Pahalgam Terror Attack: जांच पर फिर उठे सवाल, सुरक्षाबलों की लिस्ट में इस गुनाहगार का नाम ही नहीं
पहलगाम (Pahalgam Terrorists Attack) में हुए आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर घाटी में सक्रिय 14 स्थानीय आतंकियों की सूची जारी की है। हालांकि इस सूची में पहलगाम नरसंहार के मुख्य गुनाहगार आदिल गुरी का नाम नहीं है। इस चूक पर रक्षा मामलों के जानकारों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इससे कश्मीर में सक्रिय राष्ट्रविरोधी तत्वों को दुष्प्रचार का एक नया हथियार मिलेगा।

नवीन नवाज, श्रीनगर। पहलगाम नरसंहार (Pahalgam Terrorists Attack) के बाद सवालों के घेरे में आई सुरक्षा एजेंसियों ने तत्परता दिखाते हुए कश्मीर घाटी में सक्रिय 14 स्थानीय आतंकियों की सूची जारी कर दी है।
यह सूची जारी होते ही संबंधित अधिकारियों की दक्षता पर ही सवाल उठने आरंभ हो गए। खास बात यह है कि इस वांछित आतंकियों की सूची में पहलगाम में नरसंहार में प्रमुख गुनाहगार बताया जाने वाले आदिल गुरी का नाम नहीं है।
सूची में आतंकी अहसान शेख का नाम है शामिल
आदिल का नाम नरसंहार के बाद से चर्चा में है और शुक्रवार को उसका घर भी गिरा दिया था। अलबत्ता, नरसंहार में शामिल दूसरे स्थानीय आतंकी अहसान शेख का नाम इस सूची में है। सुरक्षा एजेंसियों की इस चूक को रक्षा मामलों के जानकार ‘आल इज वेल सिंड्रोम’ का नतीजा बता रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी सूची में इन आतंकियों को ए प्लस, ए, बी और सी श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
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आतंकियों की हिंसक गतिविधियों में सक्रियता के आधार पर यह श्रेणी तय की जाती है। इसके अनुसार लश्कर-ए-तैयबा के सबसे अधिक आठ स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं। इसके अलावा जैश और हिजबुल के तीन-तीन स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं। हिजबुल के तीनों आतंकी शोपियां और अनंतनाग में सक्रिय हैं, जबकि लश्कर का एक आतंकी सोपोर में सक्रिय है और शेष सातों दक्षिण कश्मीर में सक्रिय हैं।
पुलवामा में ही हैं जैश के तीनों आतंकी
जैश के तीनों आतंकी पुलवामा में ही हैं। सूची में पहलगाम नरसंहार में शामिल रहे आदिल गुरी का नाम न होने पर रक्षा मामलों के जानकार डॉ. अजय च्रंगू ने कहा कि इस तरह की चूक का लाभ कश्मीर में सक्रिय राष्ट्रविरोधी तत्व उठाएंगे। उन्हें दुष्प्रचार का एक नया हथियार मिलेगा। उन्होंने कहा एकीकृत मुख्यालय की बीते चार माह में पांच बैठकें हुईं और हर बैठक में सुरक्षा एजेंसियों ने यही साबित करने का प्रयास किया कि हालात ठीक हो चुके हैं।
स्थिति सामान्य है, लेकिन वह यह बताने में चूक गई कि सामान्य नजर आ रहे हालात आसामान्य हैं। सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। इससे स्पष्ट है कि आपके पास कश्मीर में सक्रिय विदेशी आतंकियों का डेटा कैसे होगा। ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) एसएस सम्बयाल ने कहा कि इससे पता चलता है कि सुरक्षा एजेंसियां कितनी शिथिल हैं।
यह कोई मामूली चूक नहीं है। आप जिसे पहलगाम का मुख्य गुनाहगार बता रहे हैं। बताया जा रहा है कि वह आतंकी बनने पाकिस्तान गया और करीब छह-सात माह पहले लौटा है। अगर वह सक्रिय आतंकियों की सूची में नहीं है तो स्पष्ट है कि इसका क्या अर्थ है।
आतंकियों की संख्या सामान्य स्थिति का बैरोमीटर नहीं
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अशकूर वानी ने कहा कि कुछ माह से सब यही कह रहे हैं कि आतंकियों की भर्ती समाप्त हो गई है। यह जानना आवश्यक है कि भर्ती क्यों कम है। सुरक्षाबलों के दबाव के कारण आतंकी संगठनों ने इसमें कटौती की है, अगर ऐसा है तो यह आतंकियों की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।
अगर आतंकी संगठनों के प्रयासों के बावजूद भर्ती कम हो रही है तो आपकी जीत है। अगर आप पांच वर्ष के दौरान सुरक्षाबलों पर हुए हमलों का आकलन करें तो स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। हालात तभी तक सामान्य हैं जब तक आतंकी वारदात नहीं करते।

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