीएम एक्स

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को अपनी सरकार की तुलना उस घोड़े से की जिसकी दोनों टांगें बंधी हुई हैं। उन्होंने उपराज्यपाल का नाम लिए बगैर कहा कि हमें नहीं पता था कि यहां कैबिनेट के फैसलों को बिना कैबिनेट की मंजूरी के बिना बदलने का प्रयास किया जाएगा।

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    इसके बावजूद हमने बीते 10 माह में जितना कर सकते थे ,उतना किया है। हमने विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे की बहाली के प्रस्ताव पारित किए। आज यहां बख्शी स्टेडियम में 59वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में ध्वजारोहण करने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने अपनी सरकार के समक्ष चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं जितना कम कहूं, उतना ही बेहतर होगा।

    उन्होंने कहा कि आज मेरे भाषण के बाद कुछ लोग कहेंगे कि जब आपको पता था कि यह हालात होंगे तो आप क्यों आए, क्यों सरकार बनाई। मेरी आंखें बंद नहीं थी, मुझे पता था कि यह चुनाव एक केंद्र शासित प्रदेश के तहत हो रहा है और मुझे पता था कि मुझे कुछ समय के लिए एक केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में ही काम करना होगा।

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कैबिनेट के फैसलों के कार्यान्वित न होने पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का नाम लिए बगैर कहा कि मुझे पता था कि कुछ समय तक मुझे केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के हिसाब से काम करना होगा। लेकिन यह इतना मुश्किल होगा, मुझे अहसास नहीं था। मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि केबिनेट के फैसले केबिनेट की मंजूरी के बिना बदलने का प्रयास किया जाएगा, कैबिनेट के फैसलों कों ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। उनको मंजूरी नहीं दी जाएगी।

    उन्होंने कहा कि अगर आप इस सरकार की बराबरी करना चाहें तो आप एक घोड़ा ले लीजिए, उसकी दोनों अगली टांगे बांध दें और उसे भागने के लिए कहें। उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने में बहुत तकलीफ होगी, उसे कई मुश्किलों का सामना करना होगा, वह अपनी मर्जी की रफ्तार से नही चल पाएगा।

    हमारी भी यही हालत है, हमें हुकूमत दी गई है,हुकूमत के पास अधिकार हैं,लेकिन हमारे पीठ के पीछे बांधे गए हैं। इसके बावजूद अगर यह कहें कि हमने बीते 10 माह में कुछ नहीं किया तो गलत होगा।

    हमने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव विधानसभा में पास कराया, जम्मू कश्मीर को राज्य का दजा मिले, केबिनेट में प्रस्ताव पारित किया।

    हमने यहां लोगों के रोजगार के लिए, उनकी बुनियादी सुविधाओं के लिए, उनके रोजमर्रा के मसलों के हल के लिए, हमने पर्यटन विकास के लिए, हमने शिक्षा औ स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए हर संभव कदम उठाया है।