15 की मौत... पाकिस्तान से आजादी मांग रहा गुलाम जम्मू-कश्मीर, छोटी-छोटी बातों पर चल रही गोलियां
गुलाम जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के खिलाफ जनता का आक्रोश बढ़ रहा है। बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे लोगों पर गोलियां चलाई जा रही हैं जिससे 15 लोगों की मौत हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर आवामी एक्शन कमेटी (जेकेएएसी) लोगों की आवाज बनकर उभरी है। रावलकोट जो कभी जिहाद का केंद्र था अब पाकिस्तान से आजादी की मांग का केंद्र बन गया है।

नवीन नवाज, श्रीनगर। गुलाम जम्मू-कश्मीर पिछले तीन दिन से जल रहा है। 15 के लगभग लोगों की मौत हो चुकी है। इंटरनेट सेवाएं ठप हैं और बाजार बंद। अगर कुछ सुनाई दे रहा है तो सिर्फ आंसू गैस, गोलियों की आवाज और आजादी के नारे।
गुलाम जम्मू-कश्मीर में जारी हसा विगत कई वर्षों से पाकिस्तान के प्रति लगातार बढ़ते जन आक्रोश का परिणाम है। इसलिए वहां अब पाकिस्तान से आजादी की मांग उठने लगी है।गुलाम जम्मू-कश्मीर के लोग खुद को पाकिस्तान का गुलाम महसूस करते हैं।
वहां औद्योगिक निवेश के नाम पर जिहादी फैक्टरियां लगाई गई हैं, जिनके लिए कच्चा माल यानि बेरोजगारी से हताश स्थानीय युवा इस्लाम के नाम पर आसानी से उपलब्ध हैं। दशकों से पाकिस्तान के जुल्म को सह रही गुलाम जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए जम्मू-कश्मीर आवामी एक्शन कमेटी (जेकेएएसी) आवाज बनकर सामने आई है।
रावलकोट बना आजादी का केंद्र
रावलकोट, जो कभी कश्मीर में जिहाद के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का प्रमुख केंद्र था, आज गुलाम जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तान से आजादी की मांग का केंद्र बन चुका है।जेकेएएसी के अध्यक्ष शौकत नवाज मीर के अनुसार, आज रावलाकोट, दोमेल, मुजफ्फराबाद, शारदा समेत हर जगह लोग अपने हक की मांग उठा रहे हैं।
पाकिस्तानी सरकार के लंबे समय से उपेक्षा, दमन और शोषण का शिकार हमारे लोग अब उठ खड़े हुए हैं। हम कुछ ज्यादा नहीं मांग रहे हैं, इस क्षेत्र को सम्मान और विकास की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान ने 1947 के बाद से लगातार हमारे संसाधनों को लूटा है। यहां जम्हूरियत के नाम पर उसने अपनी कठपुतली सरकार बैठा रखी है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से पाकिस्तान की फौज ने यहां हमारे लोगों पर गोली चलाई हैं, उससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह किस कदर वहशी हो चुकी हैं।रावलाकोट, जिसे एक समय पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस ने भारत विरोधी गतिविधियों के केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया था, अब प्रतिरोध का केंद्र बन गया है, जहां स्थानीय लोग वास्तविक स्वायत्तता और अपने संसाधनों पर नियंत्रण की मांग कर रहे हैं।
बुनियादी अधिकारों की मांग पर चलाई गई गोलियां
गुलाम जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर नजर रखने वाले मीर इमरान ने कहा कि बुनियादी अधिकारों की गुलाम जम्मू-कश्मीर की जनता की मांग का जवाब पाकिस्तान ने उन पर गोलियां चलाकर, उन्हें रहस्यमय तरीके से गायब कर दिया है।
मुजफ्फराबाद मार्च में कोटली, धीरकोट और डडयाल जैसे शहरों से हजारों लोग शामिल हुए। मार्च को नाकाम बनाने के लिए वहां गोलियां चलाई गईं, रास्ते बंद किए गए। गुलाम जम्मू-कश्मीर की सरकार के सचिव ने जेकेएएसी के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन धमकी के साथ।
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