Pahalgam Attack: कश्मीर में कुछ बड़ा होगा, फरवरी में मिले थे संकेत; हमास-जैश व लश्कर के आतंकियों ने की थी बैठक
कश्मीर के मिनी स्विटजरलैंड बैसरन में हुआ आतंकी हमला सुरक्षा तंत्र की बड़ी चूक को उजागर करता है। इस हमले में हमास और कश्मीरी आतंकियों के बीच गठजोड़ की आशंका जताई जा रही है। यह हमला सात अक्टूबर 2023 को इजरायल में नोवा महोत्सव के दौरान हुए हमले से मिलता-जुलता है। सुरक्षा एजेंसियां अब आनन-फानन में सक्रिय आतंकियों को चिह्नित करने और कार्रवाई करने में जुट गई हैं।
नवीन नवाज, श्रीनगर। कश्मीर के मिनी स्विटजरलैंड बैसरन में जो हुआ, उसकी आशंका पहले से ही थी। यह हमला कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों और हमास के बीच आपसी गठजोड़ से पैदा हुए खतरे की शुरुआत है। यह हमला सात अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकियों द्वारा इजरायल में नोवा महोत्सव के दौरान किए गए हमले की पुनरावृत्ति जैसा ही है।
इस हमले ने आतंकी पारिस्थितिक तंत्र के नष्ट होने के अतिविश्वास का शिकार हो चुके सुरक्षातंत्र की खामियों को भी उजागर कर दिया है। जिससे सकते में आई सुरक्षा एजेंसियां अब आनन-फानन में अपने-अपने कार्याधिकर क्षेत्र में सक्रिय आतंकियों को चिह्नित करने, विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आतंकी इनपुट के आकलन व तदनुसार कार्रवाई में जुट गई हैं।
पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की हुई थी बैठक
कश्मीर में कुछ बड़ा होने जा रहा है, इसका संकेत इसी वर्ष फरवरी में मिलने लगा था। दो फरवरी को गुलाम जम्मू-कश्मीर के रावलाकोट और मुजफ्फराबाद में लश्कर कमांडरों की दो बैठकें हुईं। इनमें से एक बैठक को सैफुल्ला कसूरी उर्फ खालिद ने संबोधित किया और सीधे शब्दों में कहा कि हम कश्मीर में अपनी गतिविधियों में तेजी ला रहे हैं।
अगले एक साल में कश्मीर के हालात बदल देंगे। पांच फरवरी को गुलाम जम्मू-कश्मीर में एक रैली में हमास कमांडर और लश्कर, जैश व अन्य आतंकी संगठनों के कमांडर एक ही मंच पर नजर आए थे।
इससे स्पष्ट हो गया था कि कश्मीरी आतंकी और हमास अब एकसाथ आ रहे हैं, दोनों के बीच वैचारिक समानता का लाभ उठाते हुए पाकिसतानी सेना ने उनके गठजोड़ को प्रोत्साहित किया। पिछले सप्ताह भी जैश और हमास कमांडरों के बीच बहावलपुर पाकिस्तान में एक बैठक हुई है।
बैसरन में आतंकी हमला होगा, जरा भी भनक नहीं थी
गत मार्च में भी विभिन्न खुफिया एजेंसियो को इनपुट प्राप्त हुए थे कि आतंकी जम्मू-कश्मीर में कुछ सनसनीखेज हमले करने वाले हैं। इन हमलों में एक पर्यटकों और अल्पसंख्यकों पर हमला होगा। सुरक्षा एजेंसियों ने इस इनपुट का आकलन किया और उन्हें लगा कि इस तरह का हमला जून-जुलाई या फिर श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान हो सकता है।
उन्होंने पर्यटकों की आमद के आधार पर कुछ इलाकों को चिह्नित भी किया, लेकिन वह बैसरन को भूल गए, क्योंकि बैसरन में पर्यटकों की संख्या ज्यादा नहीं रहती। सुरक्षा एजेंसियों ने पहलगाम, यन्नर, शोपियां, गुलमर्ग, सोनमर्ग और श्रीनगर के कुछ स्थानों को चिह्नित किया था। इसके आधार पर संबंधित इलाकों में सुरक्षा प्रबंध भी किए गए थे। आतंकी बैसरन को चुनेंगे, यह अंदाजा किसी को नहीं था।
धर्म के नाम पर दी मौत
