Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बर्फबारी में भी नहीं थमेंगे पहिये, कश्मीर तक वंदे भारत ट्रेन में ऐसी-ऐसी सुविधाएं; जानकर दिल हो जाएगा गार्डन-गार्डन

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 12:13 PM (IST)

    ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना में कश्मीर में कड़ाके की ठंड से निपटने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए रेलगाड़ी के डिब्बों का उपयोग किया गया है। सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है जिससे पानी और ईंधन को तरल रूप में बनाए रखना एक चुनौती है। इसके लिए डबल वॉल टैंक और सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का उपयोग किया गया है।

    Hero Image
    कश्मीर में माइनस तापमान में भी ट्रेन में न ईंधन-न जमेगा पानी।

    नवीन नवाज, जम्मू। Train to Kashmir: ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण जितनी विशेष है, उतना ही इस रेलवे लाइन पर चलाई जाने वाली रेलगाड़ी के डिब्बों को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। जिला रियासी के कटड़ा से आगे कश्मीर तक सर्दियों में कई बार तापमान शून्य से नीचे माइनस आठ से 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कड़ाके की ठंड में ट्रेन में पानी और ईंधन को तरल रूप में बनाए रखना बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए विशेष रूप से डबल वॉल टैंक तैयार किए गए हैं। इंजन के टैंक में ईंधन तरल रहे, इसके लिए वही तकनीक अपनाई गई है, जो सेना की ओर से उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में अपने वाहनों, टैकों व अन्य उपकरणों में ईंधन को तरल बनाए रखने के लिए प्रयोग की जा रही है।

    संबंधित अधिकारियों ने बताया कि छह जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल परियोजना के लोकार्पण के साथ ही कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल संपर्क बहाल होते ही यहां यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। उसी के अनुरूप रेल की बोगियों में आवश्यक सुविधाओं को सुनिश्चित किया गया है।

    उन्होंने बताया कि जिला रियासी के कई हिस्सों में और उससे आगे यह रेल लाइन जिस क्षेत्र से गुजरती है, वहां भारी हिमपात होता है और इसलिए रेलगाड़ी में तदनुसार सुविधाएं और प्रबंध कियाा जाना अनिवार्य है। इसलिए इस क्षेत्र में चलाई जाने वाली वंदे भारत रेलगाड़ी में और भविष्य में जो अन्य रेलगाड़ियां चलाई जाएंगी, उनमें ऐसे वाटर टैंक लगाए जा रहे हैं, जिनमें पानी नहीं जमेगा।

    उन्होंने कहा कि अगर पानी जम जाएगा तो रेलगाड़ी में फ्लश और शौचालय काम नहीं करेंगे। नलों में जलापूर्ति नहीं होगी और अगर पानी की टंकी पूरी तरह भर जाती है, तो उसमें दरारें पड़ने और फटने का खतरा रहता है, क्योंकि बर्फ में फैलने की प्रवृत्ति होती है।

    इस तरह विशेष डिजाइन किए गए हैं टैंक

    संबंधित अधिकारियों ने बताया कि कपूरथला रेल कोच फैक्टरी ने ठंड में ट्रेन में ईंधन व पानी जमने की समस्या का समाधान किया है। उन्होंने ट्रेन में पानी को जमने से रोकने के लिए डबल वाल कंपोजिट इंसुलेटेड वाटर टैंक तैयार किए हैं। इनकी क्षमता 450 से 685 लीटर तक है। ये टैंक थर्मोप्लास्टिक बोतलों जैसे दिखते हैं और इनकी दो दीवारों के बीच फोम की एक इन्सुलेटिंग परत होती है।