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    'यह हमारे मजहबी मामलों में दखल है', जामिया मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोके जाने पर बौखलाए मीरवाइज

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 08:35 PM (IST)

    श्रीनगर में मीरवाइज उमर फारूक को जुमा अलविदा की नमाज अदा करने से रोका गया जिस पर उन्होंने नजरबंदी का आरोप लगाया है। पीडीपी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। मीरवाइज ने कहा कि उन्हें मस्जिद जाने से रोका गया जो उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।

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    श्रीनगर में मीरवाइज को जामिया मस्जिद में जुमा अलविदा की नमाज अदा करने से रोका गया (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। आल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस के चेयरमैन और कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक शुक्रवार को जमातुल विदा के अवसर पर ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज ए जुम्मा अदा नहीं कर पाया। वह जामिया मस्जिद के मुख्य इमाम भी हैं और शुक्रवार केा उनका नमाज से पूर्व खुतबा भी होता है।

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    मीरवाइज ने आरोप लगाया है कि उन्हें नजरबंद रखा गया जबकि पुलिस या जिला प्रशासन श्रीनगर ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी और उनके आरोप पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस बीच, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद रखे जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे कश्मीरी मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में दखल बताया है।

    मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए बहुत अहम होता है। यह ईद ए मिलाद उन नबी के बाद पहला शुक्रवार था। मुझे जामिया मस्जिद में जमात उल विदा के मौके पर मजलिस-ए-रहमत-उल-लिल-आलमीन में भाग लेना था, लेकिन मुझे रोका गया। मुझे घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया। यह हमारे मजहबी मामलों में दखल है। यह हिंदोस्तान के संविधान के तहत मेरे मौलिक और लोकतांत्रिक अधिकारोंकाभी उल्लंघन है।

    अलबत्ता, पुलिस और जिला प्रशासन श्रीनगर ने मीरवाइज को कथित तौर पर नजरबंद बनाए जाने की कोई पुष्टि नहीं की है। इस बीच, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता जुहैब यूसुफ मीर ने मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद रखने औरउन्हें जामिया मस्जिद में नमाज की अनुमति न देने पर कड़ी कड़ी नाराजगी जताई।

    उन्होंने कहा कि यह हमारी धार्मिक स्वतंत्रता के मूल पर प्रहार है।यह शर्मनाक है कि मीरवाइज उमर फारूक को एक बार फिर जामा मस्जिद में सामूहिक नमाज़ पढ़ने के अधिकार से वंचित कर दिया गया।

    मैं इस तानाशाही शासन को याद दिलाना चाहता हूं कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25, जो अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने के अधिकार की गारंटी देता है, बिना किसी शर्त के अभी भी पूरी तरह से बरकरार है। पीडीपी नेता ने चेतावनी दी कि इस तरह के कदम समाज को केवल अशांति और अराजकता की ओर धकेलेंगे।"