आतंकियों ने जिस तरह से बैसरन में हमला किया है, वह कश्मीर में सक्रिय आतंकी सगठनों और हमास के बीच गठजोड़ का नतीजा है, क्योंकि सात अक्टूबर 2023 के नोवा महोत्सव के हमले और गत मंगलवार को बैसरन मे हुए हमले में कई समानताएं हैं।
नोवा महोत्सव के समय हमास ने एक समारोह स्थल को चुना और गैर मुस्लिमों को ही कत्ल किया। हमास न जिस जगह और जब हमला किया, उसके बारे में मोसाद जिसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खुफिया एजेंसी कहा जाता है, भी पूर्वानुमान लगाने में विफल रही थी।
इसी तरह बैसरन में हमले से पूर्व आतंकियों ने कई बार इलाके की रैकी की। भागने के रास्तों के साथ-साथ वहां सुरक्षा बंदोबस्त को भी परखा। बैसरन में उन्होंने जिस जगह हमला किया, वह एक तरह का एन्कलोजर है, जिसमें एक प्रवेश द्वार है और आतंकियों ने वहां गैर मुस्लिमों को उनका नाम पूछ कर, उनके कपड़े तक उतरवाकर उनकी पुष्टि करने के बाद कत्ल किया और फरार हो गए।
आतंकियों ने इस चूक का उठाया फायदा
रक्षा मामलों के जानकार डॉ. अजय च्रंगू ने कहा कि इसे आप सुरक्षातंत्र की विफलता माने या न माने, लेकिन सच तो यही है कि सुरक्षा एजेंसियां चूकी हैं। पर्यटन सीजन शुरू हो चुका है, श्री अमरनाथ की यात्रा शुरू होने वाली है और इन सभी के बीच सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ की घटनाएं लगातार बढ़ने की पुष्टि हो रही है।
आतंकियों द्वारा बैसरन की रैकी करने, आतंकियों द्वारा कश्मीर में पर्यटकों को निशाना बनाए जाने का षडयंत्र रचे जाने के इनपुट और हमास के साथ लश्कर, जैश व अन्य आतंकी संगठनों का गठजोड़, इसे देखते हुए आपको अपना सुरक्षा ग्रिड मजबूत करना चाहिए था।
आप उन जगहों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे, जो जाने पहचाने हैं, आप उन इलाकों के सुरक्षा बंदोबस्त की उपेक्षा कर गए, जो दूर दराज में है या फिर आबादी से दूर जंगलों के साथ सटे हैं। आतंकियों ने इसी चूक का फायदा उठाया है।
आतंकी संगठनों को खड़ा करने में लगी आईएसआई
कश्मीर मामलों के एक अन्य जानकार, सलीम रेशी ने कहा कि मैं सीधे शब्दों में कहूंगा कि यह सुरक्षा तंत्र की विफलता है। इस हमले को कश्मीर में सक्रिय आतंकियों ने हमास के नोवा महोत्सव हमले से सीख लेते हुए किया है। यह कोई छोटी बात नहीं है।
सुरक्षातंत्र में जो नीति निर्धारक हैं, उन्हें इन बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए। लगातार इनपुट मिलते रहे हैं कि आतंकी कुछ बड़ा करने जा रहे हैं और यह हालात नियंत्रित होने का दावा करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते दो वर्ष के दौरान पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई धीरे-धीरे आतंकी संगठनों को फिर से खड़ा करने में लगी है।
सभी इस तथ्य को अच्छी तरह जानते हैं, बीते दिनों पाकिस्तान में हमास के कमांडरों की कश्मीरी आतंकी कमांडरों के साथ बैठक, ब्लूचिस्तान में रेल पर हमला, पाकिसतान जनरल आसिम मुनीर के बयान और लश्कर कमांडरों की रैलियां, यहां सभी को पता था।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमारी कुछ एजेंसियां आतंकी हमले के इनपुट को लेकर जमीनी स्तर पर की जाने वाली कार्रवाई में विफल रही हैं।
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