जम्मू-कश्मीर में आतंक का नेटवर्क तोड़ने की रणनीति, जेलों में अलग-अलग बैरकों में रखे जाएंगे आतंकी और ओवरग्राउंड वर्कर
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जेलों में बंद आतंकियों और उनके समर्थकों को अलग-अलग बैरकों में रखने का निर्णय लिया है। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, जेलों में बंद कुछ आतंकी अपना नेटवर्क चला रहे हैं और अन्य कैदियों को गुमराह कर रहे हैं। इसलिए, जेलों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और कैदियों से मिलने वालों की जांच की जा रही है। विदेशी और स्थानीय आतंकियों को अलग रखने की रणनीति अपनाई जा रही है।

जम्मू-कश्मीर की जेलों में अलग-अलग बैरकों में रखे जाएंगे आतंकी और ओवरग्राउंड वर्कर।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। आतंकियों के तंत्र को पूरी तरह नष्ट करने और आतंकी संगठनों में भर्ती पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश प्रशासन ने जेलों में बंद आतंकियों व उनके ओवरग्राउंड वर्करों को अलग-अलग बैरकों में रखने व अन्य कैदियों के साथ उनके मेल-जोल पर भी कथित तौर पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि यह कदम खुफिया विभाग की उन रिपोर्ट के आधार पर उठाया गया है, जिनमें कहा गया है कि जेलों में बंद कई आतंकी अंदर बैठकर ही अपना नेटवर्क चला रहे हैं और अन्य कैदियों का ब्रेनवाश कर उन्हें आतंकी हिंसा के लिए व आतंकी संगठनों के लिए बतौर ओवरग्राउंड वर्कर काम करने के लिए तैयार कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में दो केंद्रीय कारावास, जिसमें कोट भलवाल जेल जम्मू और श्रीनगर जेल के अलावा 10 जिला कारावास, एक विशेष कारावास और एक उपकारावास है। इनमें लगभग चार हजार कैदियों को रखा जा सकता है। संबंधित सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में सभी जेलों में सुनियोजित तरीके से कैदियों और उनकी बैरकों की औचक जांच भी की जा रही है।
जेलों में कैदियों विशेषकर आतंकियों, ओवरग्राउंड वर्करों और नार्को टेरर मॉड्यूल से जुड़े कैदियों से मिलने आने वाले लोगों की भी जांच की जा रही है। विदेशी आतंकियों, स्थानीय आतंकियों और उनके ओवरग्राउंड वर्करों को अलग-अलग बैरकों में रखने की रणनीति अपनाई जा रही है। यथासंभव सुनिश्चित किया जा रहा है कि इनका आपस में संवाद न्यूनतम हो। इसके अलावा जेल में अन्य अपराधों के सिलसिले में बंद कैदियों का इनके साथ संपर्क न हो।

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