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    जम्मू-कश्मीर सीएम उमर अब्दुल्ला का छलका दर्द, 'मैं एक केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं, यह सुनना पसंद नहीं'

    By Naveen Sharma Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Thu, 18 Dec 2025 01:05 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें यह सुनना पसंद नहीं है कि वे एक केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत् ...और पढ़ें

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    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य के लोगों की आकांक्षाओं पर भी बात की।

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री कार्यालय को सबसे निशक्त बताते हुए कहा कि यह मेरा दुर्भाग्य है कि मुझे देश के सबसे सशक्त राज्य को एक केंद्र शासित प्रदेश में बदलते देखना पड़ा है। आज जम्मू कश्मीर का मुख्यमत्री पूरे देश में सबसे कमजोर मुख्यमंत्री हैं।

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    बुधवार को दिल्ली में एक मीडिया संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर की मौजूदा प्रशासनिक व्यवस्था की खुलकर आलोचना करने के साथ ही उपराज्यपाल पर प्रदेश की निर्वाचित सरकार के कामकाज में निरंतर हस्ताक्षेप करने का भी आरोप लगाया।

    उन्होंने जम्मू कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने की कोई समय सीमा तय करने पर जोर देते हुए कहा कि मुझे नफरत होती है जब कोई बार बार याद दिलाता है कि हम एक राज्य नहीं केंद्र शासित प्रदेश हैं, मैं एक केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं, मुझे यह याद करना, सुनना पसंद नहीं है।

    ...लेकिन अब बार बार यूटी स्टेट्स पर जोर दिया जाता है

    उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे एक ही वाक्य में केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर शब्दों का इस्तेमाल करना बहुत मुश्किल लगता है। उन्होंने कहा कि जब मैं पहले मुख्यमंत्री था तो मुझे कभी किसी ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर संबोधित नहीं किया, लेकिन अब बार बार यूटी स्टेट्स पर जोर दिया जाता है।

    उन्होंने कहा कि एक ऐसे राज्य से जिसका अपना संविधान हो, झंडा हो,से वंचित होकर रहना बहुत मुश्किल है। उन्होंने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को लेकर यथार्थवादी रवैया अपनाते हुए कहा कि हम अपने विशेष दर्जे की बहाली के लिए संकल्पबद्ध हैं, लेकिन मैं लोगों को मूर्ख बनाने के लिए मौजूदा केंद्र सरकार से यह नही कह सकता कि उसने जो छीन लिया है, वापस कर दे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 की वापसी, पूरी तरह केंद्र में सरकार बदलने पर निर्भर करती है। जिन लोगोंने इसे हमसे छीन लिया, उसने इसे वापस करने के लिए कहना बेकार है।

    हम उतना नहीं कमा पा रहे जितना शासन पर खर्च कर रहे

    उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के साथ अपने संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने जिस प्रकार के काम किए हैं, उससे मेरे पास शिकायत करने के बेहद कम अवसर बचे हैं। हमारा राज्य देश में आर्थिक रूप से पिछड़ा हिस्सा हैं। हम उतना नहीं कमा पा रहे जितना शासन पर खर्च कर रहे हैं।

    भारत सरकार के लिए हमें घुटने पर लाना बेहद आसान होगा। उन्हें बस इतना ही करना है कि हमारे फंड को रोक देना है, लेकिन असल में उन्होंने इसके उलट काम किया है। केंद्र ने पिछले साल के अंत में मेरी सरकार को बजट में निर्धारित फंड से कहीं अधिक धन दिया है। उम्मीद है कि इस साल भी यही सिलसिला रहेगा।

    उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ मतभेदों को स्वीकारते हुए उन पर निर्वाचित सरकार के कामकाज में हस्ताक्षेप का आरोप लगाया। उनहोंने कहा कि वह उन संस्थानों और विश्वविद्यालयों के अध्यक्ष व चांसलर बने हुए हैं जो परम्परागत रुप से निर्वाचित सरकार के मुख्मयंत्री के पास होने चाहिए।

    सूचना विभाग पर भी उपराज्यपाल प्रशासन का कब्जा

    उन्होंने उपराज्यपाल द्वारा पर्यटन के मुददे पर बुलाई गई बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि जो व्यक्ति सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, वह भला क्यों पर्यअन के मुददे पर बैठक बुला रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल प्रशासन ने सूचना विभाग पर निर्वाचित सरकार के नियंत्रण को समाप्त करने के लिए जम्मू कश्मीर प्रशसनिक सेवा कैडर के लिए आरक्षित पद पर एक आईएएस अधिकारी को नियुक्त किया है।

    स्टेटहुड के मुद्दे पर उमर ने केंद्र को चुनौती दी कि वे अक्सर जिस 'सही समय' का ज़िक्र करते हैं, उसे बताएं। 'हमें बताएं कि गोलपोस्ट क्या है। क्या यह तब है जब भाजपा सत्ता में आएगी? अगर ऐसा है, तो ईमानदार रहें ताकि लोग फैसला कर सकें।उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर हमें निराशा ही मिली है, हमें हर बार यही बताया गया कि इसके लिए सही समय आएगा, लेकिन कोई ये नहीं बता रहा कि वे सही समय का अंदाजा कैसे करेंगे। सरकार हमें यह बताए कि जम्मू कश्मीर को दोबारा स्टेटहुड पाने के लिए क्या करना होगा, जहां आप कहें कि हां, यही उचित समय है। क्या सही समय तब आएगा जब बीजेपी सत्ता में आएगी, अगर यही बात है तो हमें बता दें।

