'इसमें कश्मीरियों का हाथ...', गुजरात में पहलगाम हमले को लेकर क्या बोले उमर अब्दुल्ला?
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुजरात में कश्मीर के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दौरा किया। उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद भी आतंकवाद खत्म न होने पर केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने पर्यटकों की सुरक्षा पर जोर दिया और कहा कि कश्मीरी लोगों ने पर्यटकों की जान बचाने के लिए बलिदान दिया है।

राज्य ब्यूरो,जागरण, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के पर्यटन को पुन: पटरी पर लाने के लिए बुधवार को अहमदाबाद गुजरात पहुंचे, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने वाले कहते थे कि आतंकवाद खत्म हो जाएगा।
आज अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत के बाद उन्होंने कश्मीर के पर्यटन प्रोत्साहण से संबधित एक रोड शो में भी भाग लिया।उन्होंने की शाम को गांधीनगर में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से शिष्टाचार भेंट की। वह गुरुवार दोपहर एकतानगर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर भी जाएंगे।
गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से आए सबसे ज्यादा पर्यटक
मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर आप पिछले 30-35 वर्षों पर नज़र डालें, तो जम्मू-कश्मीर में सबसे ज़्यादा पर्यटक गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से आए हैं।
मैं और मेरी टीम जम्मू-कश्मीर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां हैं, और हमें पूरी उम्मीद है कि आने वाले सीजन में कश्मीर में गुजरात से बड़ी संख्या में पर्यटकों का स्वागत होगा।
खुफिया और सुरक्षा चूक को नहीं कर सकते नजरअंदाज
अप्रैल में पहलगाम आतंकवादी हमले पर, अब्दुल्ला ने कहा कि हम खुफिया और सुरक्षा चूक की संभावना से इनकार नहीं कर सकते, जो हुआ उसके लिए कोई न कोई जिम्मेदार जरूर है। हालांकि इस हमले में लिप्त आतंकी को मार गिराया गया है... लेकिन सुरक्षा चूक पर स्पष्टता और जिम्मेदारी का अभाव चिंताजनक है।
उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने 26 लोगों की गाेली मारकर हत्या की। इनमें 25 पर्यटक थे। मारे गए अधिकांश पर्यटकई, जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के थे।इस हमले के बाद गुजरात के लोगों में दहशत फैलगई और कई गुजराती परिवारों ने अपनी कश्मीर की यात्रा को रद कर दिया। इससे कश्मीर के पर्यटन को नुक्सान पहुंचा।
'इसमें कश्मीरियों का हाथ नहीं है'
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम में जो हुआ, वह अत्यत क्रूर है। इसमें कश्मीरियों का कोई हाथ नहीं है, कश्मीरियों नेवहां पर्यटकों को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगाई। एक घोडेवाला कश्मीरी सिर्फ इसलिए बलिदानी हुआ,क्योंकि उसनेआतंकियों से उनकी राइफल छीन, वहां मौजूद पर्यटकों का बचानेका प्रयास किया था।
उन्होंने इस दौरान दाचीगाम में पहलगाम हमले में लिप्त आतंकी के मारे जाने और आज पुं छमें दो आतंकियों के मारे जाने संबंधी सवाल के जवाब में केंद्र सरकार पर भी तंज कसा और कहा कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया गया, धारा 370 को हटाया गया तो कहा गया कि इससे कश्मीर में शांति होगी,आतंकवाद समाप्त हो जाएगा।
लेकिन हकीकत कुछ और है। आप उनसे सवाल पूछिए जिन लोगों ने 2019 में कहा था कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने पर सारा आतंकवाद खत्म हो जाएगा। आज 370 को हटाए हुए लगभग छह साल हो रहे हैं। आज भी आतंकवादी मार गिराए जा रहे हैं। तो कहीं न कहीं उस वक्त कहने में और आज की हकीकत में फर्क है।
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