जम्मू-कश्मीर को मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा? याचिका पर आठ अगस्त को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद राज्य के दर्जे की बहाली की मांग पर सुप्रीम कोर्ट 8 अगस्त को सुनवाई करेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि सुनवाई की तारीख को न हटाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा था और जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने का आदेश दिया था।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के निरस्तीकरण के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम संसद में लाया गया। इसके आधार पर प्रदेश को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित किया गया। इस तरह जम्मू-कश्मीर राज्य से केंद्रशासित प्रदेश में बंट गया। पिछले छह वर्षों से प्रदेश के राज्य के दर्जे की बहाली की मांग की जा रही है। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट आठ अगस्त को सुनवाई कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट आठ अगस्त को जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर सकता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने मंगलवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष इस मामले का जिक्र किया। शंकरनारायणन ने कहा, "(सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर) तारीख 8 अगस्त दिखाई दे रही है। इसे हटाया न जाए।"
सीजेआई ने अनुरोध स्वीकार कर लिया है।
'जल्द से जल्द बहाल हो राज्य का दर्जा'
पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया गया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे जायज ठहराया 11 दिसंबर, 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा।
इसके साथ ही आदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर में सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराए जाएं और इसका राज्य का दर्जा "जल्द से जल्द" बहाल किया जाए।
पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र को दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। यह याचिका शिक्षाविद ज़हूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक ने दायर की थी। याचिका में कहा गया,
राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी से जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की क्षमता में गंभीर कमी आएगी, जिससे संघवाद के विचार का गंभीर उल्लंघन होगा, जो भारत के संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए हैं। इस तरह सुरक्षा संबंधी चिंताओं, हिंसा या किसी अन्य अशांति की कोई बाधा नहीं है जो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने/बहाली में बाधा उत्पन्न करे या उसे रोके, जैसा कि भारत संघ ने वर्तमान कार्यवाही में आश्वासन दिया था।- याचिका के अनुसार
(पीटीआई इनपुट के साथ)
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