कश्मीर में सालों से जारी सड़े गले मांस का गोरखधंधा, अदालत ने सख्ती दिखाते हुए दिया ये निर्देश
कश्मीर घाटी में सड़े-गले मांस और चिकन की तस्करी का मामला उच्च न्यायालय में दायर याचिका से सामने आया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह तस्करी कई वर्षों से चल रही है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायमित्र नियुक्त किया है और अधिकारियों से जवाब मांगा है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। कश्मीर घाटी में सड़े-गले और रोगग्रस्त मांस व चिकन की तस्करी कई वर्ष से चल रही है। यह बात जनहित याचिका के याचिकाकर्ता द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में दायर एक पूरक हलफनामे से सामने आई।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, जम्मू-कश्मीर, खासकर कश्मीर घाटी में सड़े-गले, रोगग्रस्त और अस्वास्थ्यकर पोल्ट्री और मांस उत्पादों की तस्करी कई वर्षों से चल रही है, लेकिन इसका भांडा चंद दिन पहले फूट गया था।
पूरक हलफनामे को रिकार्ड पर लेते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल की पीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जहांगीर इकबाल गनई को जनहित याचिका में न्यायमित्र नियुक्त किया।
पीठ ने पिछले सप्ताह अधिवक्ता मीर उमर द्वारा दायर जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए अधिकारियों को समय दिया और इसे तीन सितंबर को आगे के विचार के लिए सूचीबद्ध किया।
पूरक हलफनामे में याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता शफकत नजीर के माध्यम से 15 अप्रैल 2017 को कश्मीर के संभागीय आयुक्त द्वारा जारी एक आदेश का हवाला दिया है, जो झूठे लेबल वाले ड्रेस्ड पोल्ट्री पक्षियों को बर्फ के बक्सों में पैक करके गुप्त रूप से परिवहन करने के संबंध में था।
उन्होंने कहा कि इस आदेश के तहत घाटी में ऐसे ड्रेस्ड पोल्ट्री पक्षियों के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा, संबंधित विभागों अर्थात उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण (सीएपीडी) विभाग, वाणिज्यिक कर विभाग, पशुपालन विभाग और विधिक माप विज्ञान विभाग को घाटी में प्रवेश बिंदुओं पर मछली के बक्सों की जांच करने और मछली की खेप की आड़ में तस्करी किए जा रहे किसी भी मुर्गे को जब्त/नष्ट करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया था।
उन्होंने कहा, इस आदेश में संबंधित विभागों को इस तरह के खतरनाक मांस की तस्करी और संचालन के खतरे को खत्म करने के लिए घाटी भर में बाजार निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया गया था।
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि सड़े-गले, रोगग्रस्त और अस्वास्थ्यकर पोल्ट्री और मांस उत्पादों की तस्करी का प्रचलन कई वर्षों से चला आ रहा है।
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