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    'शादी के बाद भी देश में रहने के हकदार नहीं पाक नागरिक', मुनीर अहमद घटना के बाद BJP बोली- हो सकते हैं स्लीपर सेल

    पहलगाम हमले के बाद भाजपा ने पाकिस्तानी नागरिकों को निर्वासित करने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया है। भाजपा का कहना है कि भारतीय नागरिकों से शादी करने के बावजूद वे भारत में रहने के हकदार नहीं हैं क्योंकि वे स्लीपर सेल हो सकते हैं। पार्टी ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का भी स्वागत किया है और शिमला समझौते की आलोचना की है।

    By satnam singh Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 03 May 2025 10:48 PM (IST)
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    भारत में रहने के हकदार नहीं पाक नागरिक- भाजपा

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। प्रदेश भाजपा ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार के पाकिस्तानी नागरिकों को निर्वासित करने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि वे भारतीय नागरिकों से विवाहित होने के बावजूद भी देश में रहने के हकदार नहीं हैं।

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    जम्मू-कश्मीर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि ऐसे व्यक्ति संभावित स्लीपर सेल हो सकते हैं और यह संभावना है कि उनमें से कुछ को आईएसआई द्वारा एक दुर्भावनापूर्ण योजना के तहत लगाया गया है।

    सेठी की टिप्पणी तब आई है जब उनके पार्टी सहयोगी और वकील अंकुर शर्मा ने सीआरपीएफ जवान मुनीर खान की पाकिस्तानी पत्नी मीनल खान को बुधवार को आखिरी मिनट पर निर्वासित होने से बचाया था।

    पाकिस्तानी महिला, जिसने पिछले मई में सीआरपीएफ जवान से शादी की थी, 28 फरवरी को जम्मू आई थी और 22 मार्च को उनकी अल्पकालिक वीजा की अवधि समाप्त हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने दीर्घकालिक वीजा के लिए आवेदन किया था।

    'राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करना ठीक नहीं'

    सरकारी सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने शनिवार को मुनीर अहमद को पाकिस्तानी महिला से अपनी शादी को छिपाने के लिए सेवा से बर्खास्त कर दिया, क्योंकि उनकी इस कार्रवाई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक पाया गया था।

    चाहे परिस्थितियां या औचित्य कुछ भी हो, ये अधिक समय तक रहने वाले पाकिस्तानी, भले ही उनके भारतीय नागरिकों के साथ वैवाहिक संबंध हों, भारत में रहने के हकदार नहीं हैं, न ही उन्हें इस भावनात्मक आधार पर एलटीवी का दावा करने का अधिकार है।

    पाकिस्तानी नागरिकों के समर्थन पर सवाल उठाते हुए सेठी ने कहा कि राजनीतिक लाभ या सहानुभूति के लिए उनके दावों की पैरवी करना राष्ट्र की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने के खतरे से भरा है।

    पहली बार कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक आवाज में खड़े होकर साबित कर दिया कि 2019 (जब अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था) के बाद कश्मीर आतंक की राजनीति से दूर हो गया है। अब एक आम कश्मीरी के पास आतंकवादियों और उनके आकाओं के खिलाफ खड़े होने का साहस और प्रतिबद्धता है।

    नदी के पानी का बेहतर उपयोग करने में बनाएगा सक्षम

    पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने के केंद्र के निर्णय का स्वागत करते हुए सेठी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लंबे समय से इस कदम की प्रतीक्षा की थी, जो क्षेत्रीय विकास के लिए नदी के पानी का बेहतर उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।

    उन्होंने 1972 के भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक शिमला समझौते की भी आलोचना की और कहा कि 1971 के युद्ध के बाद देश की अनुकूल स्थिति के बावजूद यह भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ काम करता है।

    भारत का मानना है कि आतंकवाद को तब तक समाप्त नहीं किया जा सकता जब तक इसके मूल कारणों और बुनियादी ढांचे को खत्म नहीं किया जाता। पाकिस्तान, आतंकवाद का समर्थन करने की अपनी नीति से ग्रस्त, अब एक आंतरिक संकट का सामना कर रहा है।