क्या है तुलबुल बैराज प्रोजेक्ट? जिस पर महबूबा मुफ्ती-CM अब्दुल्ला के बीच छिड़ी जुबानी जंग, इस परियोजना से क्या होगा लाभ
जम्मू-कश्मीर में तुलबुल बैराज प्रोजेक्ट को लेकर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच बहस छिड़ गई है। उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे पाकिस्तान को खुश करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने सिंधु जल समझौते का विरोध करते हुए कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ धोखा है। तुलबुल परियोजना से जम्मू-कश्मीर में ऊर्जा संकट दूर होगा।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। तुलबुल बैराज प्रोजेक्ट को लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। सीएम उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती के पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा कि कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता पाने और पाकिस्तान में बैठे लोगों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं।
सिंधु जल समझौते को लेकर सीएम ने कहा कि मैंने हमेशा इस संधि का विरोध किया है और आगे भी विरोध करते रहूंगा। यह संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात है। जम्मू-कश्मीर के पानी को जम्मू-कश्मीर के लोगों को ही मिलना चाहिए। लेकिन यह संधि करके जम्मू-कश्मीर के लोगों को अधिकार से वंचित कर दिया।
'क्या तुलबुल प्रोजेक्ट को फिर से शुरू कर पाएंगे?'
सीएम ने अपने एक्स पर एक वीडियो भी साझा किया है। उन्होंने लिखा कि वीडियो में आप जो सिविल कार्य देख रहे हैं, वह तुलबुल बैराज प्रोजेक्ट का है। इसे 1980 के दशक की शुरुआत में शुरू किया गया था, लेकिन सिंधु जल संधि का हवाला देते हुए पाकिस्तान के दबाव में इसे छोड़ना पड़ा।
अब जब सिंधु जल समझौता को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है, तो क्या हम इस परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे?
क्या था महबूबा मुफ्ती का बयान
महबूबा मुफ्ती ने तुलबुग बैराज प्रोजेक्ट को शुरू करने को लेकर सीएम उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के तनाव के बीच तुलबुल नेविगेशन परियोजना को पुनर्जीवित करने का आह्वान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
पूर्व सीएम ने कहा कि ऐसे समय में जब दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार से वापस लौटे हैं, इस समय ऐसे बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि खतरनाक रूप से भड़काऊ भी है।
पूर्व सीएम ने हमला करते हुए कहा कि समय बताएगा कि कौन किसको खुश करना चाहता है। आपके आदरणीय दादा शेख साहब ने सत्ता खोने के बाद दो दशक से ज्यादा समय तक पाकिस्तान में विलय की वकालत की थी।
तुलबुल परियोजना से क्या होगा फायदा
बता दें कि आपदा अपने साथ अवसर भी लेकर आती है और यही कारण है कि जम्मू कश्मीर में आमजन से लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तक सभी तुलबुल बैराज परियोजना के पुन: शुरू होने की उम्मीद बांधे हुए हैं।
अगर 41 वर्ष से अधर में लटकी यह परियोजना पूरी हो जाती है तो न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ऊर्जा संकट को दूर करने में मदद मिलेगी, बल्कि कृषि व संबधित गतिविधियों के लिए पूरा वर्ष पर्याप्त पानी मिलेगा।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से लेकर उत्तरी कश्मीर में बारामुला तक झेलम और उसकी सहायक नदियों में आम लोगों की आवाजाही के लिए किश्तियां, मोटरबोट भी चलेंगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।