डल झील में तूफानी मौसम बना चिंता का सबब, हाउसबोट-शिकारा और टापुओं में 50 हजार लोगों का बसेरा; बड़े हादसे का रहता है डर
श्रीनगर में बदलते मौसम ने डल झील के निवासियों की चिंता बढ़ा दी है। दिन में धूप और शाम को तूफान व बारिश का सिलसिला जारी है। आपात स्थिति से निपटने के लि ...और पढ़ें

रजिया नूर, श्रीनगर। दिन में तेज धूप और फिर अचानक शाम को तूफान चलना और वर्षा। गत कई दिन से घाटी में मौसम हर पल बदलते मिजाज ने डलवासियों के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं।
ऐसे मौसम से पैदा होने वाली आपात स्थिति में बचाव के लिए प्रशासन की ओर से सुविधाएं उपलब्ध न कराने के कारण हर समय खतरा मंडराता रहता है। प्रशासन की दलील है कि आपात स्थिति से निपटने के लिए उपलब्ध सुविधाओं और दुर्घटनाओं से बचाव के दिशा-निर्देशों का गंभीरता से पालन न करना झील में दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है।
तूफान और बारिश ने मचाया तांडव
गत कुछ समय से घाटी में मौसम के मिजाज अचानक बदलने और इस बीच तूफानी वर्षा व तेज हवा चलने का सिलसिला जारी है। हाल के दिनों में तूफानी वर्षा व तेज हवाओं ने उत्तर से दक्षिणी कश्मीर तक तांडव मचाया। एक व्यक्ति की जान जाने के साथ सैकड़ों आवासीय ढांचे, पेड़ व बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हो गए। डल में भी तूफानी हवाओं की चपेट में आकर कई लोग बाल-बाल बच गए।
डलवासी जिनमें हाउसबोट, शिकारा व बोटवालों के साथ झील के विभिन्न टापूओं पर बसने वाले लोग शामिल हैं। सभी बदल रहे मौसम से असमंजस में हैं। उनका कहना है कि उनकी जिंदगी ऊपर वाले के भरोसे पर ही है, क्योंकि आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए उनके पास कोई उपाय नहीं है। प्रशासन के पास उनकी सुरक्षा के लिए कोई व्यापक प्रणाली नहीं है।
18 किमी क्षेत्र में रहते हैं 50 हजार लोग
डल झील 18 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील में हाउसबोटों के साथ-साथ झील के विभिन्न टापुओं पर लगभग 50,000 के लोग बसते हैं। शहर श्रीनगर के दूसरे हिस्सों तक पहुंचने के लिए इन डलवासियों को शिकारा या बोट से ही पहुंचना पड़ता है। झील में कमल के फूलों के तैरते बगीचे भी हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।