श्रीनगर में अक्टूबर में भव्य स्टार्टअप समिट, स्थानीय संसाधनों से रोजगार को मिलेगी नई उड़ान
श्रीनगर में अक्टूबर में स्टार्टअप शिखर सम्मेलन होगा जिसमें उन उद्योगों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनके लिए कच्चा माल आसानी से उपलब्ध है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उद्योग विभाग को नई जीएसटी दरों के अनुसार नीतियां बनाने के निर्देश दिए हैं ताकि जम्मू-कश्मीर में नए उद्योगों को आकर्षित किया जा सके। संकटग्रस्त एमएसएमई इकाइयों को पुनर्जीवित करने पर भी जोर दिया गया है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार प्रदेश में उन उद्योगों को प्राथमिकता देगी, जिनके लिए या तो कच्चा माल सुलभ हो या फिर जिनमें तैयार उत्पादों के लिए स्थानीय बाजार उपलब्ध होगा। इसके साथ ही, संकट में पड़ी एसएमई इकाइयों को भी चिह्नित कर सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे न्यूनतम सरकारी मदद से लाभकारी स्थिति में आ सकें और रोजगार के अवसर पैदा कर सकें।
भूमि आबंटन से वंचित इकाइयों के लिए भी भूमि जल्द उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की समीक्षा बैठक में लिया गया। जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2020 में केवल 69 स्टार्टअप पंजीकृत थे, जो 2025 में बढ़कर 1,127 हो गए है।
इनमें प्रौद्योगिकी और सेवा आधारित उपक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस वर्ष अक्टूबर में स्टार्टअप इंडिया, मेइटी और सिडबी के सहयोग से श्रीनगर में एक स्टार्टअप शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
बैठक में मुख्यमंत्री ने उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को नई जीएसटी दरों के संदर्भ में नीतियों का निर्माण करने का निर्देश दिया, जो नए उद्योगों को आकर्षित करते हुए जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट पहचान स्थापित करें। उन्होंने संकटग्रस्त एमएसएमई के पुनरुद्धार पर जोर देते हुए कहा कि औद्योगिक विकास का उद्देश्य युवाओं और कारीगरों के लिए रोजगार और आजीविका सुनिश्चित करना होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास केवल निवेश आकर्षित करने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह युवाओं और कारीगरों के लिए स्थायी रोजगार और विकास का कारण बने। इसके लिए उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को रोजगार सृजन और प्रतिस्पर्धा पर केंद्रित औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना होगा।
मुख्यमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष में पूंजीगत व्यय की धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त की और विभाग से पिछले वर्ष की प्रगति के बराबर प्रदर्शन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने नई केंद्रीय क्षेत्रीय योजना की समीक्षा की, जिसका उद्देश्य नए निवेश को प्रोत्साहित करना है।
उमर अब्दुल्ला ने उद्योग विभाग से उन उद्योगों की स्थापना को प्राथमिकता देने को कहा, जिनके लिए कच्चा माल आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने 46 नए औद्योगिक संपदाओं की शीघ्र पूर्णता और मौजूदा संपदाओं के विकास को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए।
व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को अपनी ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ को सुधारने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली के तहत फीडबैक लेने का भी निर्देश दिया।
उन्होंने हस्तशिल्प के जीआइ प्रमाणन के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने जीआइ परीक्षण सुविधाओं को बढ़ाने का आह्वान किया। जम्मू-कश्मीर की जीडीपी में एमएसएमई का योगदान आठ प्रतिशत है, जो 10.88 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है।
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