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    J&K News: विधानसभा में गूंजेगा मांड वेस्ट में तीन वर्ष से जमा हजारों टन कचरे का मुद्दा, हो पाएगा स्थायी समाधान?

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 08:49 PM (IST)

    ऊधमपुर के मांड वेस्ट में जमा कचरे का मुद्दा विधानसभा तक पहुंचा। विधायक आरएस पठानिया इसे उठाएंगे, क्योंकि तीन वर्षों से जमा कचरे से स्थानीय लोग परेशान हैं। नगर परिषद के आश्वासनों के बावजूद, कचरा निस्तारण का कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब विधायक स्थायी समाधान की मांग करेंगे ताकि लोगों को राहत मिले और कचरा प्रबंधन सुनिश्चित हो।

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    नगर परिषद आज तक नहीं कर पाई जमा कचरे का निस्तारण (प्रतीकात्मक फोटो)

    शेर सिंह, ऊधमपुर। ऊधमपुर का मांड वेस्ट अब केवल कचरे का अड्डा नहीं, बल्कि विधानसभा तक पहुंचने वाला विवाद बन चुका है। पिछले तीन वर्षों से यहां फेंके जा रहे हजारों टन कचरे ने स्थानीय निवासियों की जिंदगी मुश्किल कर दी है।

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    अब इस मामले को ऊधमपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के विधायक आरएस पठानिया विधानसभा में उठाने जा रहे हैं। उनका मकसद है कि मांड वेस्ट और टिकरी के लोग अस्थायी संकट से बाहर आएं और शहर के लिए कचरा निस्तारण की स्थायी व्यवस्था बने।

    वर्ष 2022 में सुई क्षेत्र के लोग शहर के कचरे से परेशान होकर सड़कों पर उतर आए थे और नगर परिषद के वाहनों पर पथराव किया था। इसके बाद नगरपरिषद ने शहर से रोज निकलने वाले 25 से 30 टन कचरे को मांड वेस्ट की सरकार की ओर से दी गई 96 कनाल जमीन पर डालना शुरू किया, और वर्ष 2022 से यह प्रक्रिया आज तक जारी है।

    इससे दौरान स्थानीय निवासियों की परेशानियां बढ़ती चली गईं। 2024 में मांड और टिकरी के लोग सीधे विरोध में सामने आए और नगर परिषद के कचरा वाहनों को रोक दिया। प्रशासन और नगर परिषद के अधिकारियों ने मौके पर जाकर आश्वासन दिया कि जल्द ही कचरा डालना बंद कर दिया जाएगा और जमा कचरे का स्थायी निस्तारण किया जाएगा।

    लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी न तो कचरा फेंकना रुका और न ही जमा कचरे का निस्तारण हुआ। नगर परिषद ने मांड वेस्ट में कचरा निस्तारण की व्यवस्था करने और जमा कचरे को हटाने के कई आश्वासन दिए, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

    जमा कचरा मांड और टिकरी के लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन चुका है। बदबू घरों तक पहुंच रही है, बच्चों के लिए स्कूल में पढ़ाई मुश्किल हो गई है, और नगर परिषद अभी भी शहर का कचरा वहीं फेंक रही है।

    अब ऊधमपुर पूर्वी विधानसभा के विधायक आरएस पठानिया विधानसभा में इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाकर स्थायी समाधान की मांग करेंगे, ताकि स्थानीय लोगों को राहत मिल सके और शहर में कचरा निस्तारण की व्यवस्था सुनिश्चित हो।

    वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने ऊधमपुर में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 15 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। इसमें से दो करोड़ रुपये जारी भी हो गए थे। मांड वेस्ट में ठोस कचरा प्रबंधन प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर बना कर मंजूरी के लिए भेजी गई।

    जम्मू-कश्मीर सरकार ने 96 कनाल जमीन नगर परिषद को उपलब्ध कराई, लेकिन 2018 में प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने से इंकार कर दिया। इसके बाद नगर परिषद ने उसी जमीन पर शहर से निकलने वाले कचरे को डालना शुरू कर दिया।

    बड़े पैमाने पर कचरे के निस्तारण के लिए कोई भी प्रोजेक्ट ठीक से काम नहीं कर पाया। पहले धार रोड के दरसू इलाके में रेलवे टनल के पास कचरा फेंका जाता था, लेकिन भूस्खलन और रेलवे की चेतावनी के बाद वहां रोक लग गई।

    इसके बाद अंबिहार में कचरा डाला गया, जिससे नदी प्रदूषित हुई और लोगों ने विरोध किया। 2019 में सुई में कचरा फेंकना शुरू हुआ, लेकिन 2022 में वहां भी विरोध हुआ। अब मांड वेस्ट में जमा कचरा एक बार फिर विरोध का केंद्र बन चुका है और विधायक इसे विधानसभा में उठाने वाले हैं।

    नगर परिषद के लिए कचरा अब सबसे बड़ी परेशानी बन चुका है। ठोस कचरा प्रबंधन प्रोजेक्ट में देरी के कारण नगर परिषद को एनजीटी ने 1.39 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। जखैनी के पास अंबिहार में और सुई में किल वेस्ट प्रोजेक्ट के दौरान पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप में यह जुर्माना ठोंका गया।

    विधायक आरएस पठानिया ने कहा कि नगर परिषद ने मांड वेस्ट में कचरा निस्तारण की व्यवस्था करने व कचरा जमा नहीं करने के कई बड़े बड़े आश्वासन स्थानीय निवासियों को दिए, लेकिन आज तक नगर परिषद इसको लेकर कोई काम नहीं कर पाई है।

    जमा कचरा मांड और टिकरी के लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन चुकी है। कचरे से निकलने वाली बदबू लोगों के घरों तक पहुंच रही है। स्कूल के बच्चों के लिए स्कूल में शिक्षा हासिल करना मुश्किल हो चुका है।

    नगर परिषद आज भी शहर से निकलने वाले कचरे को इसी स्थान पर फेंक रही है। जिस उद्देश्य से नगर परिषद को जमीन दी गई थी उस पर तो आज तक कोई काम नहीं हो पाया है। इसलिए अब इस मुद्दे को विधानसभा में उठा कर स्थायी समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा।