विदेशी फंडिंग का लाइसेंस रद, पाकिस्तान यात्रा की जांच शुरू; वांगचुक की केंद्र को धमकी- 'गिरफ्तारी हुई तो मुश्किलें बढ़ेंगी'
लेह हिंसा के बाद सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक विदेशी फंडिंग में अनियमितता के मामले में जांच के घेरे में आ गए हैं। उनकी एक संस्था का विदेशी फंडिंग लाइसेंस रद्द कर दिया गया है और दूसरी संस्था की सीबीआई जांच चल रही है। गृह मंत्रालय ने उनकी संस्था के विदेशी लेनदेन को राष्ट्रीय हित के विरुद्ध पाया है।

जागरण टीम, लेह। लेह हिंसा के बाद सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक विदेशी फंडिंग में अनियमितता के मामले में जांच के घेरे में आ गए हैं और उनकी एक संस्था का विदेशी फंडिंग प्राप्त करने का लाइसेंस सरकार ने रद कर दिया है। उनकी दूसरी संस्था में कथित विसंगतियों की जांच सीबीआइ कर रही है। यहां बता दें कि बुधवार को लेह में हुई हिंसा के लिए केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक के भड़काऊ भाषणों को जिम्मेवार ठहराया था।
उस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और 89 लोग घायल हो गए थे। उधर स्वयं पर शिकंजा कसते देख सोनम वांगचुक ने सरकार को धमकी दे डाली है कि उनकी गिरफ्तारी हुई तो सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी। गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार सोनम वांगचुक की संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट आफ लद्दाख (सेकमोल) का विदेशी फंडिंग (एफसीआरए) लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद कर दिया है।
यह कार्रवाई संगठन के खातों में पाई गई कथित विसंगतियों के आधार पर की गई है। सोनम वांगचुक के एक अन्य संगठन हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख (एचआइएएल) में भी विदेशी वित्तीय लेन-देन में अनियमितता की सीबीआइ जांच कर रही है। इसके साथ अब लेह में भड़की हिंसा में भी अपनी भूमिका की जांच होते देख वांगचुक ने केंद्र सरकार को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी, उनकी आजादी से कहीं ज्यादा बड़ी परेशानियां पैदा करेगी।
लेह हिंसा के बाद सोमन वांगचुक पर कसा शिकंजा
बता दें कि सुरक्षा एजेंसियां सोनम वांगचुक की संस्था से संबंधित वित्तीय मामलों के साथ उनकी पाकिस्तान यात्रा की जांच कर रही हैं। लद्दाख में राज्य का दर्जा देने और उसे छठी अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे पर बीते पांच वर्ष से मांग हो रही है। इसी मांग के समर्थन में लद्दाख में विभिन्न संगठनों ने एक साझा मंच बनाया हुआ है। अपनी मांगों को लेकर 10 सितंबर से लेह में सोनम वांगचुक के नेतृत्व में अनशन जारी था।
यह अनशन बुधवार को हिंसा में बदल गया। इसके बाद सोनम वांग्चुक ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर चुपचाप अपने गांव चले गए। पुलिस व अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लेह हिंसा में सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है।सरकार के अनुसार यह मिली अनियमितताएं- गृह मंत्रालय ने स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट आफ लद्दाख (सेकमोल) को वित्तीय विसंगतियों के मामले में नोटिस भी जारी किया था।
नम वांगचुक की संस्था का विदेशी फंडिंग का लाइसेंस रद
आरोप है कि वांगचुक ने संस्था के एफसीआरए खाते में साढ़े तीन लाख रुपये जमा कराए और इसमें सेक्शन 17 का उल्लंघन हुआ। संस्था ने इस पर स्पष्टीकरण दिया था कि यह राशि 2015 में एफसीआरए फंड के तहत खरीदी गई एक बस की बिक्री से प्राप्त हुई थी।
मंत्रालय के अनुसार पैसा नकद लिया गया और यह सेक्शन 17 का उल्लंघन है और इसका संस्था ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। - इसके अलावा 3.35 लाख रुपये की राशि विदेशी फंडिंग से मिलने की सूचना संस्था ने दी थी।
हालांकि यह एंट्री एफसीआरए खाते में नहीं दिखाई गई और यह सेक्शन 18 का उल्लंघन है। - स्वीडन से मिली 4.93 लाख की सहयोग राशि भी मंत्रालय की जांच के घेरे में है। यह राशि जागरूकता अभियान चलाने के नाम पर मिली थी। संस्था का दावा था कि राशि का नियमानुसार उपयोग किया गया और केवल शिक्षण कार्यों पर ही खर्च हुआ।
संस्था के खाते में स्वीडन से भी हुआ है लेनदेन
सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि संप्रभुता के मुद्दे पर विदेश से सहायता नहीं प्राप्त की जा सकती। इन अनियमितताओं के आधार पर सरकार ने गुरुवार को संस्था का लाइसेंस तत्काल रद करने का आदेश जारी कर दिया।संस्था से जमीन वापस लेने व विदेशी चंदे की जांच के बाद से उग्र हैं लेह के हालात पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थानीय संगठनों के साथ केंद्र सरकार की हाई पावर्ड कमेटी की बातचीत लगातार आगे बढ़ रही थी।
सोनम वांगचुक शुरू से ही लद्दाख के संदर्भ में केंद्र सरकार की नीतियों के विरोधी रहे हैं, लेकिन वह खुद को स्थानीय संगठनों के आंदोलन से अलग रखे हुए थे। जबसे उन्होंने इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाना शुरू की, हालात बदलते गए। उनकी संस्था हिमालयन इंस्टीच्यूट आफ आल्टरनेटिव्य लद्दाख को आवंटित जमीन वापस लिए जाने और विदेशों से चंदा प्राप्त करने के मामलों की जब से जांच शुरू हुई है, वह पूरी तरह से उग्र हो चुके हैं।
भड़के वांगचुक की केंद्र सरकार को धमकी
वांगचुक का कहना है कि केंद्र सरकार मुझ पर पीएसए लगाकर जेल भेजना चाहती है : वांगचुक सोनम वांगचुक ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का दावा बेबुनियाद है। मैंने लेह में किसी को नहीं भड़काया है। लद्दाख के आंदोलन को दबाने के लिए ही कभी मेरे खिलाफ सीबीआइ जांच की बात होती है, तो कभी मुझ पर विदेश से गलत तरीके से चंदा प्राप्त करने का आरोप लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार लेह हिंसा के लिए पहले कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही थी और अब मुझे जिम्मेदार बता रही है, लेकिन वह हिंसा के मूल कारण को हल करने से बच रही है।
केंद्र सरकार मुझपर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत दो साल तक जेल में बंद रखना चाहती है, मैं इसके लिए तैयार हूं। लेकिन, जेल में सोनम वांगचुक से आजाद सोनम वांगचुक से सरकार को ज्यादा परेशानी हो सकती है। वांगचुक ने कहा कि मुझे इससे कोई हैरानी नहीं हुई है। कुछ समय पहले सीबीआइ का एक दल जांच के लिए आया था। उन्होंने कुछ दस्तावेज मांगे थे, जो हमने उपलब्ध कराए थे।
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