    सरकार हमें तीसरे चरण के लिए क्यों इंतजार करवा रही

    उन्होंने आगे कहा कि स्टेटहुड को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और संसद से कहा था कि यह तीन चरणों में पूरा किया जाएगा, इसमें परिसीमन, चुनाव और राज्यदर्जा (स्टेटहुड) शामिल है। दो चरण इनमें से पूरे हो चुके हैं। अब सरकार हमें तीसरे चरण के लिए क्यों इंतजार करवा रही?

    उन्होंने आगे कहा कि केंद्र से राज्य के पूर्ण राज्य दर्जे का मांग को लेकर बात चल रही है। ऐसा कोई सार्वजनिक अवसर नहीं आया जब प्रधानमंत्री या किसी वरिष्ठ मंत्री के साथ चर्चा न हुई हो। तीन नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद गए और केंद्रीय गृह मंत्री से मंगलवार को बात की और उनकी बातचीत में पूर्ण राज्य दर्जा का मुद्दा भी शामिल था।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे उम्मीद है पूर्ण राज्य के मुद्दे पर हम जल्द कुछ आगे बढ़ेंगे। इसी बीत हम व्यापारिक नियमों पर और अधिक काम देखना चाहते हैं। हम (जम्मू कश्मीर) दिल्ली और पुडुचेरी जैसे केंद्रशासित प्रदेशों से अलग हैं। हमारा शासन स्वयं के कानूनों से चलता। 

    हाल ही में इस्तीफ़े की संभावना वाली खबरों पर पर सफाई देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैंने यह नहीं कहा कि मैं इस्तीफ़ा दे दूंगा। मैंने कहा कि हर चीज़ की एक तय समय सीमा होती है, और मेरे सब्र की भी एक समय सीमा होनी चाहिए। उन्होंने उपराज्यपाल प्रशासन पर सरकार के कामकाज में दखल का आरोप लगाते हुए कहा कि आरक्षण कोटे में बदलाव का फैसला उनके पास लंबित पड़ा है।

    चुनी हुई और बिना चुनी सरकार के बीच बंटवारा अलग-अलग

    उन्होंने कहा, 'चुनी हुई और बिना चुनी हुई सरकार के बीच अधिकारों व शक्तियों का बंटवारा अलग-अलग है।' आतंकी हमलों और कट्टरपंथ के बारे में बात करते हुए उमर अब्दुलला ने कहा कि हाइपर नेशनलिज़्म' और सामूहिक सज़ा कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहे हैं । उनन्होंने आतंकी हमलों के बाद घर गिराने की निदां करते हुए कहा कि पहलगाम हमले के बाद आप गए और 10 या 12 घर उड़ा दिए, और बाद में पता चला कि पहलगाम हमले में कोई कश्मीरी शामिल नहीं था।। अगर इससे लोगों में और ज्यादा विमुखता पैदा होती है, और कटटरपंथी मानसिकता पैदा होती है तो यह किसकी गलती है।

    जम्मू कश्मीर में फुटबाल टीम के चयन और मेरिट के आधार पर मेडिकल कॉलेज में दाखिले को लेकर पैदा हुए विवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि चयनित खिलाड़ियों और छात्रों में अधिकांश मुस्लिम हैं। इसलिए विवाद पैा किया जा रहा है। जब आप एक पूरे समुदाय को हाशिए पर धकेल देते हैं तो आप प्रतिक्रिया में कमी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?'

    आइएनडीआइ एलांयस आइसीयू या वेंटीलेटर पर ही नजर आता है

    आइएनडीआइ एलांयस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ह अक्सर आइसीयू या वेंटीलेटर पर ही नजर आता है। अपने पिता डा फारूक अब्दुल्ला के विपरीत उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह नही मानते की ईवीएम के जरिए वोट चोरी किए गए हैं। उन्होनंे कहा कि मेरे पिता मशीन चोरी में पक्का विश्वास करते हैं... वाटसएप पर जो कुछ भी आता है, वह उनके लिए सच होता है।' 'लेकिन मेरा मानना है कि हमें हार को स्वीकार करना चाहिए और और अपनी जीत के लिए काम करना चाहिए।

    पं जवाहरलाल नेहरु की बार बार आलोचना पर एतराज जताते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाने कहा कि उन्होंने ही एक मजबूत भारत के निर्माण के लिए मजबूत नींव रखी है। उन्होंने ह भी कहा कि भविष्य में 'जब यह सरकार बदलेगी... तो इस देश की हर समस्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दरवाज़े पर रखी जाएगी। आप मुझसे लिखकर ले सकते हैं... राजनीति ऐसे ही काम करती है।'