'प्रशासन पर सवाल उठाया तो मेरे सुरक्षा कवच में की कटौती', जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री का उपराज्यपाल प्रशासन पर बड़ा आरोप
जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने उपराज्यपाल प्रशासन पर निर्वाचित सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने नीतियों पर सवाल उठाया तो उनकी सुरक्षा में कटौती की गई। उन्होंने राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की और कहा कि ऐसा न करना आर्थिक सुधार में बाधा है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने मंगलवार को उपराज्यपाल प्रशासन पर निर्वाचित सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब मैंने उनकी नीतियों पर सवाल उठाया तो मेरे सुरक्षा कवच में कटौती कर दी गई। जम्मू कश्मीर को राज्य के दर्जे से वंचित कर लोगों की उम्मीदों को दबाया जा रहा है।
प्रदेश में लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। प्रदेश सरकार के कामकाज में अनावश्यक हस्तक्षेप किया जाता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाए में जानबूकार देरी कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों ने दशकों से अनगिनत चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन न्याय में अपना विश्वास कभी नहीं छोड़ा।
हम अनिश्चितता के लंबे दौर से गुज़रे हैं। लेकिन हमने कभी उम्मीद नहीं खोई। हमारा भरोसा संविधान और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में है। हमारा संविधान जाति, पंथ और क्षेत्र की भावना से ऊपर है। हमें पूरी उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय अपने आगामी फैसलों में, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों की भावनात्मक और राजनीतिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखेगा।
उन्होंने कहा कि पांच अगस्त 2019 के केंद्र के फैसले का उल्लेख करते हुए जम्मू कश्मीर की अपनी एक विशिष्ट ऐतिहासिक, राजनीतिक व संवैधानिक पहचान रही है। जम्मू कश्मीर के लोगों को भावनाओं को, जम्मू कश्मीर की ऐतिहासिक विरासत के साथ गहरा जुड़ाव रखने वालों की आवाज को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। महाराजा हरि सिंह इसे ‘अपना राज्य’ कहते थे। जब इतने बड़े फैसले लिए जाते हैं, तो संबंधित पक्षों, उस विरासत के उत्तराधिकारियों सहित से परामर्श अवश्य किया जाना चाहिए।
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना केवल एक राजनीतिक मांग नहीं है, बल्कि आर्थिक सुधार के लिए एक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यहां बेरोजगारी बढ़ रही है, युवा चिंतित हैं। अगर विकास ही वास्तव में लक्ष्य है, तो राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए।
उपराज्यपाल प्रशासन पर निशाना साधते हुए चौधरी उन पर प्रदेश सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने , उसके काम में रुकावट पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होने कहा कि उपराज्यपाल प्रशासन महत्वपूर्ण फाइलों को रोके रखता है, सरकार के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक व्यावसायिक नियमों को जारी करने में देरी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि खनन और बाढ़ राहत सहित विभिन्न क्षेत्रों में अनियमितताओं को लेकर उद्योगपतियों और स्थानीय लोगों की शिकायतें बढ़ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से उपराज्यपाल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया तो तो उनके सुरक्षा क्वच में शामिल गाड़ियों को वापस ले लिया गया। मेरी सुरक्षा को घटाया गया।
मुझे अपने पद से जुड़ी धमकियों के कारण सुरक्षा मिली थी। उन गाड़ियों ने तीन मौकों पर मेरी जान बचाई। उनकी अचानक वापसी एक सामान्य प्रक्रिया से ज़्यादा राजनीतिक दुराग्रह और बदले की भावना से की गई कार्रवाई ही नजर आती है।
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