Srinagar: शिक्षा के नाम पर चंदा जुटा रहे जमाते इस्लामी, कश्मीर में तैयार कर रहे आतंकी; NIA की ताबड़तोड़ छापेमारी
एनआइए के प्रवक्ता ने बताया कि जिनके घरों व अन्य ठिकानों की तलाशी ली गई है वह सभी प्रतिबंधित जमाते इस्लामी के कट्टर समर्थक और सदस्य हैं। यह लोग जमाते इस्लामी पर प्रतिबंध के बावजदू उसका राष्ट्रविरोधी एजेंडा चला रहे हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। प्रतिबंध के बावजूद जमाते इस्लामी जम्मू कश्मीर में राष्ट्रविरोधी गतिविधियां चला रहा है। यह संगठन कश्मीर में शिक्षा व धर्मप्रचार के नाम पर देश-विदेश से चंदा जुटाकर इसका इस्तेमाल आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों में कर रहा है। वह कश्मीरी युवाओं को इस्लाम के नाम पर बरगलाकर हिजबुल मुजाहिदीन समेत विभिन्न आतंकी संगठनों में शामिल करने के लिए तैयार कर रहा है।
इस खौफनाक षड्यंत्र से पर्दा एनआइए ने अपनी जांच में उठाया है। एनआइए ने वीरवार को कश्मीर के दो जिलों बारामुला व बड़गाम में जमाते इस्लामी से जुड़े 11 लोगों के ठिकानों पर छापे मारे हैं। इनमें संसद हमले के आरोपित रहे प्रो. एसएआर गिलानी का भाई समेत पाकिस्तान में छिपे हिजबुल सरगना सैयद सलाहुद्दीन के पड़ोसी का मकान भी शामिल है।
एनआइए ने छापेमारी में किसी को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने की पुष्टि नहीं की है। अलबत्ता, कई डिजिटल उपकरण, मोबाइल फोन व सिमकार्ड, जिहादी पुस्तकें और वित्तीय लेनदेन के दस्तावेज और डायरियां जब्त की हैं। यह छापेमारी सुबह छह बजे शुरू हुई और दोपहर बाद तक जारी रही। जमाते इस्लामी को 28 फरवरी, 2019 को प्रतिबंधित किया गया था।
इसके अलावा एनआइए ने जमात द्वारा चंदा जमा करने और उसका इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में करने, हिजबुल व लश्कर जैसे आतंकी संगठनों का नेटवर्क मजबूत बनाने व उसका कैडर तैयार करने के षड्यंत्र का संज्ञान लेते हुए पांच फरवरी, 2021 को मामला दर्ज किया था। इसी मामले में जमाते इस्लामी के चार सदस्यों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र भी दायर किया है।
एनआइए के प्रवक्ता ने बताया कि जिनके घरों व अन्य ठिकानों की तलाशी ली गई है, वह सभी प्रतिबंधित जमाते इस्लामी के कट्टर समर्थक और सदस्य हैं। यह लोग जमाते इस्लामी पर प्रतिबंध के बावजदू उसका राष्ट्रविरोधी एजेंडा चला रहे हैं। जांच में पता चला है कि जमाते इस्लामी ने प्रतिबंध के बावजूद अपनी गतिविधियां जारी रखी हुई हैं।
इसके विभिन्न नेता और सदस्य देश-विदेश में शिक्षा, धर्म प्रचार और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर चंदा जमा कर रहे हैं। जकात और बैतुल माल के नाम पर जमा किए गए रकम का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा फैलाने व विभिन्न आतंकी संगठनों को दिया जा रहा है। जमाते इस्लामी को कश्मीरी आतंकियों के सबसे बड़े संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का फौजी बाजू भी कहा जाता रहा है।
इनके ठिकानों पर हुई छापेमारी
-बड़गाम जिले के हंजूरा में बिलाल अहमद मीर और वागम में खिजर मोहम्मद नजार के मकान में।
-बड़गाम के सोईबुग में हिजबुल कमांडर मोहम्मद युसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन के पुश्तैनी घर के पास देहमुना में अब्दुल गफ्फार मलिक, जवालपोरा में मोहम्मद शफी डार तथा फलाछिल में गुलाम मुस्तफा गनई के घर में।
-बारामुला में संसद हमले के आरोपितों में शामिल रहे प्रो. एसएआर गिलानी के भाई मुफ्ती अब्दुल रहीम के घर की तलाशी। प्रो. गिलानी को अदालत ने बरी कर दिया था।

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