क्या कश्मीर घाटी में बिक रहा था सड़ा-गला मांस? 7 सदस्यों की कमेटी गठित; मीरवाइज ने सरकार से की ये मांग
श्रीनगर में सड़े मांस की बरामदगी के बाद मुत्तहिदा मजलिस-ए उलेमा ने जांच के लिए सात सदस्यीय दल का गठन किया है। मीरवाइज उमर फारूक ने सरकार से जांच के तथ्यों को सार्वजनिक करने की मांग की है ताकि लोगों की चिंता दूर हो। उन्होंने विनियमित बूचड़खानों की स्थापना पर जोर दिया और हलाल प्रमाणन बोर्ड के विस्तार की बात कही।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर घाटी में सड़े-गले मांस व चिकन की बरामदगी से जुडे सभी तथ्यों की जांच और हलाल खाद्य पदार्थां के सभी मानकों को सुनिश्चित बनाए रखने के लिए
मुत्तहिदा मजलिस-ए उलेमा ने एक सात सदस्यीय दल बनाया है।
इसकी जानकारी शुक्रवार को कश्मीर के अलगावादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने एतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज ए जुम्मा से पूर्व अपने खुतबे में दी।
उनहोंने सरकार से भी वादी में बिकने वाले सड़े गले मांस कांड की जांच के सभी तथ्यों को सार्वजनिक करने को कहा ताकि लोगों में जो चिंता और बेचानी है, वह दूर हो सके।
कश्मीर में चल रहा था सड़ा मांस बेचने का नेटवर्क?
मीरवाइज उमर फारूक ने नमाजियों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह से यहां कश्मीर में सड़ा-गला मांस बिक रहा था, लोगों के घरों में पहुंच रहा था, उससे आम लोगों का विश्वास हिल गया है।
इस मामले की गहन जांच के बारे में प्रशासनिक अधिकारियों के दावों और आश्वासन के बावजूद आज तक यह पता नहीं चला है कि कौन लोग इस घिनौने नेटवर्क को चला रहे हैं और यह कब से चल रहा है।
क्या किसी को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है, ऐसी कोई जानकाीर अभी तक सामने नहीं आयी है। इस मामले पर लोगों की चिंता और बेचैनी को दूर करने के लिए यह सब सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
विनियमित बूचड़खाने बनाने की रखी मांग
मीरवाइज उमर फारूक जो हुर्रियत कान्फ्रेंस के चेयरमैन भी है, ने कहा कि 'इस मामले के उजागर होने के बाद यह जरुरी है कि कोई ऐसी ठोस व्यवस्था बने जो इस तरह के कृत्यों केा हमेशा के लिए रोकें।इस जघन्य कृत्य में शामिल लोगों के साथ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जानी चाहिए, जिससे लोगों के स्वास्थ्य और जीवन को गंभीर खतरा है।'
मीरवाइज ने ज़ोर देकर कहा कि कश्मीर को अपने स्वयं के विनियमित बूचड़खानों की ज़रूरत है जहाँ उचित स्वच्छता, इस्लामी दिशानिर्देशों और खाद्य सुरक्षा उपायों का कड़ाई से पालन किया जाता हो।
उन्होंने कहा कि सरकार और व्यापारिक समुदाय, दोनों को इन सुविधाओं को स्थापित करने के लिए कमर कसनी चाहिए, क्योंकि लोग बिना जाँच-पड़ताल के बाहर से आने वाली चीज़ों पर आँख मूँदकर भरोसा नहीं कर सकते।
मीरवाइज ने यह भी कहा कि मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) ने गुरुवार को अपनी बैठक में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए सभी विचारधाराओं के न्यायविदों वाली एक सात-सदस्यीय समिति का गठन किया।
उन्होंने कहा कि एमएमयू में पहले से ही एक हलाल प्रमाणन बोर्ड है, जिसका अब इस्लामी मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।
मीरवाइज़ ने कहा, "एमएमयू हलाल भोजन के इस्लामी स्वरूप को बनाए रखने और हमारे लोगों के स्वास्थ्य और विश्वास की रक्षा के लिए इस मामले में सरकार के साथ सहयोग करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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