पाकिस्तान की सुरक्षा में बैठा भगौड़ा करार आतंकी सैयद सल्लाहुद्दीन, कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए रच रहा नए षड्यंत्र
पाकिस्तान में छिपा बैठा भगोड़ा आतंकी सैयद सलाहुद्दीन कश्मीर में आतंक फैलाने की साजिश रच रहा है। वह युवाओं को गुमराह कर आतंकी गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से कश्मीरी युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भारत के खिलाफ भड़काने का प्रयास कर रहा है।

सुरक्षा बल इस खतरे को गंभीरता से लेते हुए आतंकवाद विरोधी अभियान तेज कर रहे हैं।
नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। दुनिया के सबसे कुख्यात और वांछित आतंकियों मे एक सैयद सल्लाहुदीन के खिलाफ उत्तरी कश्मीर की एक अदालत ने उद्घोषणा जारी कर दी है। यह पहला अवसर नहीं है जब उसे घाटी में किसी अदालत ने भगौड़ा करार दिया हो।
अमेरिकी विदेशी विभाग ने भी उसे वैश्विक आतंकी घोषित कर रखा है और वह लगभग 33 वर्ष से पाकिस्तान में ही छिपा हुआ है और वहां से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी एजेंडे को चलाने और कश्मीर में निर्दाेष लोगों की हत्याओं का खेल खेलने में लगा हुआ है। आतंकी बनने से पहले वह घाटी में जमाते इस्लामी से संबधित स्कूल में छात्रों को इस्लाम के नाम पर जिहाद का पाठ भी पढ़ाता था।
बडगाम के सोईबुग गांव का रहने वाला है सल्लाहुदीन
लगभग 80 वर्षीय सल्लाहुदीन का असली नाम मोहम्मद युसूफ शाह है और वह श्रीनगर के साथ सटे जिला बडगाम में सोईबुग गांव का रहने वाला है। श्रीनगर के एसपी कालेल से ग्रेज्युएशन रने के बाद उसने 1971 में कश्मीर विश्वविद्यालय से पोलिटीकल साईंस में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। वह बचपन से ही जमाते इस्लामी की विचारधारा से प्रभावित था और जमाते इस्लामी के छात्र विंग का सक्रिय सदस्य रहा।
जमात से संबधित स्कूल में भी पढ़ाता था
जमाते इस्लामी की रैलियों और बैठकों में अकसर वह शरियत बहाली, कश्मीर के पाकिस्तान में विलय को सही ठहराने को लेकर भड़काऊ बयानबाजी करता था। वर्ष 1987 तक अकसर उसे हर शुक्रवार को श्रीनगर के एग्जीबिशन ग्राउंड के पास स्थित मस्जिद में नमाज-ए-जुम्मा से पूर्व खुतबा देते हुए देखा जाता था। वह जमात से संबधित स्कूल में भी पढ़ाता था ।
कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी का करीबी रहा
मौजूदा समय में पाकिस्तान में छिपे मोहम्मद युसूफ शाह उर्फ सैयद सल्लाहुदीन कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी जिनका सितंबर 2021 में निधन हो चुका है, का भी करीबी था। वर्ष 1986 में जब कश्मीर घाटी में कश्मीर के भारत में विलय पर सवाल उठाने वाले कुछ राजनीतिक दलों ने जमाते इस्लामी के साथ मिलकर मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का गठन किया था तो उस समय मोहम्मद युसुफ शाह ने उसमें सक्रिय भूमिका निभाई थी।
नेकां के खिलाफ अमीराकदल से लड़ा था चुनाव
उसे मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट ने 1987 में अमीराकदल निर्वाचन क्षेत्र से नेशनल कान्फ्रेंस के उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार बनाया था। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि जेकेएलएफ कमांडर मोहम्मद यासीन मलिक, जावेद मीर, अश्फाक मजीद वानी, हमीद शेख और बिट्टा कराटे उसके चुनाव प्रचारक व पोलिंग एजेंटों की टीम में शामिल थे। चुनाव में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट की हार के बाद कश्मीर में आतंकी हिंसा तेजी से फैली।
आइएसआइ ने हिजबुल मुजाहिदीन का गठन किया
जमाते इस्लामी के कैडर के आधार पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने हिजबुल मुजाहिदीन का गठन किया। हिजबुल मुजाहिदिन का पहला कमांडर मास्टर अहसान डार को बनाया गया। इस बीच,मोहम्मद युसुफ शाह एक मुठभेड़ मे घायल हो गया और सुरक्षाबलों से बचने के लिए पाकिस्तान भाग गया। मास्टर अहसान डार की आइएसआइ की कश्मीर नीति से असहमति के बाद उसे हिजबुल मुजाहिदीन की कमान कौंसिल से हटा दिया गया और मोहम्मद युसूफ शाह को हिजब का कमांडर बनाया गया। सल्लाहुदीन बीते 34 वर्ष से पाकिस्तान में ही है।
यूनाइटेड जिहाद कौंसिल का मुखिया बने सल्लाहुदीन
आइएसआइ ने कश्मीर में सक्रिय सभी आतंकी संगठनाें को एक ही छतरी के नीचे जमा करने के लिए जब यूनाइटेड जिहाद कौंसिल बनाई तो सल्लाहुदीन को उसका मुखिया बनाया गया। इस कौंसिल के जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि कश्मीर में आतंकी हिंसा को सिर्फ कश्मीर से संबधित आतंकी कमांडर और उनके संगठन ही चलाते हैं।
दो शादियां कर चुके हैं सल्लाहुदीन
सल्लाहुदीन ने दो शादियां की है। उसक पहली बीबी और पहली शादी के बच्चे कश्मीर में ही हैं। उसके चार बेटे टेरर फंडिंग के मामलों में आरोपित हैं और दो इस समय जेल में बंद हैं। सल्लाहुदीन ने दूसरी शादी लगभग 15 वर्ष पहले की है। उसकी दूसरी पत्नी का नाम नूरजहां हैं। नूरजहां की भी यह दूसरी शादी है और उसकी पहली शादी एक आतंकी कमांडर औरंगजेब से हुई थी। औरंगजेब सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
अपनी बीवी के साथ रावलपिंडी में रहता है
सल्लाहुदीन अपनी दूसरी बीबी के साथ अधिकांश समय पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में ही रहता है। कश्मीर घाटी में सकिय आतंकियों के लिए पैसे, हथियार और टेनिंग का बंदोबस्त करने के अलावा वह कश्मीर में आतंकी हमलों के षडयंत्र मे अहम भूमिका निभाता है। वह लश्कर, जैश और अन्य आतंकी संगठनो के साथ मिलकर पाकिस्तान, अफगानीस्तान और गुलाम कश्मीर में जारी आतंकी ट्रेनिंग कैंपो के संचालन में भी सक्रिय है।
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