कश्मीर घाटी में 12 वर्षों से रुका पड़ा है सुंबल पैदल पुल का निर्माण कार्य, नावों से नदी पार करने को मजबूर लोग
कश्मीर घाटी के सुंबल में पैदल पुल का निर्माण कार्य 12 वर्षों से रुका हुआ है, जिससे स्थानीय लोग नावों से नदी पार करने के लिए मजबूर हैं। पुल का निर्माण ...और पढ़ें

खराब कनेक्टिविटी के कारण कई व्यापारी बैंक डिफ़ाल्टर बन गए हैं। फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर के सुंबल क्षेत्र में महत्वपूर्ण पैदल पुल का अधर में पड़ा निर्माण कार्य लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। पुल निर्माण न होने के चलते क्षेत्र के लोगों को बेशुमार दिकक्तों का सामना करना पड़ रहा है।
बता देते हैं कि पुल का निर्माण कार्य बीते 12 वर्षों से अधिक समय से रुका हुआ है। यह पैदल पुल कभी कस्बे के बाजार क्षेत्र, सरकारी कार्यालयों और स्कूलों तक जाने वाले निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करता था। दशकों से समुदायों को जोड़ने वाले लकड़ी के पुल को दरारें पड़ने के बाद 2013 में ध्वस्त कर दिया गया था।
इसे ध्वस्त करने से पहले, सरकार ने एक नए पुल का वादा किया था। सड़क एवं भवन विभाग (आर एंड बी) ने 2014 में 99 मीटर लंबे पुल का निर्माण शुरू किया, लेकिन उसी वर्ष आई विनाशकारी बाढ़ के तुरंत बाद काम रुक गया, जिससे ग्रामीण फंसे रह गए और उन्हें नावों से नदी पार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
परियोजना को फिर से डिज़ाइन करने की आवश्यकता
सुंबल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नाज़िर अहमद ने कहा, पैदल पुल पर कोई प्रगति नहीं हुई है। उस समय अधिकारियों ने नींव डालने में आ रही समस्याओं का हवाला देते हुए कहा कि ठेकेदार पुराने पुल के अवशेषों को हटाने में विफल रहा, जिससे तकनीकी समस्याएं उत्पन्न हुईं और परियोजना को फिर से डिज़ाइन करने की आवश्यकता पड़ी। हालांकि, आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बाद में पुल को लंबित परियोजनाओं की सूची में शामिल कर लिया गया, लेकिन काम फिर कभी शुरू नहीं हुआ। अधिकारियों ने परियोजना को पूरा करने में विफल रहने के लिए ठेकेदार को दोषी ठहराया, और अंततः यह मामला जांच और अदालती कार्यवाही तक पहुंच गयाlअहमद ने कहा, इस समस्या ने हमारे कारोबार को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने बताया कि खराब कनेक्टिविटी के कारण लगभग आधे ग्राहक खोने के बाद बैंक से कर्ज लेने वाले कई व्यापारी डिफ़ाल्टर बन गए हैं।
नेस्बल, नानीनारा, तंगपोरा, सफापोरा, हकबारा और आशम जैसे गांवों के साथ-साथ कई छोटे-छोटे गांवों के लोगों की उपमंडल के बाजार क्षेत्र तक सुविधाजनक पहुंच खत्म हो गई है। निवासियों को अब सुंबल कस्बे में सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कालेजों और अस्पतालों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
नदी पार करने के लिए नावों का इस्तेमाल करते हैं लोग
अहमद ने कहा, उपमंडल कार्यालय कस्बे में बाजार के पास स्थित है, और नदी के दूसरी ओर के दर्जनों गांवों के लोगों को पुल के बिना भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।आस-पास के गांवों के अधिकांश निवासी नदी पार करने के लिए नावों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें कई स्कूली बच्चे और ट्यूशन जाने वाले छात्र भी शामिल हैं।
रोजाना की आवाजाही से उनके अभिभावक लगातार चिंतित रहते हैं क्योंकि उन्हें किसी त्रासदी का डर सताता रहता है। आर एंड बी सुंबल के कार्यकारी अभियंता तनवीर अहमद ने स्वीकार किया कि यह मामला लंबे समय से लंबित है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जानकारी जुटा ली है और परियोजना को फिर से शुरू करने के लिए कोई हल निकालने की कोशिश करेंगे हालांकि लंबे समय से हो रही देरी को देखते हुए उन्होंने संशय जताया।

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