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    श्रीनगर में अतिक्रमण की समस्या से निपटना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती, क्या यह है विकास की कीमत?

    By Raziya Noor Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Thu, 16 Oct 2025 04:05 PM (IST)

    श्रीनगर में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है, जिससे यातायात जाम और शहर की सुंदरता प्रभावित हो रही है। प्रशासन अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चला रहा है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है। क्या यह विकास की कीमत है? 

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    अतिक्रमण के इस मुद्दे पर बहस जारी है और स्थायी समाधान की आवश्यकता है।

    जागरण संवाददाता, श्रीनगर। घाटी का दिल कहलाने वाले श्रीनगर शहर में खासकर व्यस्त व्यावसायिक और आवासीय इलाकों में फुटपाथों व सड़कों पर अतिक्रमण के चलते न केवल वहां से गुजरने वाले पैदल यात्रियों व राहगीरों को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं बल्कि सड़क दुर्घटनाओं की आशंका के चलते राहगीर इन इलाकों से गुजरते समय अपनी जान हथेली पर रख चलते हैं। 

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    सड़क के बीचोंबीच चलने से जरा सी चूक उनकी जिंदगी पर भारी पड़ सकती है। ऐसा ही एक इलाका है लालचौक से सटा जहांगीर चौक। यहां दुकानदारों और रेहड़ीवालों द्वारा सड़क किनारे व फुटपाथों पर अतिक्रमण किए जाने की वजह से वहां से पैदल चलने वालों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 

    फुटपाथों और सड़क के किनारों पर रखे जाने वाले सामान के कारण, स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं सहित पैदल यात्रियों को खतरनाक तरीके से चलते लालचौक के यातायात के करीब चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। चौक की संकरी सड़कें और भारी यातायात समस्या को और बढ़ा देते हैं। बार-बार लोगों की शिकायतों और मीडिया के ध्यान के बावजूद, संबंधित अधिकारी अब तक प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। 

    जान हथेली पर रख गुजरना पड़ता है चौक से

    जहांगीर चौक में बीच सड़क व फुटपाथों पर अतिक्रणम के चलते हमें वहां से गुजरना न सिर्फ हमारी दिक्कतें बढ़ाता है बलकि हमें वहां से गुजरते समय अपनी जान मानो हथेली पर रखके चलना पड़ता है। क्योंकि फुटपाथ व सड़क के एक बड़े हिस्से पर दुकानदारों व रेहड़ी वालों के रखे सामान के चलते हमें सड़क के बीचों बीच चलना पड़ता है। एेसे में किसी भी समय सडड़ हादसा होने का खतरा बना रहता है।

    चौक में चारों तरफ से भारी संख्या में वाहनों की आवाजाही रहती है। सड़क पार करते वक्त जरा सी चूक भारी पढ़ सकती है। यह कहना है मोहम्मद यूनिस नामक एक राहगीर है।यूनुस ने कहा,मैं बरसों से जहांगीर चौक में इसी तरह का मंजर देखता आ रहा हूं। एेसा लगता है कि सरकार इस मुद्दे पर खामोश बैठी हुई है। 

    अतिक्रमणकारियों पर नहीं होती कार्रवाई

    शब्बीर भट नामक एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि फुटपाथ सामान से पूरी तरह अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे हमारे पास सड़क पर चलने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। दुकानार व रेहड़ी वालों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। कभी कभी पुलिस व एसएमसी की टीमें नींद से जाग यहां आकर इन दुकानदारों व रेहड़ी वालों पर डंडे चलाती है। इनका सामान फैंक इन्हें यहां से भगा देती है, यह भाग भी जाते हैं। लेकिन फिर अगले दिन यहां आकर डेरा जमा लेते हैं। समझ में नहीं आता कि सड़कों व फुटपाथों पर कब्जा जमाने वाले ये लोग इन आफिसरों को क्या खिलाते पिलाते हैं कि फिर वह महीनों तक जैसे सोए रहते हैं। 

    आसपास स्कूल, ट्यूशन सेंटर से भी दिक्कत

    मोहम्मद इकबाल नामक एक अन्य व्यक्ति ने कहा, स्कूल व ट्यूशन सेंटर खुलने और बंद होने के वक्त इस चौक में स्थिति और भी खराब हो जाती है। क्योंकि यहां आसपास काफी स्कूल व ट्यूशन सेंटर हैं और अधिकांश बच्चे इस चौक में आकर अपने अपने इलाकों की तरफ जाने वाली गाड़ियों का इंतजार करते हैं। इकबाल ने कहा, यहां पास में कोई पैसेंजर शेड उपलब्ध नहीं, फुटपाथ पर वह अतिक्रमण के चलते बैठ नहीं सकते। लिहाजा उन्हें मजबूरन सड़क के बीचोंबीच ही अपनी गाड़ियों का इंतजार करना पड़ता है जोकि बहुत खरतनाक है। 

    हम पैदल चलने वाले लोग कहां जाएं?

    जावेद तांतरे नामक एक व्यक्ति ने कहा कि पैदल यात्रियों व राहगीरों के लिए बनाए गए फुटपाथों पर रेहड़ी वालों ने कब्जा जमा रखा है। दुकानदार भी फुटपाथ व यहां तक कि सड़क का कोई हिस्सा खाली देखें, फौरन अपना सामान रख देते हैं। एेसे में हम पैदल चलने वाले लोग जाएं तो कहां जाए। हमारी सुरक्षा की कौन गारंटी देगा।

    वहीं इस सिलसिले में संपर्क करने पर एसएमसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जहांगीर चौक व लालचौक के अन्य हिस्सों में फुटपाथों व सड़कों पर अतिक्रमण करने वालों पर एसएमसी की पौनी नजर है और उनके खिलाफ नियमों के तहत अवश्य कारर्वाई की जाएगी।