जम्मू में बुलडोजर एक्शन में नाराज हुए उमर अब्दुल्ला, एलजी मनोज सिन्हा पर साधा निशाना
जम्मू में एक यूट्यूबर पत्रकार के घर को गिराए जाने पर उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर निशाना साधा। उन्होंने निर्वाचित सरकार के कामकाज में दखल देने और एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया। अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार को विश्वास में लिए बिना कार्रवाई की जा रही है, जो निर्वाचित सरकार को नीचा दिखाने की साजिश है। उन्होंने अवैध कब्जों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई का विरोध किया।
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बुलडोजर एक्शन पर उमर अब्दुल्ला का आया रिएक्शन। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। शरदकालीन राजधानी जम्मू के बाहरी क्षेत्र में एक तथाकथित यूटयूबर पत्रकार के सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनाए गए मकान को गिराए जाने की आलोचना के बहाने शुक्रवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर निशाना साधा है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उपराज्यपाल प्रशासन आए दिन निर्वाचित सरकार के कामकाज में दखल देकर, निर्वाचित सरकार को नीचा दिखाने का षडयंत्र कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जम्मू विकास प्राधिकरण ने गत गुरूवार को जम्मू के बाहरी क्षेत्र में एक पत्रकार द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए मकान को गिरा दिया है। आज यहां पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उपराज्यपाल के कार्यालय द्वारा नियुक्ति अधिकारी जानबूझकर एक खास समुदाय को निशाना बनाकर घर गिराने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई शुरू करने से पहले किसी भी मंत्री को न तो बताया गया और न ही चुनी हुई सरकार को भरोसे में लिया गया। उन्होंने कहा कि यह आवास एवं शहरी विकास विकास से संबधित मुद्दे पूरी तरह से निर्वाचित सरकार के अधीन हैं, लेकिन निर्वाचित सरकार को विश्वास में लिए बगैर अधिकारी अपने स्तर पर कार्रवाई कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजभवन द्वारा नियुक्त अधिकारी चुनी हुई सरकार को भरोसे में लिए बिना बुलडोजर का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस इलाके में मकान गिराया गया, वहां एक नहीं कई मकान अवैध रूप से बने हैं। सिर्फ वहीं पर नहीं जम्मू विकास प्राधिकरण के कार्याधिकार क्षेत्र में कई अवैध निर्माण हुए हैं।
उन्होंने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास करते हुए कहा कि मैं देखना चाहता हूं कि इस एक आदमी को क्यों निशाना बनाया गया। क्या उसका धर्म इसकी वजह है? ऐसा नहीं हो सकता कि पूरे जम्मू में सिर्फ़ एक ही ज़मीन पर गैर-कानूनी कब्ज़ा हो।जम्मू विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एक साजिश के तहत चुन-चुनकर घर गिरा रहे हैं और सिर्फ एक ही समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है।
अगर ऐसा नहीं है तो मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वह जेडीए की जमीन पर कब्जा करने वाले सभी लोगों के नाम सार्वजनिक करें और बताएं कि वह कब्जा खाली कराने के लिए क्या कार्रवाई कर रहे हैं। जब नाम सार्वजनिक होंगे,सूची जारी होगी तो सभी को पत चलेगा कि किसने जेडीए की जमीन पर कब्जा किया है और कौन उसका संरक्षक है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम अवैध कब्जों के समर्थक नहीं हैं,लेकिन जिस तरह से यह बुलडोजर चलाया गया है,हम उसके खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग को अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्वाचित सरकार की मंजूरी से सही नियुक्त करना चाहिए। सचिव आयुक्त और प्रधान सचिव को बेशक राजभवन द्वारा नियुक्त किया जाए,लेकिन विकास प्राधिकरण के चेयरमैन और राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्वाचित सरकार द्वारा ही नियुक्त किया जाना चाहिए।
बदकिस्मती से, अधिकारियों को बिना किसी सलाह के स्थानांतरित-नियुक्ति किया जा रहा है और वह कहीं ओर से मिले निर्देशों पर काम करते हैं। उन्होंने राजभवन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह अधिकारी खुद ही बुलडोजर चला रहे हैं या फिर किसी के आदेश पर किसी विशेष वर्ग के खिलाफ बुलडोजर अभियान चलाने जा रहे हैं, मकान गिराने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यहां कहा जाता है कि निर्वाचित सरकार के काम में, सरकारी काम में कोई दखल नहीं है। लेकिन जिस तरह से यह बुलडोजर चला है, वह साबित करता है कि यहां निर्वाचित सरकार को नीचा दिखाया जाता है,उसे विश्वास में लकर कोई काम नहीं हो रहा है।मुझे एक भी फाइल दिखाओ जिसमें बुलडोजर निकालने से पहले मंत्री को बताया गया हो। कोई इजाजत नहीं मांगी गई, कोई चर्चा नहीं हुई। अगर हमारे अधिकारी ने बिना इजाजत के ऐसा किया होता, तो मैं तुरंत कार्रवाई करता। मंत्री की मंजूरी के बिना इतना बड़ा कदम कैसे उठाया जा सकता है?
बार-बार चुनिंदा तोड़फोड़ के पीछे किसी षडयंत्र की शंका जताते हुए उमर ने कहा कि इस पैटर्न को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा एक या दो बार हुआ होता, तो मैं मान सकता था कि यह एक गलती थी। लेकिन लगातार हो रही घटनाएं चुनी हुई सरकार को बदनाम करने की साज़िश का इशारा करती हैं क्योंकि कुछ लोग चुनाव के नतीजों को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

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