कत्थ-बत्थ और गल-बात: युवाओं के सहारे पार्टी को खड़ा करने की कोशिश में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती 'कत्थ बत्थ' और 'गल बात' के माध्यम से युवाओं को पार्टी से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं। इस अभियान में, पीडीपी युवाओं और स्थ ...और पढ़ें

पीडीपी युवाओं की निराशा का उपयोग राजनीतिक हथियार के रूप में कर रही है, और भाजपा के साथ गठबंधन को सही ठहरा रही है।
नवीन नवाज, श्रीनगर। कत्थ, बत्थ और गल्ल बात। दोस्तों परिचितों के साथ बैठकर आपसी बातचीत-बैठक को कश्मीरी में कत्थ बत्थ और डोगरी मे गल-बात कहते हैं। यह बातचीत पूरी तरह से अनौपचारिक और बिना किसी लाग लपेट के होती है।
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक हल्कों में अब इसका खूब चर्चा हो रहा है, क्योंकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपनी सियासी जमीन को प्राप्त करने, युवाओं को फिर अपने साथ जोड़ने के लिए कत्थ बाथ और गल बात का तरीका अपनाया है। पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती स्वयं इस अभियान का नेतृत्व कर रही हैं और युवाओं के साथ सीधा संवाद बना रही है।
कश्मीर में कत्थ बत्थ और जम्मू में गल-बात के तहत सम्मेलनों में पीडीपी द्वारा समाज के विभिन्न वर्गाें से जुड़े युवाओं और स्थानीय सीविल सोसाईटी को बुलाया जा रहा है। इन सम्मेलनों में युवाओं को,स्थानीय समाजाकि और बुद्धिजीवी संगठनों को मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक व प्रशासनिक मुद्दों पर अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है।
वह सरकार से क्या चाहते हैं और पीडीपी से उन्हें क्या उम्मीद है, इस पर चर्चा होती है। पीडीपी उन्हें अपने राजनीतिक-सामाजिक एजेंडे से अवगत कराती है। वह पूरी तरह से युवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए है और वह युवाओं की सिस्टम से नाराजगी को अपनी राजनीतिक हथियार बना रही है।
वह इन बैठकों में भाजपा के साथ वर्ष 2014 के गठजोड़ को सही ठहराने के साथ साथ कश्मीर मुद्दे में पाकिस्तान की भूमिका, जम्मू कश्मीर को शेष दुनिया से जोड़ने वाले परम्परागत रास्ते खोलने,स्थानीय संसाधनों पर स्थानीयों के अधिकार की भी बात कर रही हैं।
हर शहर, हर गांव में होगा कत्थ-बत्थ का आयोजन
पीडीपी के नेताओं को निर्देश दिया गया है कि वह हर शहर और गांव में कत्थ-बत्थ और गल्ल-बात का आयोजन करें। इनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल रहेंगे और मुख्य भूमिका स्थानीय युवा चेहरों की रहेगी। पार्टी के नेताओं का भाषण कम से कम होगा, सिर्फ बुलाए गए स्थानीय लोगों को ही बोलने का मौका दिया जाए ताे बेहतर रहेगा। पार्टी के नेता इन बैठकों में उठने वाले मुद्दों को लेकर अपनी पूरी तैयारी करने के बाद शामिल हों और प्रयास करें कि प्रदेश की मौजूदा राजनीति पर ही ज्यादा बातचीत हो।
आम नागरिक को जानना मुख्य उद्देश्य
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक वहीद उर रहमान परा ने कहा कि यहां लोगों को खुलकर बोलने की आजादी नहीं है, वह खुलकर अपने दिल की बात नहीं कह सकते, डरते हैं। इसलिए हमनें यह अभियान चलाया है। हम उन्हें पीडीपी की नीतियों से अवगत तो कराते ही है और यह जानने का भी प्रयास कर रहे हैं कि आखिर आम नागरिक क्या चाहता है, उसकी सरकार से जो आकांक्षाएं हैं,वह कैसी हैं और हम कैसे उसकी आवाज को मजबूती दे सकते हैं। लोग हताश हैं और वह पीडीपी में अपने लिए एक उम्मीद देख रहे हैं।
पीडीपी ने कश्मीरियों को किलिंग टच दिया: डार
नेशनल कान्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि पीडीपी ने हमेशा कश्मीरियों और कश्मीरी नौजवानों के साथ विश्वासघात किया है। हीलिंग टच का नारा देकर सत्ता में आने के बाद पीडीपी ने कश्मीरियों को किलिंग टच दिया। आज यह कश्मीरी नौजवानों की हमदर्द होने का दावा करती है, लेकिन जब यहां कश्मीरी नौजवानोंं की आंखों की रोशनी पैलेट गन से जा रही थी, वह मारे जा रहे थे, तो महबूबा मुफ्ती कहती थीं कि क्या टाफिया बंट रही हैं जो यह सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
... यह रास्ता पीडीपी ने ही दिखाया
उस समय उन्हें कश्मीरी नौजवानों पर ज्यादती नजर नहीं आयी। यह तभी कश्मीरियों की हमदर्द होती हैं जब सत्ता से बाहर होती हैं। भाजपा के साथ हाथ मिलाकर इनहोंने ही जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कराया, आज कश्मीरी कैदियों की रिहाई की बात करती हैं, उन्हें जम्मू-कश्मीर से बाहर की जेलों में बंद कराने का रास्ता इन्होंने ही दिखाया। यह सिर्फ कश्मीरी नौजवानों के सिर पर सियासत करना चाहते हैं।
पीडीडी ने सोच समझकर चलाया यह अभियान
जम्मू कश्मीर के मामलों के जानकार एडवोकेट अजात जम्वाल ने कहा कि पीडीपी ने यह जो कत्थ बत्थ और गल्ल बात का अभियान चलाया है, वह सोच समझकर चलाया है। अगर आप 1996 से एक दो वर्ष पहले की महबूबा मुफ्ती की राजनीति को देखें और फिर 1999 से वर्ष 2002 की उनकी राजनीति का देखें तो आप आसानी से समझ जाएंगे कि वह क्या कर रही हैं। वर्ष 2002 तक कश्मीर का युवा और आम कश्मीरी सुरक्षाबलों की कथित ज्यादतियों से नाराज परेशान था।
राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास
महबूबा मुफ्ती ने उनकी उसी भावना का फायदा उठाया और कश्मीरी युवाओं ने उन्हें अपनी आपा, दीदी मानकर, पीडीपी को सत्ता में पहुंचाया। आज भी वह यही करने जा रही हैं और वह इस समय कश्मीरी युवाओं में आरक्षण, राज्य के दर्जे की बहाली, बेरोजगारी के मुद्दे पर बढ़ती हताशा के साथ-साथ उनकी मुस्लिम भावनाओं का लाभ उठाने का प्रयास कर रही हैं। जम्मू में उन्होंने जम्मू बनाम बाहरी का मुद्दा उठाया है। उन्होंने सिस्टम के प्रति जो आम लोगों में कहीं न कहीं नाराजगी का जो भाव रहता है, वह उसका राजनीतिक लाभ लेने के मूड में हैं।

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