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    Train to Kashmir: एफिल टावर से ऊंचा पुल, 100 से ज्यादा सेंसर... कश्मीर तक ट्रेन लाने का ऐसा रहा सफर

    Updated: Wed, 04 Jun 2025 07:20 PM (IST)

    कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल संपर्क का सपना जल्द पूरा होगा। चिनाब पुल की सुरक्षा के लिए 100 से ज्यादा सेंसर लगे हैं। प्रधानमंत्री मोदी 6 जून को कटड़ा-बनिहाल रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। 1315 मीटर लंबा चिनाब ब्रिज स्टील और कंक्रीट से बना है जो 260 किमी प्रति घंटे की हवा की गति को सह सकता है। पुल पर ब्लास्ट प्रोटेक्शन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

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    कन्याकुमारी से कश्मीर तक रेल संपर्क का सपना होगा साकार (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल संपर्क के स्वप्न को साकार होने में अब चंद घंटे ही रह गए हैं। इस महत्वाकांक्षी रेल संपर्क पर सभी के लिए जिज्ञासा और आकर्षण का केंद्र बिंदु बने कौड़ी ब्रिज जिसे चिनाब ब्रिज कहते हैं, पुल और उस पर से गुजरने वाली रेलगाड़ी की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने के लिए 100 से ज्यादा सेंसर लगाए गए हैं। पुल पर निर्मित 780 मीटर लंबा प्लेटफार्म ब्लास्ट प्रोटेक्शन तकनीक से बनाया गया है।

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छह जून को 111 किलोमीटर लंबी कटड़ा-बनिहाल रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। उधमपुर-बनिहाल-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लाइन का यही भाग शेष रहता है और इस पर रेल परिचालन शुरु होने से कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेलसंपर्क बहाल हो जाएगा।

    इस पूरी रेल परियोजना में कटड़ा से बनिहाल तक रेलवे लाइन को बिछाना ही भौगोलिक और अन्य परिस्थितियों के मद्देनजर सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण और कठिन रहा है। कटरा-बनिहाल रेलवे लाइन पर ही जिला रियासी में कौडी नामक गांव के पास चिनाब दरिया के ऊपर एफिल टावर से भी ऊचां रेलवे पुल बनाया गया है। इसे चिनाब रेलवे पुल , चिनाब ब्रिज कहते हैं। यह भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग का एक बड़ी उपलब्धि है।

    उत्तरी रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 1315 मीटर लंबा चिना ब्रिज स्टील और कंक्रीट से निर्मित एक आर्च अथवा मेहराबदार पुल है। यह 260 किमी प्रति घंटे की हवा की गति को बनाए रखने के लिए बनाया गया है और इसे उच्चतम तीव्रता के भूकंप बलों को सहन करने के लिए डिजाइन किया गया है।

    इसके अलावा चिनाब पुल की सतह पर 780 मीटर लंबा प्लटेफार्म ब्लास्ट प्रोटेक्शन तकनीक से तैयार किया गया है ताकि ट्रेन संचालन के दौरान होने वाले प्रभावों को अवशोषित किया जा सके। उन्होंने बताया कि चिनाब पुल की सुरक्षा के लिए 112 सेंसर और 150 सर्वर की सुविधा से लैस एक अत्यााधुनिक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।

    पुल की लगातार निगरानी के लिए स्मार्ट एसेट मैनेजमेंट सिस्टम तहत सेंसर लगाए गए हैं। यह सेंसर वास्तविक समय के आधार पर हवा की गति, तापमान, आर्द्रता, कंपन और अन्य आवश्यक जानकारी के बारे में महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेंगे।

    उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण, हवा की गति समय-समय पर बदल सकती है और भारतीय रेलवे के लिए हवा की गति पर कड़ी नजर रखना आवश्यक है। हवा की गति अनुमेय सीमा से अधिक होने जैसी आपात स्थिति में स्टेशन मास्टर रूम में अलार्म ध्वनि भी बजाता है। पुल की संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली की निगरानी और संचालन के लिए प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात किया जा रहा है।

    उन्होंने बताया कि चिनाब नदी पर इस विशाल पुल के निर्माण के लिए लगभग 12 लाख घन मीटर मिट्टी की खुदाई की गई। उन्होंने बताया कि 1,315 मीटर लंबे चिनाब रेलवे ब्रिज के निर्माण में लगभग 30,350 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है, जबकि विशाल मेहराब के निर्माण में कम से कम 10,620 मीट्रिक टन स्टील की खपत हुई है, जबकि पुल के डेक के निर्माण में 14,504 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है।

    उन्होंने बताया कि चिनाब पुल का 780 मीटर लंबा प्लेटफार्म ब्लास्ट प्रोटेक्शन तकनीक से बनया गया है। यह तकनीक अक्सर पुलों या सैन्य प्रतिष्ठानों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों में प्रयोग की जाती है। जब भी पुल से रेलगाड़ी गुजरेगी तो यह उससे पैदा होने वाली ऊर्जा को अवशोषित करते हुए पुल को नुकसान से बचाएगा।