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    कश्मीर में शुरू हुआ पर्यटन सचिवों का सम्मेलन, पहलगाम हमले के बाद पहली बार देशभर से घाटी में जुटे सचिव

    Updated: Mon, 07 Jul 2025 03:52 PM (IST)

    पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन सचिव श्रीनगर में एकत्रित हुए। केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है। सरकार के प्रयासों से यात्रियों का विश्वास बहाल हुआ है। सम्मेलन का उद्देश्य कश्मीर में शांति का संदेश देना और पर्यटन को पुनर्जीवित करना है।

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    र्यटन सचिवों के सम्मेलन में कश्मीर के पर्यटन ढांचे को विकसित करने पर विचार किया जा रहा है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में मंद पड़े पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने तथा देशभर में पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए भारत के विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन सचिव श्रीनगर पहुंचे हैं।

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    इस समय ये सचिव पर्यटन के क्षेत्र को बढ़ावा देने पर चर्चा कर रहे हैं। केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस मौके पर विशेष रूप से उपस्थित हैं। कश्मीर में अपनी तरह के इस पहले सम्मेलन में पहलगाम हमले के बाद की स्थिति पर भी चर्चा होगी।

    आज सोमवार को यहां देश के विभिन्न राज्यों के पर्यटन सचिवों के सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों में एक बार फिर सुरक्षा और विश्वास की भावना मजबूत हुई है।

    पहलगाम में आतंकी हमले के बाद जिस तरह यहां कुछ समय के लिए हालात नजर आए थे, उसके बाद अब जो यहां पर्यटन में सुधार आया है, वह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार ने लोगों का विश्वास जीतने के लिए जो समन्वित प्रयास किए हैं, वह प्रभावकारी हैं।

    शेखावत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार के नए प्रयासों और केंद्र के समन्वित समर्थन से यात्रियों और संबधित पक्षों के बीच के बीच विश्वास बहाल करने में मदद मिल रही है। 22 अप्रैल को आतंकियों द्वारा पहलगाम में किए गए कायराना हमले के बाद यहां कश्मीर में पर्यटन क्षेत्र पटरी से उतरा हुआ नजर आने लगा था। यहां लोगों में डर व असुरक्षा की भावना पैदा हो गई थी। लेकिन अब यहां पर्यटन फिर से शुरु हो गया है। आप यहां लोगों के चेहरों पर सुरक्षा एवं विश्वास की भावना को स्वयं महसूस कर सकते हैं।

    आपको बता दें कि डल झील किनारे स्थित शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर एसकेआइसीसी में आज शुरु हुआ यह पर्यटन सचिव सम्मेलन दो दिन चलेगा। इसें पूरे देश में पर्यटन ढांचे को विकसित करने और पर्यटन जगत को प्रोत्साहन देने की कार्य योजना पर मंथन के लिए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन सचिव भाग ले रहे हैं।

    पहलगाम हमले के बाद मंदी के शिकार जम्मू कश्मीर के पर्यटन उद्योग को फिर से पटरी पर लाने और देश विदेश के लोगों के बीच कश्मीर में शांति व सुरक्षा के वातावरण के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए ही केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इस सम्मेलन का आयोजन कश्मीर में किया है।

    केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडलों और संसदीय समितियों के दौरों और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों की बैठकों के कश्मीर में आयोजन के साथ जिस तरह से जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने हालात को संभालने का काम किया है, वह एक मजबूत विश्वास-निर्माण अभ्यास का हिस्सा है।"इससे निस्संदेह लाभ होगा और कश्मीर का पर्यटन अपनी पिछली गति पर वापस आ जाएगा।

    उन्होंन गत जून के अपने कश्मीर दौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने पूरे कश्मीर में एक स्पष्ट संदेश दिया था कि यह क्षेत्र सुरक्षित है और पहलगाम आतंकी हमले की घटना से लोगों को डर कर, कश्मीर से मुंह नहीं मोढ़ना चाहिए। हम सभी को आगे बढ़ना चाहिए और कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करना चाहिए, जो पिछले तीन वर्षों से लगातार बढ़ रहा है।

    सम्मेलन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका आयोजन देश भर के पर्यटन सचिवों को कश्मीर लाने के लिए किया गया है। इसके दो दो प्रमुख उद्देश्य हैं।

    पहला, इस सम्मेलन में शामिल सभी राज्यों के पर्यटन सचिव व अन्य अधिकारी यहां कश्मीर के हालात को स्वयं समझें और देखें व अपने अपने राज्यों में बताएं कि कि कश्मीर में शांति व सुरक्षा का वातावरण है,जिससे यहां घरेलू पर्यटन को बढ़ावा मिले, और दूसरा, वैश्विक मानकों के भारत भर में कम से कम 50 प्रतिष्ठित स्थलों को विकसित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की दिशा में काम करना।

    उन्होंने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य आगंतुकों के लिए अंतिम-से-अंतिम अनुभव को बढ़ाने के लिए नवीन विचारों पर विचार-विमर्श करना और पर्यटन क्षेत्र की पेशेवर हस्तियों और विशेषज्ञें के बीच अनुभवों का आदान-प्रदान करना है।

    उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम नई सोच के साथ काम करें, एक-दूसरे से सीखें और यह पता लगाएं कि कश्मीर और उसके बाहर बुनियादी ढांचे, सेवाओं और आतिथ्य मानकों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।