देवदूत बनकर श्रद्धालुओं की मदद कर रहे SDRF जवान, बेखौफ होकर बाबा बर्फानी के दर्शन कर रहे भोले के भक्त
अमरनाथ यात्रा में एसडीआरएफ के जवान श्रद्धालुओं के लिए गुमनाम नायक बने हुए हैं। दुर्गम पहाड़ियों पर ये जवान तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सहायता में तत्पर हैं। एसडीआरएफ औएनडीआरएफ की टीमें मिलकर चिकित्सा सहायता और मार्गदर्शन प्रदान कर रही हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि ये बचाव दल उनके लिए भगवान का स्वरूप हैं जो कठिन रास्तों पर उनका मनोबल बनाए रखते हैं।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। श्री अमरनाथ की वार्षिक यात्रा के लिए आए भोले के भक्तों की सुरक्षा व सेवा के लिए जहां प्रशासन से लेकर पुलिस व आम नागिरक अपने अपने स्तर पर भूमिका निभा रहे हैं।
वहीं राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के जवान गुमनाम नायक बनकर उभर रहे हैं और अमरनाथ यात्रा के लिए हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों को पार करने वाले हजारों श्रद्धालु, जो पवित्र गुफा के दर्शनों के लिए पहाड़ियों को पार कर रहे हैं, उनकी पल-पल सहायता कर रहे हैं।
यह जवान संकटग्रस्त यात्रियों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर रहे हैं, उन्हें बचा रहे हैं और पूरी तीर्थयात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं। अप्रत्याशित मौसम, खड़ी पहाड़ी रास्तों और पहलगाम तथा बालटाल मार्गों की ऊंचाई वाली चुनौतियों का सामना करते हुए कई तीर्थयात्रियों ने खुद को जानलेवा परिस्थितियों में पाया है।
अलबत्ता हर पल एसडीआरएफ की टीमों ने तीर्थयात्रा के सबसे कठिन हिस्सों में तेजी से निकासी, चिकित्सा सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करते हुए कदम बढ़ाया है।
एसडीआरएफ, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के साथ मिलकर वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए कमांड कंट्रोल सेंटर की रीढ़ है। यह हाईटेक कंट्रोल सेंटर जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, स्वास्थ्य, पीएचई और दूरसंचार सहित 20 विभागों के लगभग 60 कर्मियों को एक साथ लाता हैl
इस वर्ष एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बीएसएफ, जेकेएपी, सीआरपीएफ, एसएसबी और होमगार्ड्स की 45 पर्वतीय बचाव टीमों (एमआरटी) को 24 जून को श्रीनगर स्थित एसडीआरएफ की प्रथम बटालियन से औपचारिक रूप से रवाना किया गया।
इस तैनाती में यात्रा के दो महत्वपूर्ण मार्ग पहलगाम और बालटाल, दोनों शामिल थे। ये उच्च प्रशिक्षित एमआरटी विशेष उपकरणों से लैस हैं और इन्हें उच्च ऊंचाई पर बचाव, हिमस्खलन प्रतिक्रिया और आपातकालीन आपदा राहत में कठोर प्रशिक्षण प्राप्त है।
इन बचाव टीमों को दोनों यात्रा मार्गों पर रवाना करने के अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान होम गार्ड्स, सिविल डिफेंस और एसडीआरएफ जम्मू-कश्मीर के कमांडेंट जनरल आलोक कुमार ने टीमों को संबोधित किया, उनके साहस की सराहना की और उनसे यात्रियों की सेवा करुणा और प्रतिबद्धता के साथ जारी रखने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा था यात्रा मार्गों पर आपकी उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। आप न केवल बचावकर्मी हैं, बल्कि उन तीर्थयात्रियों के लिए भावनात्मक और शारीरिक सहारा भी हैं जो खुद को कठिन भूभाग से घिरा हुआ पाते हैं।
तीर्थयात्रा के दौरान कई तीर्थयात्री जो चोटों, थकान या ऊंचाई से संबंधित जटिलताओं से पीड़ित थे, उन्हें एसडीआरएफ कर्मियों द्वारा सुरक्षित रूप से बचाया गया और चिकित्सा सहायता प्रदान की गई। सुरक्षा बलों की सक्रिय उपस्थिति ने यात्रियों को आश्वस्त किया है और कठिन यात्रा में भाग लेने वालों का आत्मविश्वास बढ़ाया है।
इधर श्रद्धालु एसडीआएफ व एनडीआरएफ की इन बचाव टीमों की प्रशंसा करते नही थक रहे हैं। उनका कहना है कि इस पवित्र परनतु दुर्लभ यात्रा में यह बचाव टीेमें उनके लिए मसीहाओं से कम नही है।
मानवी राठोर नामक एक अमरनाथ श्रद्धालु ने कहा,यह बचाव दल हमारे लिए भगवान का स्वरूप हैं। कदम कदम पर महारे साथ रहते हैं। मानवी ने कहा,गत दिनों हम बालटाल की तरफ आते हुए रायलपथरी के निकट तूफानी बारिश में फंस गए थे।
बारिश इतनी खतरनाक थी कि हमें लगा कि हम यहां से जिंदा बच कर नही जा सकेंगे। लेकिन इस बीच सेना के साथ साथ यह बचाव दल हमारी मदद को पहुंचे और मतामतर चुनौतियों के बावजूद हम सब को सुक्षित वहां से बचा लिया।
सुबोध चटर्जी नामक एक और श्रद्धालु ने कहा,अमरनाथ जैसी दुर्लब यात्रा में यदि इन बचाव दलों की उसिथिति नही होती तो यह पवित्र यात्रा हमारे लिए बहुत कठिन हो जाती। यात्रा के इन दुर्लभ व कठिन रास्तों पर इन बचाव दलों का साथ हमारे मनोबल को बनाए रखता है। चटर्जी ने कहा,भोले की कृपा और इन बचाव दलों की मदद से ही हम यह पवित्र यात्रा सुगम तरीके से कर पाते हैं।
बता दें कि श्री अमरनाथ जी की पवित्र यात्रा सुचारु व शांतिपूर्वक ढंग से दोनों यात्रा मार्गों से जारी है और अब तक तीन लाख के करीब श्रद्धालु भोले के दर्शन कर चुके हैं।
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