Updated: Thu, 31 Jul 2025 09:38 AM (IST)
श्रीनगर में चिनाब नदी पर बनने वाली 1856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं जो 65 साल पुरानी योजना को साकार करेगी ...और पढ़ें
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। चिनाब नदी पर प्रस्तावित 1856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना को गति देते निविदाएं आमंत्रित कर दी है। यह 65 वर्ष पुरानी परिकल्पना के साकार होने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सावलाकोट परियोजना के लिए गत माह वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वनीय भूमि के प्रयोग की अनुमति दी है।
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इस परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले 1960 में की थी। पाकिस्तान की आपत्तियों, स्थानीय भौगोलिक व सुरक्षात्मक परिदृश्य के चलते यह परियोजना सिरे नहीं चढ़ पा रही थी।
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जलसंधि को स्थगित किए जाने के बाद चिनाब दरिया पर प्रस्तावित जलविद्यत परियोजनाबों के जल्द पूरा होने की उम्मीद बंधी है।
एनएचपीसी ने आमंत्रित की बोलियां
प्रस्तावित सावालकोट जलविद्युत परियोजना जिला रामबन के अंतर्गत सिडू गांव के पास बनेगी। राष्ट्रीय जल विद्युत निगम एनएचपीसी ने1856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना के निष्पादन हेतु लॉट-1 पैकेज: योजना, डिज़ाइन और इंजीनियरिंग (पीडीई) कार्य के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।
यह निविदाएं 10 सितंबर 2025 तक जमा कराइ जा सकती हैं और इन्हें 12 सितंबर 2025 को खोला जाएगा। निविदा दस्तावेज़ के अनुसार, सावलकोट जलविद्युत परियोजना चिनाब पर पहले से निर्मित सलाल जलविद्युत परियोजना और बगलिहार परियोजना के बीच जलविद्युत क्षमता का दोहन करेगी।
सुरंगों क जरिए नदी का मोड़ा जाएगा रुख
सावलकोट परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट आखिरी बार 2018 में तैयार की गई थी। निविदा दस्तावेज़ के अनुसार, इस परियोजना में एक रोलर काम्पैक्टेड कंक्रीट ग्रेविटी बांध होगा जिसकी सबसे गहरी नींव से ऊचाई 192.5 मीटर होगी, जो तीन घोड़े की नाल के आकार की सुरंगों के माध्यम से नदी का रुख मोड़ने को सुनिश्चित करेगा।
बांध के नीचे, चिनाब नदी के बाएं किनारे पर एक भूमिगत बिजली घर का निर्माण किया जाएगा, जिसकी स्थापित क्षमता 1,800 मेगावाट होगी और जिसे 225 मेगावाट की आठ इकाइयों में विभाजित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, 56 मेगावाट का एक विद्युत संयंत्र पर्यावरणीय प्रवाह आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए छोड़े जल का उपयोग करेगा, जिससे संयंत्र की कुल क्षमता 1,856 मेगावाट (1,800 56 मेगावाट) हो जाएगी।
इस परियोजना में गैर-मानसून और मानसून अवधि में बाढ़ के पानी को क्रमशः 2,977 क्यूमेक और 9,292 क्यूमेक की दर से मोड़ने की योजना है। तीन मोड़ सुरंगों की लंबाई 965 मीटर, 1,130 मीटर और 1,280 मीटर होगी। इस परियोजना को एक रन-आफ-द-रिवर योजना के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
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