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    'मैंने कभी हंगुल नहीं देखा', उमर अब्दुल्ला ने किया लुप्तप्राय जीवों के संरक्षण के लिए त्वरित कार्रवाई का वादा

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 10:41 PM (IST)

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हंगुल संरक्षण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने कभी इसे अपनी आँखों से नहीं देखा। श्रीनगर में एक सम्मेलन में उन्होंने लुप्तप्राय जीवों के संरक्षण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। विशेषज्ञों ने हिमालयी क्षेत्र में वन्यजीवों को बचाने के लिए शोध और रणनीतियों पर विचार किया जिसपर उमर ने तत्काल कार्यवाही पर जोर दिया।

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    उमर अब्दुल्ला ने किया लुप्तप्राय जीवों के संरक्षण के लिए त्वरित कार्रवाई का वादा (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को हंगुल समेत अन्य लुप्तप्राय अनगुलेट्स (खुर वाले जीव) के संरक्षण के लिए सभी सिफारिशों पर कार्रवाई का यकीन दिलाया। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि डाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के पास ही मेरा घर है, लेकिन मैंने आज तक कभी नंगी आंखों से हंगुल को अपने सामने नहीं देखा है।

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    सकास्ट-के प्रो चांसलर एवं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मौजूद पर्यावरणविद्ध और वैज्ञनिक और नीति निर्माता हंगुल व अनगुलेटस के संरक्षण के लिए जो भी सिफारिशें तय करेंगे, हमारी सरकार उन पर पूरी निष्ठा के साथ कार्रवाई करेगी।

    मुख्यमंत्री उमर शुक्रवार को शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर (स्कास्ट-के) में हंगुल संरक्षण व अन्य लुप्तप्राय जीवों के संरक्षण पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (2आइएचयूसी -25) के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैं अपनी सरकार और सहयोगियों की तरफ से आप को आश्वस्त करता हूं कि इस सम्मेलन से प्राप्त सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू किया जाएगा।

    मुझे उम्मीद है कि जब हम अगली बार यहां मिलेंगे तो हंगुल और मारखोर की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हो चुकी होगी। उन्होंने प्रख्यात पर्यावरणविद एमके रंजीत सिंह के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि वन्य जीवों संरक्षण मानव कल्याण से गहराई से जुड़ा है। संरक्षण केवल जानवरों के बारे में नहीं है, यह मानव अस्तित्व के बारे में भी है

    हंगुल, मारखोर या किसी भी लुप्तप्राय होने वाली प्रजाति का संरक्षण अनिवार्य रूप से जीवन और उस नाज़ुक पारिस्थितिक संतुलन की रक्षा के बारे में है, जिस पर हम निर्भर हैं। मैं ऐसी स्थिति नहीं चाहता जहां हमारे बच्चे और नाती-पोते इन प्रजातियों को केवल किताबों में तस्वीरों के माध्यम से ही जानें, जैसे डोडो या ऊनी मैमथ।

    उन्होने चेतावनी देते हुए कहा कि यह एक घातक त्रासदी होगी, जिसकी हमें अनुमति नहीं देनी चाहिए। आत्मसंतुष्टि के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि ये प्रजातियां फाइलों के एक विभाग से दूसरे विभाग में जाने का इंतज़ार नहीं करेंगी। हम नौकरशाही की देरी बर्दाश्त नहीं कर सकते। इस सम्मेलन के निष्कर्षों को तत्काल कार्रवाई में बदलना होगा।

    मुख्यमंत्री ने हंगुल के संरक्षण कार्यों के व्यावहारिक परिणाम सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल की आवश्यकता पर जोर दिया। जब तक शैक्षणिक अनुसंधान और सरकारी कार्यान्वयन के बीच तालमेल नहीं होगा, हम हंगुल जैसे जानवरों को खोने का जोखिम उठाते रहेंगे। हर प्रजाति किसी न किसी कारण से मौजूद है।

    जब वे फलते-फूलते हैं, तो पारिस्थितिकी तंत्र फलता-फूलता है—और जब पारिस्थितिकी तंत्र फलता-फूलता है, तो मानव जाति भी फलती-फूलती है। मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को उनकी भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया।

    तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, मध्य पूर्व, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के प्रख्यात वन्यजीव विशेषज्ञ, संरक्षणवादी और जीवविज्ञानी शामिल थे। प्रतिभागियों ने हिमालयी क्षेत्र के हंगुल, मारखोर और अन्य लुप्तप्राय: अनगुलेट्स के संरक्षण के लिए शोध और रणनीतियों को साझा किया।

    इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने पर्वतीय वन्यजीव विज्ञान संस्थान शीर्षक से एक विज़न दस्तावेज़ जारी किया और प्रतिभागियों को पुरस्कार और प्रशंसा प्रमाण पत्र वितरित किए। अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यही मेरी आशा है, यही मेरा विश्वास है, और मुझे यकीन है कि अगर हम इसे सही तरीके से अपनाएं - जैसा कि हमने प्रोजेक्ट टाइगर में सफलता और हंगुल और मार्खोर में उत्साहजनक संकेत देखे हैं - तो यह सफलता बढ़ती रहेगी।