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    श्रीनगर: घाटी में बिल्लयों के काटने से दहशत, 6500 से अधिक मामले दर्ज; स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 01:40 PM (IST)

    श्रीनगर में बिल्लियों के काटने के मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है, जिससे घाटी में दहशत का माहौल है। स्वास्थ्य विभाग ने 6500 से अधिक मामले दर्ज क ...और पढ़ें

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    घाटी में बिल्लयों के काटने के मामले बढ़े (प्रतिकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, श्रीनगर। आवारा कुत्तों के आतंक के बाद अब घाटी के लोगों के लिए आवारा व पालतू बिल्लयां मुसीबत बन गई है। दरअसल, यहां बिल्लयों के काटने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है।

    आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल स्थित एंटी रेबीज क्लिनिक (ARC) में 6,500 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो पालतू जानवरों विशेषकर बिल्लयों की देखभाल, टीकाकरण और बिल्ली पालकों के बीच जागरूकता की गंभीर कमियों को उजागर करती हैं।

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    बिल्लियां भी फैला सकती हैं रेबीज 

    एआरसी एसएमएचएस के एक अधिकारी ने बताया कि कुत्तों की तरह बिल्लियां भी रेबीज फैला सकती हैं, लेकिन दुर्भाग्य से कई बिल्ली पालक मानते हैं कि बिल्लियां को टीकाकरण की आवश्यकता नहीं होती है। हम बिल्लियों के संपर्क में आने के मामलों में लगातार वृद्धि देख रहे हैं। अब हमारे क्लिनिक में आने वाले आधे से ज्यादा पशु काटने के मामले बिल्लियों के कारण होते हैं।

    अधिकारी ने कहा कि कई पालतू पशु मालिक अपनी बिल्लियों का टीकाकरण और समय पर चिकित्सा देखभाल नहीं करवाते हैं, जिससे पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है।

    पालतू पशुओं को पालने का चलन बढ़ा

    अधिकारी ने बताया कि घाटी में पिछले कुछ वर्षों में पालतू पशुओं को पालने का चलन लगातार बढ़ा है और बिल्लियां लोकप्रिय साथी बन गई हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक लाभ देने वाले पशुधन के विपरीत, पालतू पशु साथ और भावनात्मक सहारे के लिए पाले जाते हैं, इसलिए जिम्मेदार पालन-पोषण बहुत जरूरी है।

    उन्होंने कहा कि जो भी पालतू पशु पालना चाहता है, उसे उसकी जरूरतों, उचित भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल और व्यवहार प्रबंधन के लिए मानसिक और आर्थिक रूप से तैयार रहना चाहिए। अगर उचित देखभाल सुनिश्चित नहीं की जाती है तो पशु को घर लाने का कोई फायदा नहीं है। 

    कैसे की जाए बिल्लयों की देखभाल?

    इधर स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि पालतू जानवरों को संभालते समय स्वच्छता की कमी, अनियमित ग्रूमिंग और दांतों की देखभाल में लापरवाही से त्वचा संक्रमण, परजीवी संक्रमण और अन्य बीमारियां हो सकती हैं, जो जानवरों और मनुष्यों दोनों को प्रभावित कर सकती हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों ने बिल्ली पालन के लिए कई आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी है। 

    इनमें पशु चिकित्सा कार्यक्रम के अनुसार रेबीज और अन्य संक्रामक रोगों के टीके लगाए जाएं। लंबे समय तक टीकाकरण न कराना खतरनाक हो सकता है। बिल्लियों को आंतरिक परजीवियों को खत्म करने के लिए नियमित डीवर्मिंग बहुत जरूरी है, क्योंकि ये परजीवी मनुष्यों में फैल सकते हैं। बिल्लियों को छूने, कूड़े के डिब्बे साफ करने या उन्हें खाना खिलाने के बाद हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए।