Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'अगर मैंने BJP के एजेंडे का समर्थन किया होता, तो आज मैं मुख्यमंत्री होती', ये क्या बोल गईं महबूबा मुफ्ती

    पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भाजपा के एजेंडे का समर्थन करने पर वह आज भी मुख्यमंत्री होतीं लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने उमर अब्दुल्ला पर भी निशाना साधा और गुपकार घोषणा के उद्देश्य को स्पष्ट किया। उन्होंने वक्फ बिल के मुद्दे पर एकता की कमी पर निराशा जताई और कहा कि इससे मुसलमानों को ताकत मिलती।

    By naveen sharma Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Thu, 29 May 2025 01:06 PM (IST)
    Hero Image
    पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने किया बड़ा दावा।

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को दावा किया कि अगर उन्होंने भाजपा के एजेंडे का समर्थन किया होता, तो आज भी वही मुख्यमंत्री होतीं, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के राजनीतिक एजेंडे और अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आज यहां पत्रकारों के साथ एक बातचीत में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद भाजपा ने पीडीपी को जिस तरह निशाना बनाया, उस तरह किसी अन्य पार्टी को निशाना नहीं बनाया।

    उन्होंने कहा कि जब हमने भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी, तो हमने उसके कश्मीर विरोधी एजेंडे पर अंकुश लगाए रखा था, भाजपा हमारी ताकत जानती है और इसलिए उसने पीडीपी को समाप्त करने के लिए, हमारे इरादों को तोड़ने के लिए हर संभव षड्यंत्र किया है। अगर मैंने भाजपा के एजेंडे का समर्थन किया होता, तो मैं आज मुख्यमंत्री होती।

    उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर उमर अब्दुल्ला भी बड़े फैसले ले सकते थे और लोगों के साथ खड़े हो सकते थे, लेकिन अब यह पद तबादलों को लेकर लड़ाई तक सीमित हो गया है। आपको छोटे-मोटे मामलों पर उपराज्यपाल से बहस करनी पड़ती है, जैसे कि किसे कहां तैनात किया जाए। उन्हें अपनी समर्थता और संवैधानिक ताकत को पहचानना चाहिए।

    वह मुख्यमंत्री हैं, बेशक उनके पास सीमित अधिकार हैं, लेकिन मेरा मानना है कि सरकार में अभी भी बहुत ताकत बची हुई है। मुख्यमंत्री रहते हुए उमर अब्दुल्ला कम से कम ,जम्मू-कश्मीर की जनता के मुद्दों पर, उसके राजनीतिक-सामाजिक अधिकारों के संरक्षण पर खुलकर बोल सकते हैं, लेकिन जब कोई अपनी आवाज नहीं उठाता, तो मेरे लिए बोलना जरूरी हो जाता है।

    महबूबा मुफ्ती ने पीपुल्स एलांयस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट संवैधानिक पहचान को बचाने के लिए, पांच अगस्त 2019 से पहले की संवैधानिक व्यवस्था की बहाली के लिए, एकजुट होकर प्रयास करने के लिए ही इसका गठन किया गया। हमने ,पीडीपी ने अपने राजनीतिक हितो के बजाय जम्मू कश्मीर के हितों को प्राथमिकता दी।

    वर्ष 2019 के बाद, मैंने फिर से एकता की कोशिश की जब वक्फ बिल पेश किया गया। हमें एक सामूहिक रुख अपनाना चाहिए था ताकि देश के लोग, खासकर अल्पसंख्यक और मुसलमान यह देख सकें कि जम्मू-कश्मीर का नेतृत्व उनके साथ खड़ा है और उनका समर्थन करने के लिए तैयार है।

    पीडीपी प्रमुख ने कहा कि दुर्भाग्यवश नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पीएजीडी के मामले और वक्फ बिल के मुद्दे पर निराशाजनक रवैया अपनाया है। उन्होंने न केवल विधानसभा में एक प्रस्ताव को पेश होने से रोका, बल्कि फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला दोनों ने व्यक्तिगत रूप से ट्यूलिप गार्डन में बिल लाने वाले मंत्री का स्वागत किया।

    अगर हम एकजुट होते, तो फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को एक साथ देखकर भारत के करोड़ों मुसलमानों को ताकत मिलती। अगर सत्ता आपको इतना कमजोर और कायर बना देती है, तो मुझे नहीं लगता कि ऐसी सत्ता पाने का कोई मतलब है।