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    Tashi Namgyal: कारगिल युद्ध के गुमनाम हीरो ताशी नामग्याल का निधन, सेना को दी थी पाकिस्तानी घुसपैठियों की खबर

    Updated: Sat, 21 Dec 2024 08:53 AM (IST)

    साल 1999 में कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी घुसपैठियों के नापाक हरकत से भारतीय सेना को अलर्ट करने वाले लद्दाख के चरवाहे ताशी नामग्याल का 58 साल की उम्र में निधन हो गया। बता दें कि उनका निधन लद्दाख की आर्यन घाटी स्थित गारखोन में हुआ। सेना ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि उनका योगदान स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।

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    कारगिल युद्ध के समय सेना को सचेत करने वाले ताशी नामग्याल का निधन (फोटो- एक्स)

    डिजिटल डेस्क, लेह। 1999 में कारगिल सेक्टर में पाकिस्तान की घुसपैठ के बारे में भारतीय सैनिकों को सचेत करने वाले चरवाहे ताशी नामग्याल का आर्यन वैली में निधन हो गया। ताशी नामग्याल वह 58 वर्ष के थे। नामग्याल इस साल की शुरुआत में द्रास में 25वें कारगिल विजय दिवस में अपनी शिक्षिका बेटी सेरिंग डोलकर के साथ शामिल हुए थे।

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    सेना ने ताशी को दी श्रद्धांजलि

    लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स श्री ताशी नामग्याल को उनके आकस्मिक निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करता है। सेना ने आगे कहा, "एक देशभक्त गुजर गया। लद्दाख के बहादुर - आपकी आत्मा को शांति मिले।" श्रद्धांजलि में साल 1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान राष्ट्र के लिए उनके अमूल्य योगदान पर प्रकाश डाला गया और कहा गया कि यह स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा।

    भारतीय सेना को सचेत करने में थी अहम भूमिका

    ताशी नामग्याल का निधन लद्दाख की आर्यन घाटी स्थित गारखोन में हुआ। 1999 के कारगिल संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठ के बारे में भारतीय सेना को सचेत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

    अपने लापता याक की खोज करते समय, नामग्याल ने मई 1999 की शुरुआत में बटालिक पर्वत श्रृंखला के ऊपर बटालिक पर्वत श्रृंखला के ऊपर बंकर खोदते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को देखा।

    स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, उन्होंने तुरंत भारतीय सेना को सूचित किया, समय पर दी गई चेतावनी ने इसे आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।