Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कश्मीर में बढ़ी पर्यटकों की मुसीबत, शाम के समय नहीं मिल रहे पब्लिक वाहन, दोगुना हुआ किराया

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 04:47 PM (IST)

    दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा, अवंतीपोरा और शोपियां में शाम को पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने से लोगों को परेशानी हो रही है। काम करने वाले लोग, मजदूर, छात्र और ...और पढ़ें

    Hero Image

    कश्मीर में बढ़ी पर्यटकों की मुसीबत, शाम के समय नहीं मिल रहे पब्लिक वाहन (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता,श्रीनगर। दक्षिणी कश्मीर के कई हिस्सों विशेषकर पुलवामा, अवंतीपोरा और शोपियां इलाकों में शाम के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने से काम करने वाले प्रोफेशनल्स, दिहाड़ी मजदूरों, स्टूडेंट्स और मरीजों को परेशानी हो रही है।

    स्थानीय लोगों ने कहा कि वे खासकर शाम के समय जब कड़ाके की इस ठंड से बचने के लिए लोग जलदी अपने घरों की तरफ जाने की कोशिशें में रहते हैं,वाहनों के उपलब्ध न होने से परेशान हो जाते हैं।

    पिछले कई हफ्तों से, इन इलाकों के लोगों ने बताया कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने के कारण, सैकड़ों लोग मेन टाउन पुलवामा और आस-पास के इलाकों में सूमो स्टैंड पर बेबस होकर इंतज़ार करते रहते हैं।

    जिले के राजपोरा, शादीमार्ग, केलर, तहाब, चंदगाम, लस्सीपोरा, कोइल, अवंतीपोरा और दूसरे आस-पास के गांवों के लोगों ने कहा कि शाम के समय सड़कों से ट्रांसपोर्ट न होने से उनका रूटीन बिगड़ गया है। कई दिहाड़ी मजदूर और स्टूडेंट्स इन कड़ाके की ठंड के दिनों में देर से घर पहुंचते हैं। शब्बीर अहमद परे नामक एक स्थानीय नागरिक ने कहा,हम लोग रोज पिसते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शाम होते ही सड़कों से पबलिक ट्रांसपोर्ट गायब हो जाता है। हां सूमो और आटो रिक्शा वाले मिल जाते हैं। लेकिन वह हमारी मजबूरी का फायदा उठा दुगना किराया वसूलते हैं। परे ने कहा, हम दिनभर मेहनत कर 500-600 रुपया कमाते हैं।

    ऐसे में घर पहुंचाने के लिए यह आटो सूमो वाले हम से चंद किोमीटर का 150-200 रुपये किराया वसूलते हैं जबकि पबलिक ट्रांसपोर्ट में इसका किराया 20 रुपये से ज्यादा नही होता। आकिब अहमद मागरे नामक एक अन्य नागरिक ने कहा,जिला प्रशासन को इसकी सुध लेनी चाहिए और यह यकीनी( सपष्ट) कर देेना चाहिए कि शाम को सड़कों पर पबलिक ट्रांसपोर्ट मौहय्या हो ताकि हम जैसे आम लोगों को दिक्कतें ना झेलनी पड़े।