कश्मीर से अब तक 2000 टन सेब मंडियों में पहुंचा, हाईवे बंद होने के बीच रेल मार्ग बना लाइफलाइन
श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर बार-बार होने वाली रुकावटों के कारण अधिकारियों ने घाटी से लगभग 2000 टन सेब रेलवे द्वारा बाहर भेजने की जानकारी दी। पिछले हफ़्ते से 125376 सेब की पेटियां भेजी गई हैं जिनमें ज्यादातर दिल्ली भेजी गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि अनंतनाग और बडगाम रेलवे स्टेशनों से सेब की पेटियां भेजी गईं।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के लंबे समय से बंद रहने के बीच अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि इस सीजन में अब तक घाटी से रेलवे के ज़रिए लगभग 2,000 टन सेब बाहरी मंडियों में पहुंचाया जा चुका है।
एक अधिकारी ने बताया कि पिछले हफ़्ते से अब तक 1,25,376 सेब की पेटियां ट्रेन से भेजी जा चुकी हैं, जिनमें से ज्यादातर दिल्ली भेजी गई हैं। उन्होंने कहा, अनंतनाग रेलवे स्टेशन से 87,137 पेटियाँ भेजी गईं, जबकि बडगाम रेलवे स्टेशन से 38,239 पेटियां भेजी गईं।
बडगाम से भेजा गया 600 टन सेब
उत्तर रेलवे के कश्मीर के मुख्य क्षेत्र प्रबंधक साकिब यूसुफ ने बताया कि अनंतनाग से 350 टन, 650 टन और 376 टन सेब अलग-अलग खेपों में पहले ही लादकर भेज दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि बडगाम से भी अभी तक लगभग 600 टन सेब भेजा जा चुका है।
सनद रहे कि घाटी भारत के 70 प्रतिशत से ज्यादा सेबों का उत्पादन करती है। पिछले साल 20.4 लाख मीट्रिक टन सेबों का उत्पादन दर्ज किया गया था। हालांकि, यह उद्योग श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग की दया पर निर्भर है, जो अक्सर बंद रहता है। इस वर्ष मौसमी परिस्थितियों ने इस मार्ग को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है।
सेबों के ट्रक सड़क के बीचोंबीच फंसे
पिछले महीने भारी बारिश और भूस्खलन के कारण राजमार्ग लगभग दो हफ़्ते तक जाम रहा, जिससे करोड़ों रुपये मूल्य के सेबों से भरे ट्रक सड़क पर फंस गए।
हाालंकि मार्ग के प्रभावित हिस्से की मरम्मत कर इसे अब आंशिक तौर पर यातायात के लिए खोल दिया गया है। अलबत्ता फल उत्पादकों की दिकक्तों को देख प्रशासन ने फल देश की अन्य मंडियों तक पहुुचाने के लिए मुगल रोड़ के साथ साथ पार्सल रेल सेवा का भी सहारा लिया है।
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